पिछले दशक के दौरान ‘आधार’ नंबर भारत के निवासियों की विशिष्ट पहचान के एक प्रमाण पत्र के रूप में उभर कर सामने आया है। लोगों द्वारा ‘आधार’ नंबर का उपयोग कई सरकारी योजनाओं और सेवाओं का लाभ उठाने के लिए किया जा रहा है।
जिन निवासियों को 10 साल पहले उनका ‘आधार’ नंबर जारी किया गया था, और जिन्होंने उसके बाद इन वर्षों में इसे कभी भी अपडेट नहीं किया है, इस तरह के आधार नंबर धारकों को अपने-अपने दस्तावेजो को अपडेट करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
गुरुवार को कुछ खबरों में यह गलत जानकारी दी गई कि इसे अनिवार्य कर दिया गया है। सभी देशवासियों को इन खबरों और सोशल मीडिया पोस्ट को नजरअंदाज करने के बारे में सूचित किया जाता है।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने पहले एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह रेखांकित किया था कि वह देश के निवासियों से अपने-अपने दस्तावेजों को अपडेट करने के लिए आग्रह कर रहा है और उन्हें प्रोत्साहित कर रहा है। हाल ही में जारी राजपत्र अधिसूचना में यह भी स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि देश के निवासी हर 10 साल के पूरा होने पर ‘ऐसा कर सकते हैं’।
‘आधार’ संबंधी दस्तावेजों को निरंतर अपडेट या अद्यतन रखने से लोगों को जीवन यापन में आसानी होती है, सेवाओं को बेहतर ढंग से मुहैया कराना संभव हो पाता है, और इसके साथ ही सटीक प्रमाणीकरण को संभव करने में मदद मिलती है। यूआईडीएआई ने हमेशा देश के निवासियों को अपने-अपने दस्तावेजों को अपडेट करने के लिए प्रोत्साहित किया है, और यह राजपत्र अधिसूचना उसी दिशा में एक और अहम कदम है।