अपने दादा और शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की परंपरा से विपरीत चुनाव में उतरने वाले ठाकरे परिवार के पहले सदस्य बने आदित्य ठाकरे ने इतिहास रच दिया है। आदित्य ने महाराष्ट्र की राजनीति में अपने आगमन को धमाकेदार साबित करते हुए वर्ली विधानसभा सीट पर 67 हजार से ज्यादा वोट से जीत हासिल की। साथ ही यह भी तय कर दिया कि वह राज्य में बनने जा रही सरकार के गठन में अहम भूमिका निभाएंगे और अपने दल की भूमिका का विस्तार करने में सहायक साबित होंगे। ठाकरे परिवार की नई पीढ़ी के 29 वर्षीय युवा नेता को भाजपा-शिवसेना गठबंधन सरकार में उनकी पार्टी उप मुख्यमंत्री के तौर पर पेश कर रही है। शिवसेना के आदित्य ठाकरे के कंधों पर ‘अपनी मिट्टी के बेटे’ से शुरुआत कर बाद में हिंदुत्व विचारधारा की वाहक बनी अपनी पार्टी को और ज्यादा समावेशी और विस्तृत आधार वाली बनाने की जिम्मेदारी है। इसकी एक झलक आदित्य ने अपने प्रचार अभियान के दौरान ही दिखा दी थी, जब उन्होंने गैर मराठी मतदाताओं के घर जाकर उनसे भी वोट देने की अपील की।
एक नजर में आदित्य
- शिक्षा- सेंट जेवियर कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक और केसी कॉलेज से कानून की डिग्री।
- उपलब्धि- अभियान चलाकर प्रदेश में प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगवाया, मुंबई में मॉल व रेस्टोरेंट पूरी रात खोले जाने का प्रस्ताव बीएमसी से पारित कराया।
- कला- अपने दादा बाल ठाकरे व चाचा राज ठाकरे की तरह कार्टूनिस्ट और पिता उद्धव ठाकरे की तरह प्रोफेशनल फोटोग्राफर। आदित्य कवि भी हैं और उनकी कविताओं की पहली किताब ‘माई थॉट्स इन ब्लैक एंड व्हाइट’ का विमोचन 2007 में अमिताभ बच्चन ने किया था। वह एक निजी एलबम ‘उम्मीद’ के लिए भी गीत लिख चुके हैं।
- राजनीति- 2009 में सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया। इससे पहले मुंबई यूनिवर्सिटी की राजनीति में सक्रिय भूमिका। प्रदेश में ‘जन आशीर्वाद’ यात्रा के जरिए एक-एक गांव जाकर जन समस्याएं समझीं। 75 से ज्यादा ‘आदित्य संसद’ का आयोजन कर युवाओं के साथ सीधे द्विपक्षीय संवाद किया। Source डेस्क, अमर उजाला