देहरादून: उत्तराखण्ड में बदलाव महिलाओं की सहभागिता से ही संभव है। राज्य का विकास बिना महिलाओं के विकास के सम्भव नहीं है, यह बात मुख्यमंत्री
हरीश रावत ने शक्ति भवन मंदिर, डोईवाला में आयोजित महिला जन जागरण अभियान को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होने कहा कि राज्य सरकार महिलाओं के विकास हेतु कई योजनाएं चला रही है। राज्य सरकार ने लडकी के पैदा होते ही कन्याधन, स्कूल के लिए गौरा देवी कन्याधन योजना, शादी व्याह आदि के लिए कई योजनाओं सहित गर्भवती महिलाओं के लिए पोष्टाहार योजना, 60 वर्ष से अधिक की वृद्वाओं के लिए टेकहोम राशन तथा मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ के तहत यात्रा प्रारम्भ की है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड आज देश में सेवानिवृत कर्मचारियों के अलावा पेशागत आधार पर पेन्शन देने वाला पहला राज्य हो गया है। पेंशन से लाभार्थियों की संख्या 2.25 लाख से बढ़कर 6.5 लाख के करीब हो गई है। किसान पेन्शन, पुरोहित पेन्शन, कलाकार पेन्शन, पत्रकार पेन्शन, शिल्पी पेन्शन, निर्माणकर्मी पेन्शन आदि के साथ बाजीगरों एवं जगरियों को भी पेन्शन योजना में समाहित किया गया है। विधवा, वृद्धावस्था एवं विकलांग पेन्शन से आगे बढ़कर अक्षम व परित्यकत्ता नारी, विक्षिप्त व्यक्ति की पत्नी, बौने व्यक्तियों, और जन्म से विकलांग बच्चों को भी पोषण भत्ते के दायरे में लिया गया है। उन्होने कहा कि जन्म से ही विकलांग बच्चे की मां को, 5 सौ रूपये प्रतिमाह पोषण भत्ता देने वाला उत्तराखण्ड पहला राज्य है। महिलाओं को रोजागार से जोड़ने हेतु महिला कांस्टेबल एवं एसआई की भर्ती प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी गई है। हमारा प्रयास है कि हर थाने में एक महिला एसआई की तैनाती हो। होमगार्ड व पी0आर0डी0 में भी अगले तीन वर्षों में 30 प्रतिशत अतिरिक्त संख्या बढ़ाकर इनमें महिलाओं की भर्तियां होंगी।
उन्होने कहा कि राज्य सरकार की योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को 2 किग्रा मंडुवा, 1 किग्रा काला भट व 1 किग्रा आयोडिनयुक्त नमक देना प्रारम्भ किया गया है। इसके बेहतर परिणाम भी मिलने लगे हैं। रूद्रप्रयाग सहित कई जिलों में शिशु व मातृत्व मृत्यु दर में कमी आई है।