नई दिल्ली: जघन्य अपराधों के आरोपी 16 से 18 साल के किशोर अपराधियों पर वयस्कों के लिए बने कानूनों के तहत मुकदमा चलाने के प्रस्ताव को बुधवार को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी।
संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों को नामंजूर करते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इस प्रस्ताव पर आगे बढ़ने का फैसला किया। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल ही में कहा था कि बलात्कार, हत्या, डकैती और तेजाब हमलों जैसे अपराधों को किशोरों द्वारा अंजाम दिए जाने के मामलों में किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों की समीक्षा की जरूरत है। ऐसे मामले की सुनवाई आकलन के आधार पर एक किशोर अपराधी या एक वयस्क के तौर पर होगी। संशोधित विधेयक में अनाथों, बेसहारा और समर्पण करने वाले बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया को भी दुरूस्त करने का प्रस्ताव है। इसमें बाल दत्तक संसाधन अधिकरण के लिए सांविधिक दर्जा तय किया गया है ।
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