नई दिल्ली: कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री मोहनभाई कल्यानजीभाई कुंडारीया ने कहा कि यह सम्मेलन कृषि क्षेत्र में प्रशासकों और वैज्ञानिकों को परस्पर बातचीत करने और विभिन्न फसलों के उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु रणनीति तैयार करने के साथ-साथ आगामी रबी मौसम की तैयारी के लिए एक मंच प्रदान करता है। जैसा कि आप अवगत हैं कि बुआई के समय बीज, उर्वरक, कीटनाशी आदि किसानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, जिनकी आपूर्ति राज्यों द्वारा सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता है। श्री कुंडारीया आज यहाँ रबी सम्मेलन 2015-16 के समारोह को संबोधित कर रहे थे। कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री मोहनभाई कल्यानजीभाई कुंडारीया का संबोधन निम्नवत है:-
“भारत की 58% जनसंख्या कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों पर निर्भर है। कृषि क्षेत्र रोजगार पैदा करने और पर्याप्त खाद्यान्न और फाईबर का उत्पादन करके विकास और जन कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग फसलों के उत्पादन बढ़ाने के लिए: चावल, गेहूं, दलहन, मोटे अनाज कपास, पटसन आदि पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, पूर्वी भारत के लिए हरित क्रांति लाना, फसल विविधीकरण इत्यादि कार्यक्रमों का कार्यान्वयन कर रहा है। ऐसी योजनाएं मेलों एवं किसानों के लिए प्रशिक्षण आयोजित करते हुए किसानों की खेती पर फसल उत्पादन तकनीक को बढ़ावा दे रही हैं।
इसके अतिरिक्त किसानों को फार्म उपकरणों, सिंचाई उपकरणों, पौध संरक्षण रसायन और मृदा सुधारकों के वितरण हेतु सहायता प्रदान की जा रही है। फसल विविधिकरण कार्यक्रम को पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश के मूल हरित क्रान्ति वाले राज्यों में कार्यान्वित किया जा रहा है ताकि धान की खेती वाले क्षेत्र में जल की कम खपत वाली फसलों जैसे तिलहन, दलहन, मोटे अनाज और कृषि वानिकी जैसी फसलों को उगाया जा सके ।
फरवरी, 2015 को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा किसानों के लिए एक नई योजना ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड’ शुरु की गई। इन मृदा स्वास्थ्य कार्डों को प्रत्येक तीन वर्षों के पश्चात पुन: जारी किया जाएगा। वर्ष 2015-16 के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने के लिए राज्य को 96.46 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को उर्वरकों के संतुलित उपयोग को अपनाने में मदद करेगा जिससे लागत में बचत होगी एवं मृदा स्वास्थ्य सतत् होगा।
हमारे मंत्रालय ने जैविक कृषि को बढ़ावा देने तथा जैविक उत्पाद के लिए मण्डी क्षमता को विकसित करने हेतु परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत दिशा-निर्देश निर्धारित किए हैं। सरकार मूल्य स्थिरीकरण निधि स्थापित करने के लिए 500 करोड़ रुपये की धनराशि प्रदान करती है। कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग नैफेड, एसएफएसी, सीडब्ल्यूसी के माध्यम से तिलहनों, दलहनों एवं कपास के लिए मूल्य समर्थन योजना का कार्यान्वयन करती है तथा अपनी खरीद पर केन्द्रीय एजेंसी द्वारा उठाई गई हानियों की प्रतिपूर्ति करती है। नैफेड तिलहनों एवं दलहनों के खरीद की मुख्य केन्द्रीय एजेंसी है।
किसानों को लाभकारी मूल्य मिले इसके लिए कुछ राज्यों में एमएसपी तथा एमआईएस का कार्यान्वयन किया जा रहा है। यह किसानों के लिए जल्दी खराब होने वाले सामानों सहित अपने उत्पाद की मजबूरन बिक्री की सुरक्षा सुनिश्चित करती है। इसके लिए यह बहुत आवश्यक है कि राज्य किसानों के हित के लिए इन योजनाओं का कार्यान्वयन करें।
देश के कुछ भागों में वर्षा में विलम्ब के कारण खरीफ फसल की बुवाई नहीं की जा सकी। तथापि कुछ भागों में पर्याप्त अवशिष्ट रुप में नमी पाई गई हैं, जिसका उपयोग अल्प अवधि में तिलहन/दलहन की बुवाई हेतु किया जा सकता है, तथा जिसके लिए राज्य सरकार किसानों को प्रोत्साहित कर सकती है तथा किसानों को तकनीकी सहायता प्रदान कर सकती है।
मैं आशा करता हूँ कि केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के अधिकारियों के बीच हुए दो दिवसीय विचार-विमर्श सम्मेलन में नये विचारों को लाएंगे तथा कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों के समग्र विकास हेतु बेहतर रणनीति तैयार करने में मदद करेंगे।