लखनऊ: पुलिस महानिदेशक अभियोजन उ0प्र0 द्वारा अभियोजन विभाग के अभियोजकाें और जनपदाें में तैनात शासकीय अधिवक्ताओं के माध्यम से राज्य की कानून व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए शातिर, सक्रिय व हिस्ट्रीशीटर अपराधियों को चिन्हित कर सजा कराने का नया अभियान प्रारम्भ किया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत पूरे प्रदेश में अभियोजकवार 5-5 सक्रिय व हिस्टशीटर अपराधियों के मुकदमों को चिन्हित कर लिया गया है।इस संबंध में महानिदेशक अभियोजन ने दिनांक 28.10.2015 दिन बुधवार को समस्त अपरनिदेशक अभियोजन/मण्डलीय संयुक्त निदेशकों की बैठक आहूत की, जिसमें समस्त उपस्थित अधिकारियों द्वारा चिन्हित अपराधियों की सूची के साथ बैठक में भाग लिया गया ।
जनपद स्तर पर मुकदमों से संबंधित सदर मालखानों मे रखे गये मालों के निस्तारण की जिम्मेदारी जनपद स्तर के ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी तथा थाने के मालखानों के माल के निस्तारण की जिम्मेदारी संबंधित थानाध्यक्ष व संबंधित अभियोजक को कराने के निर्देश दिये गयेहै ।
इसी क्रम में यह भी विचार किया गया कि एक ही चार्जशीट में कई मुल्जिम होने के कारण अपराधी उसका फायदा उठा लेते है, मुल्जिमवार चार्जशीट होने से सही अपराधी को सजा मिलेगी । इसीलिए मुल्जिम वारचार्ज शीट और उनके विरूद्ध प्रस्तुत किये जाने वाले सबूत का वर्णन होने से सही अपराधी को सजा मिलेगी । इसलिए विवेचना के क्रम में गवाहों की पक्ष द्रोहिता को रोकने व विवेचक की मन मानीपन को रोकने की दृष्टि से गवाहों से दौरान विचारण उपस्थिति हेतु बाण्ड भरवाकर उस पर गवाहों के हस्ताक्षर कराने के निर्देश दिये गये हैं, जिससे गवाहा न अपने बयान से मुकर न सके और पुलिस विवेचना में मनमानी न कर सके ।
यह भी मामला प्रकाश में आया है कि दौरान मुकदमा गवाह के उपस्थित होने पर अपराधियों के वकील के द्वारा मुकदमें की तारीख बढ़ाने हेतु तरह-तरह के हथकंड़े अपनाये जाते है, जिससे कि मुकदमा लम्बे समय तक कोर्ट में लम्बित रहे और अपराधी दण्ड से बच सके । इससे बचने के लिए संबंधित अभियोजक को प्रबल विरोध करने के साथ ही साथ उपस्थित गवाह को हर्जा खर्चा मुल्जिम से दिलवाने के निर्देश दिये जा रहे है।
मीटिंग के दौरान यह भी बात सामने आयी कि कई थानों के पैरोकार रूचि लेकर पैरवी नहीं कर रहे है, इसलिए ऐसे पैरोकारों को हटाकर अच्छे रोल वाले पैरोकारों को तैनात करने हेतु निर्देश दिये गये।
मालूम हो कि पूर्व में जो सजा कराओ अभियान चलाया गया था उससे प्रदेश की अदालतों में/सरकारी वकीलांे द्वारा अभियोगों के निस्तारण में गतिशीलता आयी है और अभियान के उपरान्त भी अभियान को प्रदेश स्तर पर शासकीय अधिवक्ता एवं अभियोजन अधिकारी जारी रखते हुए सजा करा रहे है, जिसके परिणाम स्वरूप अभी तक लगभग 9 हजार अपराधियों को सजा दिलायी जा चुकी है, जिसमें 04 अपराधियों को मृत्युदण्ड व 950 अपराधियों को आजीवन कारावास व लगभग 1000 अपराधियों को 10 वर्ष या 10 वर्ष से अधिक की सजा करायी गयी । वहीं लगभग 36 हजार अपराधियों की जमानतें निरस्त कराने में सफलता मिली है, जिसमें टाॅप-10 मुकदमें के 1600 अपराधी भी है। इसप्रकार अभियान के तहत लगभग 45 हजार अपराधियों को जेल करायी जा चुकी है, इस तरह के अच्छे परिणाम से आम जनता में कानून के प्रतिविश्वास बढ़ा है।