नई दिल्ली: विश्व खाद्य दिवस दुनिया में भूख से निपटने के कार्य के प्रति समर्पित एक दिवस है। विश्व खाद्य दिवस 2018 की थीम है ‘हमारा कार्य हमारा भविष्य-2030 तक दुनिया को भूख से मुक्त बनाना संभव’। आज विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद भूख से पीडि़तों का दर्द दूर करने और सभी के लिए पोषक खुराक तथा खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई करती है। भारत सरकार का उद्देश्य भारत के कृषि क्षेत्र में बदलाव लाना है, ताकि वैश्विक पर्यावरण उद्देश्यों को अर्जित करने में योगदान दिया जा सके। इसलिए सरकार ने खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के साथ मिलकर एक परियोजना की शुरूआत की है। इस संगठन का भारतीय कार्यालय ‘हरित कृषि: वैश्विक पर्यावरण लाभों के लिए भारतीय कृषि में बदलाव लाने और महत्वपूर्ण जैव विविधता तथा वन परिदृश्यों का संरक्षण करने’ के रूप में जाना जाता है।
किसानों के कल्याण के बारे में श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि जिन किसानों को हम आदरपूर्वक हमारे अन्नदाता या भोजन प्रदान करने वाले कहते हैं, वे खाद्य प्रसंस्करण में हमारे प्रयासों के केन्द्र बिन्दु हैं। 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अभी हाल में विश्वस्तरीय खाद्य प्रसंस्करण बुनियादी ढांचे के सृजन के लिए राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना का शुभारंभ किया गया है। इससे अगले दो वर्षों के दौरान पांच बिलियन अमरीकी डॉलर निवेश जुटाए जाने की उम्मीद है। इससे 20 लाख किसानों को लाभ पहुंचेगा और पांच लाख से अधिक रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
मेगा फूड पार्कों के बारे में उन्होंने कहा कि इन पार्कों के माध्यम से हमारा उद्देश्य प्रमुख उत्पादन केन्द्रों के साथ कृषि प्रसंस्करण समूहों को जोड़ना है। इससे आलू, अनानास, संतरे और सेब जैसी फसलों के अधिक मूल्य मिलेंगे। किसान समूहों को इन पार्कों में इकाइयां स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे फसल बर्बादी और परिवहन लागत कम होगी तथा नए रोजगार जुटाए जा सकेंगे। कृषि में डिजिटलीकरण के बारे में श्री सिंह ने कहा कि ब्रांड बैंड कनेक्टिविटी के माध्यम से एक निर्धारित समय में गांव को जोड़ने की योजना बनाई जा रही है।
हम भूमि के अभिलेखों का डिजिटलीकरण कर रहे हैं और मोबाइल प्लेटफॉर्म पर लोगों को विभिन्न सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। इन कदमों से किसानों को जानकारी, ज्ञान और कौशल का उचित समय पर हस्तांतरण करने में मदद मिल रही है। हमारा राष्ट्रीय कृषि ई-बाजार, ‘ई-नाम’ पूरे देश में कृषि बाजारों को जोड़ रहा है, जिससे हमारे किसानों को उचित मूल्य और बाजार का चयन करने की आजादी के लाभ सुलभ होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की मासिक पत्रिका ‘इंडियन फार्मिंग’ का विशेषांक ‘हमारा कार्य हमारा भविष्य-2030 तक दुनिया को भूख से मुक्त बनाना संभव’ पर आधारित है। उन्होंने यह भी कहा कि खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ), सीजीआईएआर और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद प्रणालियों के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों द्वारा उपलब्ध कराई गई महत्वपूर्ण जानकारी से कृषि ज्ञान की तलाश करने वालों को लाभ पहुंचेगा।