नई दिल्ली: मेरे लिए यह एक बेहद सम्मानजनक और दुर्लभ क्षण है कि मैं एक प्रभावशाली अंतर्राष्ट्रीय बेड़ा समीक्षा के अवसर पर आयोजित इस समारोह में उपस्थित जनसमूह को संबोधित कर
रहा हूं। दुनियाभर के 50 देशों के विख्यात सरकारी अधिकारियों, नौसेना अधिकारियों, गणमान्य व्यक्तियों का यह जनसमूह एकजुट होने तथा वैश्विक शांति और मानवता की अच्छाई के लिए मिलकर काम करने की हम में से प्रत्येक की अंदरूनी इच्छा का संकेत है।
भारत प्राचीन काल से ही, जब से सिंधु घाटी सभ्यता के विश्व के अन्य देशों के साथ व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध थे, सामुद्रिक देश रहा है। विश्व भर के महासागरों के इर्द गिर्द उभरती सामुद्रिक सुरक्षा चुनौतियों ने नौसेनाओं की जिम्मेदारियेां को बहुत अधिक बढ़ा दिया है। जल के विशाल क्षेत्र हमारे साझा आर्थिक विकास के राजमार्ग हैं, जो दूरस्थ भूमियों को मित्रता के बंधन से जोड़ते हैं।
मैं एक बार फिर उन सभी लोगों, गणमान्य शिष्टमंडलों को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने इस समारोह को बेहद सफल बनाया है। मैं भारतीय नौसेना को बधाई देता हूं जिन्होंने इस अंतर्राष्ट्रीय बेड़ा समीक्षा की अवधारणा सृजित की और फिर इस शानदार समारोह को कामयाब बनाया।