नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने कृषि-तकनीक मूलभूत सुविधा कोष (एटीआईएफ) के जरिए राष्ट्रीय कृषि विपणन को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय क्षेत्र परियोजना को अपनी मंजूरी दे दी है. कृषि एवं सहकारिता विभाग (डीएसी) इसे पूरे देश में चयनित विनियमित बाजारों में तैनाती योग्य आम इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म के निर्माण द्वारा लघु किसानों को कृषि व्यवसाय संघ (एसएफएसी) के माध्यम से स्थापित करेगा.
इसके तहत साल 2015-16 से साल 2017-18 की परियोजना के लिए 200 करोड़ रुपए की धनराशि निर्धारित की गई है. इसमें डीएसी की ओर से राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के लिए निःशुल्क सॉफ्टवेयर की आपूर्ति का प्रावधान शामिल है. साथ ही, इसमें डीएसी द्वारा 30 लाख प्रति मंडी (निजी मंडियों के अलावा) तक के लिए केंद्र सरकार की ओर से संबंधित हार्डवेयर/बुनियादी ढांचे की लागत में रियायत देने का प्रावधान भी शामिल है.
इसका लक्ष्य देश भर में चयनित 585 विनियमित बाजारों को निम्नलिखित अलग-अलग आंकड़ों के साथ कवर करना है:
2015-16: 250 मंडी
2016-17: 200 मंडी
2017-18:135 मंडी
किसान और व्यापारी देश भर में पारदर्शी तरीके से इष्टतम दामों पर कृषि-पदार्थों की खरीद/बिक्री कर सकें इसके लिए 585 विनियमित बाजारों को आम ई-मंच के साथ एकीकृत किया जाएगा. इसके अलावा, इसकी पहुंच बढ़ाने के लिए निजी बाजारों को भी इस तरह से ई-मंच के उपयोग की अनुमति दी जाएगी.
यह योजना अखिल भारतीय स्तर पर लागू होगी. योजना के तहत राज्यवार आवंटन का विकल्प मौजूद नहीं है. हालांकि, इच्छुक राज्य को आवश्यक कृषि-विपणन सुधारों को इस्तेमाल में लाने के लिए पूर्व अपेक्षित मांगों को पूरा करने की जरूरत होगी.
एसएफएसी कृषि मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय ई-बाजार का विकास करने के लिए अगुआ एजेंसी होगी और यह खुली बोली (ओपन बिडिंग) के माध्यम से सेवा प्रदाता का चयन करेगी.एक उपयुक्त आम ई-बाजार मंच की स्थापना की जाएगी जो राज्य/संघ प्रशासित केंद्रों में ई-मंच से जुड़ने को इच्छुक चयनित 585 विनियमित थोक बाजार में तैनाती योग्य होगा.एसएफएसी 2015-16, 2016-17 और 2017-18 की अवधि के दौरान राष्ट्रीय ई-प्लेटफॉर्म को तीन चरणों में लागू करेगा. डीएसी राज्यों के लिए सॉफ्टवेयर और इसके अनुकूलन पर हो रहे खर्च को पूरा करेगी और इसे राज्य और संघ शासित प्रदेशों को निःशुल्क उपलब्ध करवाएगी. डीएसी ई-विपणन मंच की स्थापना के लिए, 585 विनियमित बाजारों में, संबंधित उपकरण/बुनियादी ढांचे के लिए प्रति मंडी 30 लाख रुपए तक की अंतिम सीमा में एक बार तय की गई लागत के रूप में अनुदान भी देगी. बड़ी और निजी मंडियों को भी प्राइस डिस्कवरी (यानी मूल्य निर्धारण) के उद्देश्य के लिए ई-मंच के उपयोग की अनुमति होगी. हालांकि उन्हें उपकरण/बुनियादी ढांचे के लिए किसी भी तरह के धन से मदद नहीं की जाएगी.
ई-मंच के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों को (i) पूरे राज्य में वैध एकल लाइसेंस, (ii) बाजार शुल्क का एकल बिदु लेवी मूल्य और (iii) प्राइस डिस्कवरी के लिए एक साधन के रूप में इलेक्ट्रॉनिक नीलामी का प्रावधान के रूप में ये तीन पूर्व सुधारों को अपनाने की जरूरत होगी. परियोजना के तहत सहयोग पाने के लिए केवल वही राज्य और केंद्रशासित प्रदेश योग्य होंगे जो इन तीन पूर्व अपेक्षित मांगों को पूरा करेंगे.
ई-विपणन मंच का उद्देश्य कृषि विपणन क्षेत्र में सुधारों को बढ़ावा देना होना चाहिए और देश भर में कृषि-पदार्थों के मुक्त प्रवाह को बढ़ावा देने के अलावा किसानों की संतुष्टि को अधिकतम करना भी होना चाहिए क्योंकि इससे किसान के उत्पादन के विपणन की संभावनाएं काफी बढेंगी. उसकी विपणन संबंधी सूचनाओं तक बेहतर पहुंच होगी और उनके पास अपने उत्पादों की बेहतर कीमत पाने के लिए ज्यादा कुशल पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी विपणन का मंच होगा जो पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया के जरिए राज्य के भीतर और बाहर भी बड़ी संख्या में खरीददारों तक उनकी पहुंच बनाएगा. इससे किसानों की गोदाम आधारित बिक्री के जरिए बाजार तक पहुंच में भी बढ़ोत्तरी होगी और इस प्रकार मंडी तक अपने उत्पादों को भेजने की जरूरत नहीं रहेगी.
पृष्ठभूमि:
“ कृषि-तकनीक मूलभूत सुविधा कोष” और राष्ट्रीय विपणन को स्थापित करने के लिए क्रमशः साल 2014 और 2015 में लगातार किए गए बजट की घोषणाओं के बाद, डीएसी ने कृषि-तकनीक मूलभूत सुविधा कोष (एटीआईएफ) की मदद से राष्ट्रीय कृषि बाजार के संवर्धन के लिए एक योजना तैयार की है.
देश भर में ई-मंच के जरिए कृषि बाजारों के एकीकरण को मौजूदा कृषि बाजार व्यवस्था द्वारा पेश की गई चुनौतियों, खासतौर पर बहु-विपणन क्षेत्र में राज्य का विखंडन जिसमें प्रत्येक को अलग अलग एपीएमसी द्वारा व्यवस्थित किया जाता है, मंडी शुल्क के विविध स्तर, विभिन्न एपीएमसीज में व्यापार के लिए बहु लाइसेंस प्रणाली की जरूरत, लाइसेंस से जुड़ी एकाधिकार जैसी स्थिति की ओर ले जाती हैं, बुनियादी ढांचे की बुरी हालत और तकनीक, सूचना विषमता का कम इस्तेमाल, कीमत निर्धारण की अपारदर्शी प्रक्रिया, बाजार परिवर्तन का उच्च स्तर, गति नियंत्रण का कम इस्तेमाल आदि समस्याओं को हल करने की ओर उठाए गए महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है.
यहां राज्य और देश के स्तर पर बाजार को एकीकृत करने, स्पष्ट तौर पर किसानों को बेहतर मूल्य प्रदान करने के लिए, आपूर्ति शृंखला को बेहतर बनाने के लिए, बर्बादी को रोकने के लिए और राष्ट्रीय स्तर पर एकीकृत बाजार की स्थापना के लिए आम ई-मंच के प्रावधान की जरूरत है.