देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने विगत दिवस देर सायं तक सचिवालय में कृषि, उद्यान, रेशम, सगन्ध पादप तथा चाय विकास के संबंध में समीक्षा बैठक की। मुख्यमंत्री श्री रावत ने बैठक में निर्देश दिये कि चाय विकास, हर्बल, सगन्ध पादप के उत्पादन पर विशेष फोकस किया जाय। हर्बल, सगन्ध पादप व कृषि क्षेत्र में फार्मर इंटरेस्ट ग्रुप तैयार किये जाय।
ऐसे ग्रुपों को प्रोत्साहन स्वरूप धनराशि दी जाय। चाय विकास हमारी आर्थिकी का मुख्य संसाधन बन सकता है। इसके लिए वर्षवार कार्ययोजना तैयार करे। वन विभाग को निर्देश दिये गये कि वन पंचायतों व बंजर भूमि पर भी चाय विकास की कार्ययोजना तैयार की जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रतिवर्ष कम से कम एक हजार हेक्टेयर में चाय बागान विकसित करने का लक्ष्य रखा जाय। इसके लिए 5 करोड़ रुपये की धनराशि की व्यवस्था की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन को रोकने में चाय विकास कारगर सिद्ध हो सकता है। सगन्ध पादप की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि गढ़वाल व कुमांयू क्षेत्र में 5-5 कलस्टर बनाये जाय, जिनमें में सगन्ध पादप को प्रोत्साहित किया जाय। इन क्लस्टर आधारित खेती करने वाले किसानों को उनकी कुल लागत के 25 प्रतिशत धनराशि प्रोत्साहन राशि के रूप में दी जायेगी। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि सगन्ध पादप केन्द्र में विशेषज्ञ वैज्ञानिकों की स्थायी तैनाती की जाय। साथ ही हर्बल, सगन्धद पादक केन्द्र के ढांचे शीघ्र तैयार किये जाय। इसके लिए अपर मुख्य सचिव को निर्देश दिये गये कि इस संबंध में शीघ्र एक बैठक आयोजित कर ली जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि हर्बल और सगन्ध पादप का क्षेत्र में असीम संभावनाएं है। इसके लिए ठोस कार्ययोजना तैयार की जाय। हर्बल और सगन्ध पादप की खेती करने वाले किसानों को प्रोसेसिंग यूनिट आदि लगाने में छूट प्रदान की जाय। इसको प्रदेश की एम.एस.एम.ई. नीति से भी जोड़ा जा सकता है, ताकि अधिक से अधिक लाभ किसानों को मिल सके। उद्यान विभाग कुछ क्षेत्रों में विशेष रूप से फोकस करे। किसानों को समय पर बीज उपलब्ध कराये। साथ ही आलू, सेब, माल्टा के ऐसे क्लस्टर तैयार करे, जिससे किसानों को अधिक आमदनी हो। पर्वतीय क्षेत्रों में धारचूला, घेस, मुनस्यारी, हर्षिल आदि ऐसे स्थान चिन्हित किये जाय, जिन्हें फल व सब्जी के माॅडल के तौर पर विकसित किया जा सके।
मुख्यमंत्री ने उद्यान विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि वृहद स्तर पर फल प्रजाति के वृक्षों का रोपण किया जाय। मिनी किट का वितरण समय पर कर लिया जाय। जहां-जहां पर वृक्षारोपण किया जा रहा है, वहां पर समय-समय पर निरीक्षण भी किया जाय कि पौधा जीवित है भी कि नही। सेब उत्पादक किसानों को समय पर पेटियां मिल जाय। इस बार पेटियों में उत्तराखण्ड को मोनोग्राम भी लगाया जाय। आबकारी विभाग से समन्वय कर यह सुनिश्चित किया जाय कि 5 प्रतिशत फलों के रस को शराब बनाने में प्रयोग किया जाय।
कृषि विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने निर्देश दिये कि विगत दिनों जिन नई योजनाओं की घोषणा की गई है, उनके लिए बजट की मांग अनुपूरक बजट में कर ली जाय। पर्वतीय क्षेत्रों में मंडुवा, फाफर, रामदाना के उत्पादन पर 200 रुपये प्रति कुन्तल बोनस देने का निर्णय लिया गया है, उसकी कार्ययोजना तैयार कर ली जाय। इस हेतु जो भी धनराशि चाहिए, उसकी मांग अनुपूरक बजट में कर ली जाय। स्थानीय फसलों के बीज किसानों को समय पर उपलब्ध कराये जाय। आर.के.वाई. योजना के तहत अधिक से अधिक योजनाओं के प्रस्ताव तैयार किये जाय। बीज तराई विकास कारपोरेशन पर्वतीय क्षेत्रों में किसानों को अच्छे बीज समय पर उपलब्ध कराये। इसके लिए पर्वतीय क्षेत्रों में ब्लाॅक सीड डेवलपमेंट कार्यक्रम तैयार करें। रेशम विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने निर्देश दिये कि उत्तराखण्ड के रेशम को नई पहचान दी जाय। यहां का रेशम अपनी गुणवत्ता के लिए जाना जाता है, इसलिए यहां से बनने वाले रेशम को आॅर्गनिक सिल्क का नाम दिया जाय। रेशम उत्पादन पर भी उत्पादकों को बोनस दिया जाय।