लखनऊ: उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के फसल मौसम सर्तकता समूह के विशेषज्ञों ने किसानों के लिए उपयोगी सुझाव दिए हैं।
किसान भाई जुलाई माह में कोदों की खेती कोदों की संस्तुत प्रजातियों जे.के.-6, जे.के.-62, जे.के.-2, ए.पी.के.-1, जी.पी.वी.के.-3 की बुवाई करें। ज्वार की खेती में ज्वार की संस्तुत प्रजातियों यथा वर्षा, सी.एस.वी.-13, सी.एस.वी.-15, एस.पी.बी.-1338 (बुन्देला), विजेता तथा संकर प्रजातियों की सी.एस.एच.-16, सी.एस.एच.-9, सी.एस.एच.-14, सी.एस.एच.-18, सी.एस.एच.-13 व सी.एस.एच.-23 की बुवाई करें। अरहर की खेती हेतु अरहर की बुवाई मेढ़ों पर करना लाभप्रद है। कम अवधि वाली बोई गई अरहर में विरलीरिण एवं निराई करे। अरहर की देर से पकने वाली प्रजातियों बहार, अमर, नरेन्द्र अरहर-1, आजाद, पूसा-9, मालवीय विकास मालवीय चमत्कार , नरेन्द्र अरहर-2 की बुवाई करें।
जुलाई माह सब्जियों की खेती का उपयुक्त समय है। किसान भाई खरीफ सब्जियों यथा बैंगन, मिर्च एवं फूलगोभी की अगेती किस्मों की नर्सरी में बुआई करें। भिण्डी व लोबिया की बुआई करें। सब्जियों में यथासम्भव जैव नाशिजीवियों का ही प्रयोग करें। हल्दी एवं अदरक की बुवाई जून में समाप्त करें। वर्षाकालीन सब्जियों यथा लौकी, तोरई, काशीफल व टिण्डा की बुआई करें। कद्दूवर्गीय सब्जियों की बुवाई मेड़ों पर करें। एक स्थान पर दो बीज 1 मीटर की दूरी पर लगायें।
पशुपालक बड़े पशुओं में गला घोटू बीमारी की रोकथाम हेतु एच.एस. वैक्सीन से तथा लंगड़िया बुखार की रोकथाम हेतु वी.क्यू. वैक्सीन से टीकाकरण करायें। यह सुविधा सभी पशु चिकित्सालय पर उपलब्ध है। खरीफ चारा फसल की बुवाई हेतु ज्वार, लोबिया, मक्का, ग्वार के बीज की व्यवस्था करें। ज्वार एवं लोबिया के प्रमाणित बीज विभागीय संस्थाओं पर उपलब्ध है।