कोविड-19 मरीजों में बुखार, सूखी खांसी, थकान, स्वाद और गंध का चला जाना सामान्य तौर पर पाए जाने वाले सबसे प्रमुख लक्षण हैं। इसके अलावा गले में खरास, सिर और बदन दर्द, डायरिया, त्वचा पर धब्बे और आंख में लालिमा जैसे भी लक्षण कुछ संक्रमितों में पाए गए हैं। अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत आपको आइसोलेट हो जाना चाहिए। यह जानकारी एम्स दिल्ली के डॉ. नीरज निश्चल ने कोविड-19 रोगियों के लिए “होम आइसोलेशन में दवा और देखभाल” पर आयोजित वेबिनार के दौरान दी। वेबिनार का आयोजन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के उत्कृष्टता केंद्र द्वारा किया गया था।
डॉ नीरज ने कहा 80 प्रतिशत संक्रमित मरीजों में बेहद हल्के लक्षण होते हैं। ऐसी स्थिति मेंयदि आरटी-पीसीआर परीक्षण निगेटिव आता है, लेकिन लक्षण मौजूद हैं, तो दूसरी बार परीक्षण कराया जाना चाहिए। किसी संक्रमित को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता है, यह बीमारी की गंभीरता के आधार पर तय किया जाना चाहिए। दवाओं को उचित मात्रा में और सही समय पर लेना चाहिए। दवा के बारे में जानना ही काफी नहीं है। मरीजों को यह भी पता होना चाहिए कि उन्हें कैसे और कब लेना है, तभी यह फायदेमंद साबित होगा।
60 वर्ष से अधिक आयु के रोगियों और उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, गुर्दे और फेफड़ों से संबंधित पुरानी बीमारियों जैसे रोगियों के लिए घर पर आइसोलेशन का फैसला डॉक्टरों से परामर्श करने के बाद ही लिया जाना चाहिए।
यहां कोविड-19 से संक्रमित मरीजों के लिए इलाज के लिए कुछ उपाय दिए गए हैं।
नियमित दवाएं लेनी चाहिए, स्वच्छता और सफाई की आवश्यकताओं को पूरा किया जाना चाहिए। मेडिकल ग्रेड मास्क पहले से स्टॉक किया जाना चाहिए। हमें हर रोज की जरूरतों के आधार पर तैयारी करनी चाहिए और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी के लिए, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, हॉटलाइन आदि के लिए जरूरी फोन नंबरों की सूची तैयार करनी चाहिए। इसके साथ ही आपातकालीन स्थितियों के लिए दोस्तों, परिवार के अन्य सदस्यों और पड़ोसियों के संपर्क नंबर भी संभाल कर रखने चाहिए। परिवार में बच्चों की भी उचित देखभाल और योजना बनानी चाहिए।
हल्के और बिना लक्षण वाले मरीजों को घर पर आइसोलेशन में रखा जाना चाहिए। ऐसे रोगियों को परिवार के अन्य सदस्यों, विशेषकर बच्चों से सुरक्षित दूरी बनाए रखने का अत्यधिक ध्यान रखना चाहिए। आवश्यक दवाएं रोगियों को आसानी से उपलब्ध होनी चाहिए। देखभाल करने वाले और डॉक्टर के बीच उचित और नियमित संचार आवश्यक है। पॉजिटिव मरीजों को हमेशा तीन लेयर मास्क पहनना चाहिए। मास्क को हर 8 घंटे में उचित सैनिटाइजेशन के बाद फेंक देना चाहिए। रोगी और देखभाल करने वाले दोनों को एक दूसरे के साथ बातचीत करते समय एन-95 मास्क पहनना चाहिए।
शरीर में ऑक्सीजन के स्तर की निगरानी के लिए पल्स ऑक्सीमीटर का उपयोग बहुत सावधानी से करना चाहिए। ऑक्सीमीटर इस्तेमाल करने से पहले कृत्रिम नाखून या नेल पॉलिश को हटा देना चाहिए। अगर मरीज का हाथ ठंडा है तो और उसे गर्म करना चाहिए। ऑक्सीजन की जांच करने से पहले कम से कम पांच मिनट आराम करें। यदि मीटर में आंकड़ा पांच सेकंड के लिए स्थिर है, तो यह आपके शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को दर्शाता है। रेमडेसिविर को कभी भी घर में नहीं लेना चाहिए। डॉ. नीरज ने कहा कि होम आइसोलेशन में मरीजों के लिए सकारात्मक सोच और नियमित व्यायाम जरूरी है।
यदि ऑक्सीजन का स्तर 94 से नीचे चला जाता है, तो रोगी को भर्ती किया जाना चाहिए,। “उपचार के दौरान हल्के लक्षण वाले कोविड-19 रोगियों के लिए संशोधित दिशानिर्देश” के बारे में बोलते हुए एम्स दिल्ली के डॉ. मनीष ने कहा, ऑक्सीजन के स्तर की जांच करते समय रोगी की उम्र और अन्य पुरानी बीमारियों को ध्यान में रखा जाना चाहिए।डॉ. मनीष ने आइवरमेक्टिन के उपयोग के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इसका इस्तेमाल, रोग प्रतिरोधक क्षमता और रोगी की विशिष्ट स्थितियों पर निर्भर करता है। पेरासिटामॉल के उपयोग के लिए भी इन्हीं बातों का ध्यान रखना चाहिए। इसलिए इसे केवल डॉक्टरों द्वारा बताई गई दवा ही लेनी चाहिए।
फैबीफ्लू के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा, कोविड-19 उपचार के संबंध में महाराष्ट्र सरकार के दिशानिर्देशों में फैबीफ्लू के उपयोग का उल्लेख है। सिफारिश ग्लेनमार्क द्वारा 150 रोगियों पर किए गए शोध पर आधारित है लेकिन आइवरमेक्टिन दिशानिर्देशों में शामिल नहीं है।
कई मरीज एजिथ्रोमाइसिन के उपयोग पर जोर देते हैं, लेकिन दिशानिर्देश स्पष्ट रूप से इन गोलियों के उपयोग को हतोत्साहित करते हैं। रेविडॉक्सके बारे में भी यही निर्देश दिए गए हैं। डॉक्टर ने कहा कि होम आइसोलेशन में रेविडॉक्स का इस्तेमाल करने की सलाह नहीं दी गई है।चर्चा के दौरान दोनों विशेषज्ञों ने साफ तौर पर कहा कि होम आइसोलेशन के दौरान बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा नहीं लेनी चाहिए।