19 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

“वैलनेस समिट-2020” के तहत रोड शो का आयोजन में प्रतिभाग कर सम्बोधित करते हुएः संस्कृति मंत्री श्री सतपाल महाराज

उत्तराखंड

नई दिल्ली: उत्तराखण्ड के पर्यटन, तीर्थाटन एवं धार्मिक मेले, संस्कृति मंत्री श्री सतपाल महाराज ने नई दिल्ली स्थित स्थित द लीला होटल में उत्तराखण्ड सरकार द्वारा “वैलनेस समिट-2020” के तहत रोड शो का आयोजन में प्रतिभाग किया। दिनांक 17 अपै्रल व 18 अपै्रल, 2020 को देहरादून में उत्तराखण्ड राज्य का पहला वैलनेस समिट होगा।

रोड शो में श्री सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखण्ड में औषधीय पौधों और पारंपरिक औषधीय ज्ञान का प्रचुर भण्डार है। उत्तराखण्ड के पहाड़ों में, औषधीय पौधों का उपयोग लंबे समय से विभिन्न रोगों के उपचार के लिए किया जाता है और इन परंपराओं को संरक्षित करने की आवश्यकता है। पारम्परिक औषधीय ज्ञान का हमारे साथ बहुत पुराना रिश्ता है, जो रामायण्काल से चला आ रहा है। किंवदंती है कि राम और रावण के बीच हुए महान युद्व में, जब लक्ष्णम बुरी तरह से घायल हो गए थे और जीवन रक्षक जड़ी बूटी “संजीवनी बूटी” की जरूरत थी, हनुमान जी ने उत्तराखण्ड के हिमालय में द्रोणागिरी “दूनागिरी पर्वत” से इस जड़ी-बूटी को लाकर लक्ष्मण की जान बचाई। आधुनिक युग की जीवनशैली के फलस्वरूप उत्पन्न होने वाली विभिन्न बिमारियों से बचाव के लिए योग और आयुर्वेद एक प्रभावशाली विकल्प है।

उन्होनंे कहा कि उत्तराखण्ड राज्य गठन के पश्चात् हमने “आयुष राज्य” बनने का संकल्प व्यक्त किया है, जहाॅं आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा को प्रमुखता दी जाएगी और पर्यटकों को इन उपचारांे का लाभ उठाने का अवसर प्रदान किया जाएगा। उत्तराखण्ड के चार प्रसिद्व हिमालयी तीर्थस्थल बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में हर साल “चार धाम” यात्रा करने वालों के अलावा, वे आगन्तुक भी है जो अपने मन और शरीर अपनी आत्माओं को फिर से जीवंत करना चाहते हैं और शान्ति एवं स्वस्थ मन चित्त की खोज में उत्तराखण्ड में ही प्रवास करना चाहते है।

उन्होनें बताया कि उत्तराखण्ड राज्य में स्वास्थ्य और वैलनेस पर्यटन की संभावनाएं बहुत अधिक है, जो योग एवं आयुर्वेद की स्वदेशी उपचार प्रणाली का आधार है।

उत्तराखण्ड सरकार अनंुसंधान और विकास संस्थानों और प्रतिष्ठित कंपनियों के साथ मिलकर औषधीय पौधों और अनुप्रयोगों और योगों के व्यावसायिक उत्पादन में अनुसंधान एवं शोध कर रही है। भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय द्वारा स्थापित औषधीय और सुगंधित पौध निर्यात क्षेत्र के अन्र्तगत देहरादून, चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, नैनीताल, उधमसिंह नगर, और हरिद्वार जिले शामिल हैं।

उन्होनें कहा कि उत्तराखण्ड राज्य में जड़ी-बूटियों और औषधीय पौधों को एक एकीकृत तरीके से उद्योग की आवश्यकताओं के साथ जोड़ा जा सकता है और पहाड़ों में रोजगार के अवसर सृजित किये जा सकते हैं। उत्तराखण्ड में योग की विश्व राजधानी बनने की क्षमता भी है क्योंकि यह योग का जन्म स्थान है। राज्य में “योग ग्राम” की अवधारणा योग को पर्यटन से जोड़ने का एक प्रयास है। राज्य सरकार वैलनेस टूरिज्म को भी बढ़ावा दे रही है, जिससे योग, वैलनेस, ध्यान, नैचुरोपैथी एवं आयुर्वेद को बढ़ावा मिलेगा और सम्बन्धित लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगें।

श्री सतपाल महाराज ने कहा कि वैलनेस सैक्टर की महत्ता के कारण ही आज विश्व भर में धीरे-धीरे चिकित्सा क्षेत्र के स्थान पर वैलनेस सैक्टर आगे बढ़ रहा है। लोग बेहतर चिकित्सा के बजाय बेहतर स्वास्थ्य और जीवन यापन को प्राथमिकता दे रहे हैं। बेहतर स्वास्थ्य में एलोपैथी चिकित्सा प़द्वति के योगदान में कमी के कारण अधिकांश लोग आयुर्वेद, योग, ध्यान और प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से एक स्वस्थ जीवन प्राप्त करने के तरीके ढंूढ रहे हैं। विश्व भर में आज उपचार और स्वस्थ जीवन की एक विस्तृत ़श्रृंखला की खोज में लोग भारतवर्ष में आने के लिए आकर्षित हो रहे है।

उन्होने कहा कि मा0 प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दृष्टिकोण के अनुरूप उत्तराखण्ड सरकार का ध्यान “सुधार प्रर्दशन-परिवर्तन” एवं एक नागरिक अनुकूल और उत्तरदायी प्रशासन के प्रति केन्द्रित है। राज्य ने “ईज आॅफ डुईंग बिजनेस” पहल के माध्यम से आवेदन प्रक्रियाओं के सरलीकरण, प्रौद्योगिकी का लाभ लेते हुए सार्वजनिक इंटरफेस में पारदर्शिता लाकर तरह-तरह की मंजूरी के लिए समय-सीमा में कमी की है।

उन्होनंे बताया कि उत्तराखण्ड राज्य में चार-धाम यात्रा को सुगम बनाने के लिए आॅल वेदर रोड़ तथा ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलमार्ग के निर्माण का कार्य प्रगति पर है। देहरादून से देश के बड़े शहरों तक सुविधाजनक वायु सेवा के लिए जौलीग्रान्ट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण का कार्य किया जा रहा है तथा पन्तनगर एयरपोर्ट के विस्तार की भी योजना है, जिससे पर्वतीय क्षेत्र की आर्थिक को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ आवागमन में भी आसानी होगी।

उन्होंनें बताया कि उत्तराखण्ड सरकार ने हाल ही में दुनिया की सबसे लंबी रोप-व परियोजनाओं में से एक देहरादून-मसूरी रोप-वे की स्थापना का कार्य प्रारम्भ किया है, जो देहरादून (राज्य की राजधानी) को मसूरी (उत्तराखण्ड में स्थित भारत के प्रसिद्ध हिल स्टेशन) से जोड़ेगी।

पर्यटन मंत्री श्री सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखण्ड वैलनेस और आयुष क्षेत्र के लिए निवेश के पसंदीदा स्थलों में से प्रमुख गन्तव्य के रूप में उभर रहा है। ऋषिकेश हमारे आध्यात्मिक शहर “योग की राजधानी” के रूप में जाना जाता है। राज्य अपनी अप्रयुक्त क्षमता के उपयोग के लिए वैलनेस और आुयष क्षेत्र के लिए आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित कर रहा है। राज्य सरकार द्वारा आयुष एवं वैलेनस तथा पर्यटन के उद्योग का दर्जा दिया गया है, ताकि इन क्षेत्र के निवेशकों को प्रदेश की आद्योगिक नीतियों के तहत उद्योगों को मिलने वाले प्रोत्साहनों का लाभ मिल सके।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव श्रीमती मनीषा पंवार, सचिव श्री एल0फैनई, सचिव श्री दिलीप जावलकर, उत्तराखण्ड राज्य औद्योगिक विकास निगम(सिडकुल) प्रबन्ध निदेशक श्री एस0ए0 मुरूगेशन, निदेशक उद्योग श्री सुधीर चन्द्र नौटियाल आदि उपस्थित थे।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More