देहरादून: मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने जीएमएस रोड देहरादून स्थित स्थानीय होटल में उत्तराखण्ड अन्तरिक्ष आधारित विकेन्द्रीकृत नियोजन के लिए सूचना समर्थन पर एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि जुलाई 2019 तक उत्तराखण्ड के 90 प्रतिशत गांवो में इन्टरनेट कनेक्टिविटी पहंुच जाएगी। इस क्षेत्र में अभी तक 150 करोड़ रूपये का निवेश हो चुका है। गत तीन से चार माह में राज्य सरकार द्वारा इस दिशा में मिशन मोड पर काम किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में राज्य के 60 प्रतिशत गांवो में इन्टरनेट की सुविधा उपलब्ध है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि सेटेलाइट व अंतरिक्ष विज्ञान का उपयोग जनसामान्य के जीवन गुणवता में सुधार व ईको सिस्टम के संरक्षण के लिए किया जाए। सेटेलाइट सेवा केवल विज्ञान तक सीमित नही है बल्कि आम लोगों के जीवन की जरूरत भी है। जन सामान्य तक सुविधाए सुलभ हो व पर्यावरण व संसाधनों का अत्यधिक दोहन न हो इस दिशा में अंतरिक्ष विज्ञान का महत्वपूर्ण योगदान है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड में इन्टरनेट स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत सहायक सिद्ध हो रहा है।
उन्होंने कहा कि राज्य में टेली मेडिसन, टेली रेडियोलाॅजी व टेली कार्डियोलोजी को प्रभावी रूप से लागू किया जा रहा है। सीमान्त व दूरस्थ गांवों को इन्टरनेट के माध्यम से गुणवतापूर्ण स्वास्थ्य व शिक्षा सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही है। चमोली के सीमान्त गांव घेस को अपोलो से जोड़ा गया है। टिहरी जनपद के 40 स्वास्थ्य केन्द्रों को जिला अस्पताल व एम्स से जोड़ा गया है। इससे गांव के बुर्जुग, महिला, बच्चे को विशेष लाभ पहुंच रहा है। चमोली के सीमान्त हिमनी गांव को केयान डिवाइस के माध्यम से स्मार्ट क्लासेज चलाई जा रही हैं व गुणवतापूर्ण शिक्षा दी जा रही है। नीतिगत परिर्वतन किए गए है ताकि तकनीक का लाभ राज्य के दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों तक पहुंच सके। बैलून टेक्नाॅजी प ड्रोन एपलिकेशन सेन्टर राज्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगे। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि वैज्ञानिक व सरकारी कल्याणकारी योजनाए क्रियान्वित करने वाले सभी सरकारी विभागों को नई तकनीक व वैज्ञानिक शोधों के विषय में सामूहिक विचार मंथन करना होगा कि किस प्रकार विकास का लाभ अधिकतम लोगो तक पहुंचाया जा सकता है। हमारे जल, जमीन, जंगल के संरक्षण में किस प्रकार नए वैज्ञानिक खोजे सहायक सिद्ध हो सकती है। इस पर चिन्तन करने की उन्होंने जरूरत बतायी।