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मंत्रिमंडल ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के बाद वन्‍य जीव प्राकृतिक वास के समेकित विकास की केन्‍द्र प्रायोजित प्रमुख योजना जारी रखने की मंजूरी दी

देश-विदेश

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने 2017-18 से 2019-20 तक 12वीं पंचवर्षीय योजना में वन्‍य जीव प्राकृतिक वास (सीएसएस-आईडीडब्‍ल्‍यूएच) के एकीकृत विकास की केन्‍द्र प्रायोजित प्रमुख योजना जारी रखने की मंजूरी दे दी है। इसमें केन्‍द्र प्रायोजित प्रोजेक्‍ट टाइगर योजना (सीएसएस-पीटी), वन्‍य जीव प्राकृतिक वास योजना (सीएसएस-डीडब्‍ल्‍यूएच) और प्रोजेक्‍ट हाथी (सीएसएस-पीई) योजना शामिल हैं। केन्‍द्रीय अंश के रूप में 2017-18 से 2019-20 तक कुल व्‍यय 1731.72 करोड़ रूपये (प्रोजेक्‍ट टाइगर के लिए 1143 करोड़ रूपये, वन्‍य जीव  प्राकृतिक वास के विकास के लिए 496.50 करोड़ रूपये और प्रोजेक्‍ट हाथी के लिए 92.22 करोड़ रूपये) है।

देश के पांच हिस्‍सों में फैले बाघ वाले कुल 18 राज्‍य प्रोजेक्‍ट टाइगर योजना के अंतर्गत लाभान्वित होंगे। इसी प्रकार से अन्‍य दो योजनाओं के लिए, वन्‍य जीव प्राकृतिक वास और  हाथी वाले 23 राज्‍यों के विकास के मामले में पूरे देश को शामिल किया जाएगा। इससे वन्‍य जीव संरक्षण के अलावा प्रोजेक्‍ट टाइगर में बाघों और प्रोजेक्‍ट हाथी क्षेत्र में हाथियों के लिए विशेष सहयोग मिलेगा।

इससे पर्यावरण संबंधी लाभों और प्रोजेक्‍ट टाइगर के अंतर्गत बाघ संरक्षित क्षेत्र के अंदर और उसके आसपास बड़े पैमाने पर बाघ संरक्षण सहयोग, वन्‍य जीव प्राकृतिक वास विकास और परियोजना हाथी क्षेत्रों में हाथियों के संरक्षण के अंतर्गत संरक्षित और नजदीकी इलाकों में वन्‍य जीवों के संरक्षण का प्रभावी कार्यान्‍वयन हो सकेगा, यह योजना देश में बाघों, हाथियों और वन्‍य जीव  संरक्षण को मजबूती प्रदान करेगी।

यह योजना प्रभावी तरीके से मनुष्‍य और वन्‍य जीवों  के बीच टकराव को दूर करेगी। इसके अलावा जो समुदाय स्‍वेच्‍छा से प्रमुख/महत्‍वपूर्ण बाघ प्राकृतिक वासों (6900 परिवार) से हटकर कहीं ओर बसना चाहेंगे उन्‍हें प्रोजेक्‍ट टाइगर की केन्‍द्र प्रायोजित योजना के अंतर्गत और 800 परिवारों को वन्‍य जीव  प्राकृतिक वास विकास की केन्‍द्र प्रायोजित योजना से लाभ मिलेगा।

ये योजनाएं रोजगार के अवसर सृजित करेगी जिसके परिणामस्‍वरूप बाघ संरक्षित क्षेत्रों के अंदर और उसके आसपास लोगों को आर्थिक दृष्टि से ऊपर उठाया जा सकेगा। साथ ही प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भरता को कम करते हुए स्‍वच्‍छ ऊर्जा का इस्‍तेमाल हो सकेगा। इससे हर वर्ष करीब 30 लाख मानव दिवसों का प्रत्‍यक्ष रोजगार मिलेगा। जिसमें अनेक स्‍थानीय जनजातियों के अलावा गैर-जनजातीय स्‍थानीय कार्य बल शामिल होगा। इसके दायरे में रहने वाले लोगों को अप्रत्‍यक्ष लाभ मिलेगा। स्‍थानीय आबादी को गाइडों, ड्राइवर, अतिथि सत्‍कार कर्मी और अन्‍य सहायक नौकरियों के अवसर मिलेंगे। ये योजनाएं विभिन्‍न पर्यावरण विकास की परियोजनाओं के जरिए लेागों को आत्‍मनिर्भर बनाने की दिशा में विभिन्‍न हुनरों को प्रोत्‍साहन देंगी, ताकि वे स्‍व-रोजगार अपना सकें।

इन योजनाओं से पर्यटकों के जरिए संसाधन सृजित होंगे जिससे बाघ स्रोत क्षेत्रों और वन्‍य जीव  संरक्षण की दृष्टि से महत्‍वपूर्ण अन्‍य क्षेत्रों को सुरक्षित करने को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही यह जीवन रक्षक प्रणालियों को बनाए रखने के साथ-साथ खाद्य, जल और आजीविका सुरक्षा प्रदान करने में मददगार होंगी।

योजनाओं का कार्यान्‍वयन सम्‍बद्ध राज्‍यों के बाघ संरक्षित क्षेत्रों, संरक्षित इलाकों और हाथी संरक्षित क्षेत्रों के जरिए किया जाएगा।

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