लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में फिल्म उद्योग को विकसित करने की दिशा में ठोस सक्रिय पहल की जायेगी। फिल्म नीति -2015 के अन्तर्गत कलाकारों तथा तकनीशियनों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जायेगी। फिल्म उद्योग के उपयुक्त विकास के लिए यह परम् आवश्यक है कि प्रतिभा-सम्पन्न कलाकार तथा प्रशिक्षित तकनीशियन सुगमता से उपलब्ध हों।
उत्तर प्रदेश में फिल्म तथा टेलीविजन इंस्टीट्यूट की एक शाखा खोलने के लिए राज्य सरकार, भारत सरकार से समन्वय स्थापित करेगी, ताकि उन प्रतिभाशाली नवयुवकों की आकांक्षा की पूर्ति हो सके, जो कि देश के उत्तरी भाग में फिल्मों को अपना कैरियर बनाना चाहते हैं। इस शाखा की स्थापना होने तक प्रदेश की प्रख्यात भारतेन्दु नाट्य अकादमी का विकास, ‘राज्य फिल्म तथा टेलीविजन संस्थान, के रूप में किया जायेगा।
शासन द्वारा फिल्म तकनीशियनों को चुने हुए औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षित किया जायेगा। इस उद्देश्य से सम्बन्धित पाठ्यक्रम कुछ संस्थानों में प्रारम्भ किए जाएंगे। राज्य सरकार द्वारा निजी-क्षेत्र को भी फिल्म सम्बन्धी व्यवसायों एवं पाठ्यक्रमों के साथ प्रशिक्षण संस्थान खोलने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान, पुणे तथा सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान, कोलकाता में उत्तर प्रदेश के प्रशिक्षणरत विद्यार्थियों को वार्षिक छात्रवृत्ति रू0 25,000/- दी जायेगी। छात्रवृत्तियों की अधिकतम संख्या दोनो संस्थानों में प्रत्येक के लिए अलग-अलग दस होंगी। इस कार्य पर व्यय होने वाली धनराशि का वहन ‘फिल्म विकास निधि‘ से किया जायेगा। प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में ‘परफाॅरर्मिंग आर्टस‘ के पाठ्यक्रम आरम्भ किए जाएंगे, ताकि प्रदेश के युवा वर्ग को अपनी प्रतिभा विकसित एवं मुखरित करने का अवसर प्राप्त हो सके।
शासन द्वारा फिल्म इकाईयों के लिए आवासीय सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी। प्रदेश में आउट-डोर शूटिंग करने वाली इकाईयों को उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम के होटल्स/मोटल्स में कमरों के किराए में 25 प्रतिशत की छूट दी जायेगी। लोक निर्माण विभाग, वन विभाग तथा सिंचाई विभाग एवं राज्य सम्पत्ति विभाग के अतिथि गृह/विश्रामालय भी इन ‘फिल्म इकाइयों‘ को नियमित भुगतान पर उपलब्ध होंगे।