हरिद्वार: गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय गुरुकुल महासम्मेलन में आज तीसरे दिन उत्तराखण्ड विधान सभा अध्यक्ष श्री प्रेम चन्द अग्रवाल ने शिरकत की।
आर्य समाज के इतिहास में पहली बार सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा द्वारा अंतर्राष्ट्रीय गुरुकुल महासम्मेलन 6 से 8 जुलाई तक आयोजित किया जा रहा है जिसमें देश विदेश से लाखों की संख्या में आर्य प्रतिनिधि व आर्य समाज से जुड़ी संस्थाएं शामिल हुई है। महासम्मेलन में गुरुकुल को केन्द्रीकृत कर वैदिक संस्कृत, गुरुकुल शिक्षा प्रणाली, वर्तमान शिक्षा प्रणाली का विकल्प एवं वेद विज्ञान सम्मेलन आयोजित किये गये।
इस अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष ने कहा कि हमारी मनोवृत्ति का निर्माण हमारे जीवन, हमारे आचरण के अनुरूप ही होता है। हमारे जीवन तथा आचरण का मूल आधार है हमारी शिक्षा। उन्होंने कहा कि भारत में गुरुकुल शिक्षा पद्धति की बहुत लंबी परंपरा रही है। प्राचीन गुरुकुल शिक्षा पद्धति से शिक्षा दी जाए ताकि देश विश्व में फिर से गुरू का स्थान प्राप्त कर विकास की दिशा में आगे बढ़ सके।
श्री अग्रवाल ने कहा कि विकास की मंशा से तीव्र गति से दौडते वर्तमान युग में भारतीय संस्कृति के संस्कारों पर पडा आघात आज का सबसे बडा चिंतनीय बिन्दु है। उन्होंने कहा कि जैसे जैसे विकास की गति बढ रही है वैसे-वैसे हमारी नई पीढी का धर्म व अध्यात्म के प्रति श्रद्धा व विश्वास कम होता जा रहा है। इन स्थितियों में हमारे सामने सबसे बडी चुनौती इन नई युवा पीढी को संस्कारवान बनाना हो गया है।.
विधान सभा अध्यक्ष ने गुरुकुल महा सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि उत्तराखंड में संस्कृत भाषा के विस्तार के लिए विधान सभा द्वारा संस्कृत उन्नयन समिति का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि विधानसभा में समस्त अधिकारी कर्मचारियों के नाम पट्टिका संस्कृत में लिखवाना एवं संस्कृत में शपथ लेना यह सब संस्कृत भाषा के उत्थान के उठाया गया कदम है।
इस अवसर पर प्रोफ़ेसर महावीर अग्रवाल, आचार्य विट्ठल राव, विधायक स्वामी यतीश्वरानन्द जी, वरिष्ठ पत्रकार श्री वेद प्रताप वैदिक जी, स्वामी अग्निवेश जी, प्रेम चंद शास्त्री जी, माया प्रकाश त्यागी, आचार्य गायत्री मीना जी, डॉ धर्मेन्द्र शास्त्री, प्रोफ़ेसर रूप किशोर शास्त्री सहित अन्य लोग उपस्थित थे।