केन्द्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर के सिंह ने आज अपर मुख्य सचिव/प्रधान सचिव/सचिव (विद्युत/ऊर्जा) और सभी राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों की डिस्कॉम कंपनियों के सीएमडी/एमडी के साथ वर्चुअल माध्यम से समीक्षा, योजना तथा निगरानी (आरपीएम) बैठक की अध्यक्षता की। इस अवसर पर केंद्रीय विद्युत राज्य मंत्री श्री कृष्णपाल गुर्जर, विद्युत सचिव श्री आलोक कुमार तथा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
बैठक में बिजली क्षेत्र में किये जा रहे सुधारों के साथ-साथ नये सुधार आधारित तथा परिणाम से जुड़ी योजना के दिशा-निर्देशों की समीक्षा की गयी, जिसके बाद आईपीडीएस और डीडीयूजीजेवाई योजना की समीक्षा हुई।
कार्यक्रम में बोलते हुए श्री आर के सिंह ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र ने उत्पादन, पारेषण और वितरण के क्षेत्र में पिछले कुछ सालों में ज़बर्दस्त विकास देखा है। 384 गीगावॉट की कुल स्थापित उत्पादन क्षमता के साथ हमारा देश बिजली की कमी वाले देश से अब मांग से अधिक बिजली उत्पादन करने वाला देश बन गया है।
श्री सिंह ने आगे कहा कि पूरे देश को एक एकीकृत ग्रिड के साथ जोड़ने के लिये क्षेत्रों के बीच हस्तांतरण क्षमता को 1 लाख मेगावॉट से अधिक बढ़ाया गया है। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से सौ प्रतिशत गांवों के विद्युतिकरण और 2.82 करोड़ घऱों में बिजली के साथ सबको बिजली पहुंचाना हासिल किया गया है।
इस अवसर पर बोलते हुए श्री आर. के. सिंह ने कहा कि आज के परिदृश्य में सभी नीतियां और कार्यक्रम उपभोक्ताओं पर केंद्रित होने चाहिए। विद्युत मंत्री ने जानकारी दी कि दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना औऱ वितरण प्रणाली को मजबूत बनाने के लिये एकीकृत विद्युत विकास योजना के तहत 2798 नये सबस्टेशन स्थापित किये गये, 3930 सब स्टेशन अपग्रेड हुए, 7.5 लाख किलोमीटर लंबी एचटी और एलटी लाइन जोड़ी गयी, 6.7 लाख नये ट्रांसफॉर्मर दिये गये, 60897 किलोमीटर लंबी एबी केबल और 2.5 करोड़ बिजली मीटर दिये गये- जिससे वितरण प्रणाली में मजबूती आयी।
हफ्ते के सातों दिन गुणवत्ता और भरोसे के साथ बिजली आपूर्ति और उपभोक्ताओं की बेहतर संतुष्टि बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अर्थव्यवस्था और देश के तेज विकास की मुख्य आवश्यकताओं में एक है।
श्री सिंह ने कहा की वितरण क्षेत्र के पुनर्निमाण के लिये 3 लाख 3000 करोड़ रुपये की योजना बिजली क्षेत्र में अपनी तरह की सबसे बड़ी योजना है, और वितरण प्रणाली को मजबूत और आधुनिक बनाने के लिये राज्यों/डिस्कॉम की जरूरत पूरा करने के लिये पर्याप्त पूंजी मौजूद है।
विद्युत मंत्री ने डिस्कॉम के द्वारा आधुनिक तकनीकों की मदद लेने का आह्वान करते हुए आगे कहा कि इस योजना में सिस्टम संचालित ऊर्जा अकाउंटिंग के लिए एआई और आईटी के व्यापक उपयोग की संभावनाओं पर विचार किया गया है, जिससे नुकसान को कम करने और बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता और विश्वसनीयता में सुधार के लिए ऊर्जा ऑडिट और वितरण के बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण को सक्षम बनाया जा सके।
विद्युत मंत्री ने कहा कि योजना के तहत 3875 एससीएडीए सिस्टम छोटे शहरों में स्थापित किए जाएंगे और 100 वितरण प्रबंधन प्रणाली (डीएमएस) बड़े कस्बों और शहरों में स्थापित की जाएंगी। डिस्कॉम जरूरत के अनुसार अंडरग्राउंड केबलिंग, एरियल बंच केबलिंग (एबी केबलिंग) से संबंधित कार्यों को करने में सक्षम होंगे और हाई वोल्टेज डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (एचवीडीएस) भी स्थापित करेंगे। यह योजना कृषि फीडरों को अलग करने का भी प्रावधान करती है और डिस्कॉम को कृषि फीडर को अलग करने और सौर ऊर्जा के लिए कुसुम का लाभ उठाना चाहिए।
विद्युत मंत्री ने कहा कि कुसुम योजना के तहत कृषि फीडरों को सौर ऊर्जा से जोड़ा जा रहा है। सौर ऊर्जा की लागत का तीस प्रतिशत कुसुम से मिलता है, और सत्तर प्रतिशत नाबार्ड/पीएफसी/आरईसी से ऋण के रूप में मिलता है। राज्य सरकारें कृषि सब्सिडी के लिए जो धन दे रही थीं, उसका उपयोग करके यह ऋण 5 वर्षों में चुकाया जाता है। 5 वर्षों के बाद, कृषि सब्सिडी पर राज्य सरकार की हिस्सा शून्य हो जाता है। किसान को पहले दिन से सिंचाई के लिए दिन के समय नाममात्र की दरों पर बिजली मिलती है। जब किसान अपने खेतों की सिंचाई नहीं कर रहा होता है, तो डिस्कॉम को मुफ्त बिजली उपलब्ध होती है। कुसुम के तहत 9.5 लाख पंप की उपलब्ध मंजूरी क्षमता के मुकाबले 43 लाख पंप की मांग राज्यों से पहले ही प्राप्त हो चुकी है।
योजना का उद्देश्य वर्ष 2024-25 तक एग्रीगेट टेक्निकल एंड कमर्शियल (एटीएंडसी) नुकसान को अखिल भारतीय स्तर पर 12-15 प्रतिशत तक एवं आपूर्ति की औसत लागत (एसीएस) और प्राप्त औसत राजस्व (एआरआर) के अंतर को शून्य तक लाना है। लक्ष्य है कि परिचालन रूप से कुशल और वित्तीय रूप से टिकाऊ बिजली क्षेत्र स्थापित की जाये जो स्मार्ट ग्रिड जैसी आधुनिक तकनीकों से लैस हो, और जो उपभोक्ता को अत्याधुनिक सेवाएं प्रदान करने में सक्षम हो और साथ ही भविष्य के लिये अक्षय ऊर्जा स्रोतों के साथ एकीकरण के लिए तैयार हो और ई-मोबिलिटी, खपत के समय के आधार पर शुल्क आदि सुविधा प्रदान करता हो। इसे पाने के लिये भारत सरकार ने वितरण क्षेत्र का पुनर्निर्माण की योजना शुरू की है।
श्री सिंह ने कहा कि नुकसान उठाने वाले डिस्कॉम तब तक इस योजना के तहत पूंजी नहीं पा सकेंगे जब तक कि वह नुकसानों को कम करने की योजना बनाकर, ऐसे नुकसानों को कम करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की सूची और समयसीमा तैयार कर, उसके बाद अपने राज्य की सरकार द्वारा इसके लिये मंजूरी प्राप्त कर केन्द्र सरकार के सामने इसे प्रस्तुत नहीं करते। योजना से पूंजी का प्रवाह उनके द्वारा नुकसान को कम करने की दिशा पर बने रहने के अनुरूप होगा। विद्युत मंत्री ने कहा कि य़ह ‘योजनाओं’ की ‘योजना’ है।
विद्युत मंत्री ने जानकारी दी कि डिस्कॉम को नोडल एजेंसी/विद्युत मंत्रालय के परामर्श से कार्य योजना और डीपीआर को तैयार करना होगा। डिस्कॉम कार्य योजना के हिस्से के रूप में अपने प्रदर्शन में सुधार के लिए आवश्यक विशिष्ट गतिविधियों और सुधारों की भी जानकारी देंगे। विद्युत मंत्री ने साथ ही कहा कि डीपीआर को जमा करने की अंतिम तारीख 31 दिसंबर 2021 है, और इसके बाद कोई निवेदन स्वीकार नहीं किया जायेगा।
श्री सिंह ने आगे कहा कि भले ही बिजली से जुड़ी सेवाओं को बुनियादी आवश्यक सार्वजनिक सेवा माना जाता है, लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि हर एक सेवा/वस्तु की एक लागत होती है और प्रगति के पहिये को चलाये रखने के लिए उस लागत की वसूली करनी होती है इसलिये इसका एक व्यावसायिक पहलू भी है जो क्षेत्र के लिये जरूरी विकास को लगातार बनाये रखने के लिये बेहद महत्वपूर्ण है। इसलिए, वित्तीय व्यवहार्यता और बने रहने की क्षमता इस क्षेत्र के विकास का आधार है।
बैठक में सभी प्रतिभागी राज्यों ने योजना का स्वागत किया और डीपीआर तैयार करने के संबंध में अपनी तत्परता व्यक्त की। इनमें से अधिकांश ने कहा कि वो 31 दिसंबर की समयसीमा से काफी पहले ही डीपीआर जमा कर देंगे।
विद्युत मंत्री ने इस विश्वास के साथ समापन किया कि सभी हितधारकों के सामूहिक प्रयासों के साथ, देश का बिजली क्षेत्र आधुनिक, प्रभावी, वित्तीय रूप से सक्षम और भविष्य के लिए तैयार वितरण क्षेत्र का निर्माण करने के लिए सुधारों की अगली पीढ़ी को राह दिखायेगा, जिससे कि सभी बिजली उपभोक्ताओं की अपेक्षाओं को पूरा किया जा सके और देश के त्वरित आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त किया जा सके।