देहरादून: राजकीय विभागों में आउट सोर्सिंग से वाहन रखे जाने की प्रक्रिया को दुबारा से रिव्यू किया जाएगा। नगर निगम में आयोेजित राजकीय वाहन चालक महासंघ के अधिवेशन में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसकी घोषणा की।
उन्होंने कहा कि राजकीय वाहन चालकों के एक माह के मानदेय को एक माह के विशेष वेतन में परिवर्तीत करने व ग्रेड-पे की मांग के संबंध में मुख्य प्रधान सचिव राकेश शर्मा को वाहन चालकों के प्रतिनिधिमण्डल से वार्ता करने के लिए निर्देशित कर दिया गया है।
मुख्यमत्री श्री रावत ने कहा कि राज्य के समस्त विभागों में सरकारी वाहनों के स्थान पर आउटसोर्सिंग से वाहन रखे जाने की प्रक्रिया का पुनर्परीक्षण किया जाएगा। इस बात का अध्ययन किया जाएगा कि इस प्रक्रिया को अपानाने से सरकार को लाभ हो रहा या हानि हो रही है। उन्होंने कहा कि वाहन चालक सरकार का महत्वपूर्ण अंग हैं। सरकार का पहिया एक तरह से इनसे ही चलता है। छठे वेतन आयोग की कतिपय कैडर को कम करने की सिफारिशों को कमोबेश सभी राज्यों द्वारा माना गया है। परंतु कैडर को कम करने की चाह से कई मसले उलझ भी गए हैं। इन्हें दुरूस्त करने में समय लगना स्वाभाविक है। विभिन्न संवर्गों में ही आपस में विरोध होता है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि कर्मचारी संगठनों के नेता अपने कैडर के साथ ही राज्य की सम्पूर्ण मशीनरी के बारे में भी समग्र रूप से विचार कर सुझाव दें। बहुत सारी विसंगितियां हैं। फैसले कानून सम्मत ही हो सकते हैं। हमें केवल कर्मचरियों के बारे में ही नहीं बल्कि उन लोगों के बारे में भी सोचना होगा जिन्हें कुछ नहीं मिला है। आज भी एक बड़ा तबका सुविधाओं से वंचित हैं। हमारी सरकार ने इनके बारे में सोचते हुए समाज कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। आज उŸाराखण्ड सामाजिक योजनाओं पर सर्वाधिक व्यय करने वाला राज्य है। हमें अपने नौजवानों के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न करने हैं। मुख्यमंत्री ने कुछ अतिरिक्त करने का प्रण लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हमें अपनी उत्पादकता का भी आंकलन करते हुए इसमें सुधार करने का प्रयास करना चाहिए। विद्युत विभाग ने ट्रांसमिशन लाॅस कम करके दिखाया है।