राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने शिक्षा में डिजिटल माध्यम के महत्व को रेखांकित करते हुए शनिवार को कहा कि शिक्षकों को डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए अपने कौशल को समायनुकूल एवं उन्नत बनाना चाहिए जिससे कि वे सीखने की प्रक्रिया में सहयोगी बन सकें और बच्चों को रुचि के साथ सीखने के लिए प्रेरित कर सकें।
कोविद ने डिजिटल माध्यम से 47 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्रदान करते हुए कहा कि आज पूरी दुनिया कोविड-19 की वैश्विक महामारी से जूझ रही है जिसने जन-जीवन को भारी क्षति पहुंचाई है। भारत सहित, दुनियाभर के अधिकतर देशों में स्कूल और कॉलेज बंद हैं या इससे प्रभावित हैं। ऐसे समय में शिक्षा प्रदान करने में डिजिटल प्रौद्योगिकी की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
उन्होंने कहा, ” कोविड-19 के कारण आए इस अचानक बदलाव के समय पारम्परिक शिक्षा के माध्यमों से हटकर डिजिटल माध्यम से पढ़ाने में सभी शिक्षक सहज नहीं हो पा रहे थे। लेकिन इतने कम समय में हमारे शिक्षकों ने डिजिटल माध्यम का उपयोग कर विद्यार्थियों से जुड़ने के लिए कड़ी मेहनत की है।”
कोविद ने कहा, ”आप सबको, अपने विकास के लिए, शिक्षा में हो रहे नए बदलावों के बारे में जानना होगा और इसके लिए लगातार डिजिटल तकनीक का उपयोग करना होगा। यह महत्वपूर्ण है कि आपमें से हर कोई (शिक्षक) डिजिटल तकनीकों का उपयोग करने के लिए अपने कौशल को अपग्रेड और अपडेट करे जिससे कि आपके शिक्षण की प्रभावशीलता और अधिक बढ़ सके।”
राष्ट्रपति ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षण को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों को अभिभावकों के साथ भागीदारी करनी होगी ताकि वे बच्चों के साथ इस प्रक्रिया में सहयोगी बनें और उन्हें रुचि के साथ सीखने के लिए प्रेरित करें।
उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यवस्था में किए जा रहे बुनियादी बदलावों के केंद्र में शिक्षक ही होने चाहिए। नयी शिक्षा नीति के अनुसार शिक्षकों को सक्षम बनाने के लिए हरसंभव कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस नीति के अनुसार हर स्तर पर शिक्षण के पेशे में सबसे होनहार लोगों का चयन करने के प्रयास करने होंगे।
कोविद ने कहा, ”हमें यह भी सुनिश्चित करना है कि डिजिटल माध्यम से पढ़ाई करने के साधन ग्रामीण, आदिवासी और दूरदराज के क्षेत्रों में भी हर वर्ग के हमारे बेटे-बेटियों को प्राप्त हो सकें।” राष्ट्रपति ने कहा कि अच्छे भवन, महंगे उपकरण या सुविधाओं से स्कूल नहीं बनता, बल्कि एक अच्छे स्कूल को बनाने में शिक्षकों की निष्ठा और समर्पण ही निर्णायक सिद्ध होते हैं।
उन्होंने कहा, ”शिक्षक ही सच्चे राष्ट्र निर्माता हैं जो प्रबुद्ध नागरिकों का विकास करने के लिए चरित्र-निर्माण की नींव हमारे बेटे-बेटियों में डालते हैं।” कोविद ने कहा, ” शिक्षक की वास्तविक सफलता विद्यार्थी को ऐसा अच्छा इंसान बनाने में है – जो तर्कसंगत विचार और कार्य करने में सक्षम हो, जिसमें करुणा और सहानुभूति, साहस और विवेक, रचनात्मकता, वैज्ञानिक चितन और नैतिक मूल्यों का समन्वय हो।”
उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि उन्हें इस बात की प्रसन्नता है कि आज सम्मानित किए गए 47 शिक्षकों में से 18 अध्यापिकाएं हैं – यानी लगभग 4० प्रतिशत।
कोविद ने कहा, ” यह देखकर मुझे विशेष खुशी हुई है। शिक्षक के रूप में महिलाओं ने हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।” गौरतलब है कि शिक्षकों से ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से स्वयं नामांकन आमंत्रित किया गया था। शिक्षक पुरस्कार 2०2० के लिए अंतिम चयन मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के सेवानिवृत्त सचिव के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्तर की स्वतंत्र जूरी ने किया। जूरी ने राज्यों और संगठनों द्बारा भेजी गई उम्मीदवारों की सूची की समीक्षा की और नए सिरे से मूल्यांकन किया। इस वर्ष, उम्मीदवार वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जूरी के सामने पेश हुए और प्रस्तुतियां दीं। जूरी ने 47 शिक्षकों का चयन किया।
इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया । निशंक ने कहा कि चयनित उम्मीदवारों ने अपनी प्रतिबद्धता और उद्यम से न केवल स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने का काम किया है, बल्कि विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से अपने छात्रों एवं समुदाय के जीवन को भी बेहतर बनाने में योगदान दिया है।
उन्होंने कहा कि इन शिक्षकों ने दाखिला बढ़ाने, ‘ड्रॉपआउट’ कम करने, आनंदपूर्ण माहौल में शिक्षा और प्रयोगधर्मी पठन-पाठन जैसी विविध गतिविधियों में योगदान दिया। निशंक ने कहा कि इन शिक्षकों ने सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने, सूचना संचार प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग, सामाजिक जागरूकता फैलाने, पाठ्येत्तर गतिविधियां आयोजित करने, राष्ट्र निर्माण कार्यों को प्रोत्साहित करने का काम किया है । (समाचार जगत)