नई दिल्ली: अंतर सशस्त्र बलों के सहयोग को बढ़ाने तथा प्रशिक्षण और खेल-कूद के लिए एक-दूसरे की कुशलता का उपयोग करने के प्रयास में आज लैइतकोर, शिलॉंग में एक शानदार समारोह में असम राईफल्स के महानिदेशक तथा भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) के महानिदेशक ने असम राईफल्स की तीसरी (नागा हिल्स) बटालियन तथा भारतीय तटरक्षक के जहाज शौर्य के बीच सम्बद्धता चार्टर पर हस्ताक्षर किए।
असम राईफल्स भारत का सबसे पुराना अर्द्ध सैनिक बल है। इसका इतिहास शौर्य, साहस और परम्परा का रहा है। असम राईफल्स की 46 बटालियन हैं जो भारत-म्यांमार सीमा की रक्षा तथा पूर्वोत्तर राज्यों में उग्रवाद विरोधी कार्रवाईयों में लगी है। इसके विपरीत भारतीय तटरक्षक 42 जहाजों तथा 62 विमानों के साथ रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत सबसे युवा सशस्त्र बल है।
तीसरी (नागा हिल्स) बटालियन असम राईफल्स सशस्त्र बल का सबसे पुरानी बल है। इसका गठन 1835 में ‘कछार लेवी’ के रूप सभी रैंकों के 750 कर्मियों के साथ ब्रह्मपुत्र नदी से कछार की पहाड़ियों तक असम की पूर्वी सीमा की रक्षा के लिए किया गया था। अभी यह बटालियन नगालैंड के कोहिमा में विकसित की गई है। नगालैंड के कोहिमा में ही इस बटालियन ने दूसरे विश्वयुद्ध में बहादुरी के साथ जापान की सेना से युद्ध किया था और उन्हें भारत में बढ़ने से रोक दिया था।
तटरक्षक जहाज शौर्य गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में बना है और यह चेन्नई में है। अत्याधुनिक 150 मीटर लम्बा अपतटीय निगरानी जहाज (ओपीवी) 12 अगस्त, 2017 को कमीशन किया गया। शौर्य जहाज भारतीय तटरक्षक की देश के समुद्री हितों की सेवा और रक्षा की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। यह जहाज ईईजेड निगरानी तथा देश के समुद्री रक्षा के लिए तटरक्षक चार्टर्ड में शामिल कर्तव्यों के लिए विस्तृत रूप से विकसित किया गया है।
सम्बद्धता का उद्देश्य असम राईफल्स तथा आईसीजी के बीच सूचना/कर्मियों के आदान-प्रदान, प्रशिक्षण, खेल/साहस तथा सतत विकास के लिए एक-दूसरे में साथी भावना बढ़ाने के लिए द्वीपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देना है। यह सम्बद्धता पूर्वोत्त के प्रहरी को समुद्र के प्रहरी के साथ पेशेवर तथा सामाजिक मंच पर कार्य करने तथा अनुभव तथा श्रेष्ठ व्यवहारों को साझा करने में सहायक होगा।
दोनों सशस्त्र बल समान लक्ष्यों को प्रेरित कर लाभ उठाएंगे। असम राईफल्स के कर्मी मैरीटाईम सेवा (भारतीय तटरक्षक) की विशेषताओं तथा मैरीटाईम/तटीय सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में काम करने वाले देश विरोधी तत्वों तथा गैर-राज्य व्यक्तियों या संगठनों को रोकने में सक्षम होंगे। इसी तरह आईसीजी के कर्मी भारत-म्यांमार सीम के पास असम राईफल्स के कार्यों को देखने और समझने में सक्षम होंगे। आदान-प्रदान समारोह 11-12 जून, 2019 को भारतीय तटरक्षक जहाज शौर्य पर आयोजित किया जाएगा।