लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से सूखे के कारण फसलों की हुई व्यापक
क्षति की भरपाई के लिये भरपूर सहायता देने का अनुरोध किया है। उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा सूखाग्रस्त क्षेत्रों में चलाये जा रहे विशेष राहत कार्याें की जानकारी देते हुए पेयजल सहित अन्य परियोजनाओं को पूरा करने के लिए आवश्यक धनराशि शीघ्र अवमुक्त कराये जाने की भी अपेक्षा की।
मुख्यमंत्री सूखे के सम्बन्ध में आज नई दिल्ली में आहूत एक बैठक में प्रधानमंत्री के साथ विचार-विमर्श कर रहे थे। उन्होंने सूखे से उत्पन्न स्थिति से प्रधानमंत्री को विस्तार से अवगत कराते हुए कहा कि वर्ष 2015 में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से किसानों की फसलों को व्यापक नुकसान हुआ था। इसके बाद सूखे की स्थिति से राज्य के किसानों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश सरकार अपने सीमित वित्तीय संसाधनों से किसानों की मदद कर रही है, लेकिन इस महत्वपूर्ण कार्य में केन्द्र सरकार की भागीदारी और सहयोग जरूरी है। उन्होंने प्रभावित किसानों एवं आम जनता को राहत पहुंचाने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों की जानकारी देते हुए भारत सरकार से ज्यादा से ज्यादा धनराशि स्वीकृत करने का अनुरोध किया।
श्री यादव ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि राज्य सरकार द्वारा ओलावृष्टि मेमोरेण्डम-2015 द्वारा 7543.14 करोड़ रुपये का अनुरोध किया गया था। इसके विपरीत मात्र 2801.59 करोड़ रुपये की धनराशि राज्य सरकार को प्राप्त हुई है। उन्होंने अवशेष धनराशि 4741.55 करोड़ रुपये स्वीकृत करने का अनुरोध किया, जिससे समस्त प्रभावित किसानों को कृषि निवेश अनुदान मद की धनराशि उपलब्ध करायी जा सके।
सूखा मेमोरेण्डम-2015 के तहत मांगी गयी धनराशि का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 2057.79 करोड़ रुपये के सापेक्ष 934.32 करोड़ रुपये की धनराशि ही प्राप्त हुई है। उन्होंने प्रधानमंत्री से अवशेष धनराशि 1123.47 करोड़ रुपये शीघ्र स्वीकृत करने का अनुरोध किया, ताकि समस्त प्रभावित किसानों को कृषि निवेश अनुदान मद की धनराशि वितरित की जा सके और सूखा के प्रभाव को कम करने के लिए योजनाएं संचालित की जा सकें।
श्री यादव ने राज्य आपदा मोचक निधि के सम्बन्ध में भारत सरकार के 8 अप्रैल, 2015 के आदेश की ओर प्रधानमंत्री का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि इसमें यह व्यवस्था है कि सूखा प्रभावित परिवारों को 90 दिन तक खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा सकता है। इस अवधि को राज्य कार्यकारिणी समिति द्वारा बढ़ाया जा सकता है, परन्तु कुल व्यय प्राविधानित धनराशि के 25 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। उन्होंने इस सम्बन्ध में 25 प्रतिशत की सीमा तथा 90 दिनों की सीमा को भारत सरकार से शिथिल किये जाने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने यह भी अवगत कराया कि राज्य आपदा मोचक निधि के सम्बन्ध में भारत सरकार के 8 अप्रैल, 2015 के आदेश में यह व्यवस्था भी है कि मात्र लघु एवं सीमान्त कृषकों के पशुओं को चारा देने का प्राविधान है। उन्होंने भूमिहीन कृषकों के पशुओं को चारा देने हेतु इस प्राविधान को शिथिल किये जाने का भी अनुरोध किया।
श्री यादव ने यह भी अवगत कराया कि रबी 2015-16 हेतु मेमोरेण्डम-वर्ष 2015 में प्रदेश में उत्पन्न हुई सूखे की स्थिति से मिट्टी में नमी न होने के कारण, खरीफ 2015-16 में कुछ जनपदों में बुवाई सामान्य से काफी कम रही। इस सम्बन्ध में राहत प्रदान करने के लिए भारत सरकार को 1261 करोड़ रुपये का मेमोरेण्डम राज्य सरकार द्वारा प्रेषित किया गया है। उन्होंने इस धनराशि को स्वीकृत किये जाने की मांग की है।
मुख्यमंत्री ने बुन्देलखण्ड एवं विंध्याचल में मनरेगा के तहत 200 मानव दिवस की सीमा निर्धारित करने तथा अन्य जनपदो के लिए 150 मानव दिवस किये जाने की मांग की। उन्होंने बुन्देलखण्ड क्षेत्र में मजदूरी दर बढ़ाकर 250 से 300 रुपये प्रतिदिन किये जाने तथा 2015-16 के लिए अवशेष मैटीरियल कम्पोनेण्ट की धनराशि तथा वर्ष 2015-16 की लाइबिलिटी के सापेक्ष 389.35 करोड़ रुपये की धनराशि निर्गत किये जाने का भी अनुरोध किया। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा लिये गये लोन के सापेक्ष 300 करोड़ रुपये की धनराशि जारी करने की भी अपेक्षा की।
श्री यादव ने बुन्देलखण्ड के सभी परिवारों को खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 के अन्तर्गत आच्छादित करने हेतु प्रतिमाह 6974.99 मी0टन गेहूं तथा 9221.88 मी0टन चावल का अतिरिक्त आवंटन जरूरी बताया। उन्होंने बुन्देलखण्ड की भौगोलिक परिस्थितियों के कारण इस क्षेत्र के सर्फेस स्रोत आधारित 24 पेयजल परियोजनाओं हेतु 1689.38 करोड़ रुपये लागत के, राज्य सरकार द्वारा नीति आयोग को प्रेषित प्रस्ताव पर, शत-प्रतिशत वित्त पोषण की स्वीकृति एवं धनराशि अवमुक्त किये जाने की अपेक्षा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार द्वारा बुन्देलखण्ड क्षेत्र में रेलवे के माध्यम से पानी पहुंचाने का प्रस्ताव किया गया है। उन्होंने अवगत कराया कि वर्तमान में वहां जलाशयों में पानी की पर्याप्त उपलब्धता है तथा राज्य सरकार द्वारा कुल 801 टैंकरों एवं अन्य माध्यमों से पेयजल की आपूर्ति की जा रही है। उन्होंने भारत सरकार से अनुरोध किया कि 10 हजार टैंकर्स के लिए धनराशि अवमुक्त की जाये।
श्री यादव ने सूखा प्रभावित जनपदों में नहरों से सम्बन्धित विभिन्न कार्याें हेतु 61 करोड़ रुपये तथा नलकूपों व लिफ्ट कैनाल के सुदृढ़ीकरण हेतु 73.27 करोड़ रुपये, इस प्रकार कुल 134.27 करोड़ रुपये, अतिरिक्त धनराशि की आवश्यकता बतायी। उन्होंने राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत आम, अमरूद, आंवला, केला, नींबू, लीची आदि की खेती करने के लिए किसानों को निःशुल्क पौध उपलब्ध कराने के लिए 14.55 करोड़ रुपये की योजना को शीघ्र अनुमोदित किये जाने का भी अनुरोध किया है। उन्होंने बुन्देलखण्ड के 7 जनपदों में स्थापित राहत शिविरों में पशुपालकों को राहत दिये जाने के लिए 60.20 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत करने की मांग की।
श्री यादव ने राज्य सरकार द्वारा किसानों को राहत देने के लिए उठाये गये विभिन्न कदमों की जानकारी देते हुए कहा कि ओलावृष्टि-2015 से प्रभावित 73 जनपदों के 1 करोड़ 7 लाख किसानों को 4493 करोड़ रुपये की धनराशि वितरित की गयी है। इसके अलावा, सूखा-2015 प्रभावित 21 जनपदों को 1006.03 करोड़ रुपये की धनराशि मंजूर की गयी है, जिसमें भारत सरकार से प्राप्त 934.32 करोड़ रुपये की धनराशि भी शामिल है। प्रभावित किसानों को यह धनराशि वितरित किये जाने की कार्यवाही युद्धस्तर पर की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने सूखा-2015 से निपटने हेतु की गयी कार्यवाही का विवरण देते बताया कि अन्त्योदय लाभार्थियों में से जिन परिवारों को आजीविका प्राकृतिक आपदा (सूखा) से प्रभावित हुई है, उन परिवारों को विशेष सहायता के रूप में राहत पैकेट वितरित किया जा रहा है। इस पैकेट में 10 किलोग्राम आटा, 25 किलोग्राम आलू, 5 किलोग्राम चने की दाल, 5 लीटर सरसों का तेल, 01 किलोग्राम शुद्ध देशी घी तथा 01 किलोग्राम मिल्क पाउडर पहले के 30 दिनों के लिए वितरित किया जा रहा है।
श्री यादव ने बताया कि आगामी 30 दिनों के लिए अन्त्योदय लाभार्थियों में से जिन परिवारों की आजीविका गम्भीर रूप से प्रभावित हुई है, उन परिवारों को राहत पैकेट, जिसमें 10 किलोग्राम आटा, 25 किलोग्राम आलू, 5 किलोग्राम चने की दाल, 5 लीटर सरसों का तेल, 01 किलोग्राम शुद्ध देशी घी, 01 किलोग्राम मिल्क पाउडर, 10 किलोग्राम चावल, 01 किलोग्राम आयोडीन युक्त नमक, 01 किलोग्राम चीनी तथा 200 ग्राम हल्दी पाउडर वितरित किये जाने का निर्णय लिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बुन्देलखण्ड के 7 जनपदों में पशुओं को चारा दिये जाने की व्यवस्था की गयी है। बुन्देलखण्ड के समस्त जनपदों के ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घण्टे विद्युत आपूर्ति के निर्देश दिये गये हैं। खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत पात्रों को 2 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से गेहूं तथा 3 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से चावल उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके साथ ही, बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पात्र लाभार्थियों को समाजवादी पेंशन योजना से शत-प्रतिशत आच्छादित किया जा रहा है।
श्री यादव ने बताया कि प्रदेश में सूखे के प्रबन्धन हेतु विभिन्न विभागों द्वारा आपस में बेहतर समन्वय करके परियोजनाओं को पूरा किया जा रहा है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में वर्षा जल संचयन हेतु 12.21 करोड़ रुपये की खेत तालाब योजना स्वीकृत की गयी है। इसके तहत 2,000 तालाबों का लक्ष्य है। यह योजना बुन्देलखण्ड के सातों जनपदों के सभी ब्लाॅकों में चलायी जा रही है। किसानों को अपना उत्पाद बिक्री करने हेतु बुन्देलखण्ड क्षेत्र में भारत सरकार की सहायता से 7 विशिष्ट मण्डियों तथा 133 ग्रामीण अवस्थापना केन्द्रों का निर्माण कराया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लघु सिंचाई परियोजनाओं के बारे में अवगत कराते हुए कहा कि बुन्देलखण्ड के 7 जनपदों में 17 निःशुल्क बोरिंग, 583 मध्यम गहरी बोरिंग, 276 गहरी बोरिंग व 59 रिचार्जिंग चेकडैम बनाने की कार्ययोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। इसके अलावा, 8098 डगवैल निर्माण के लक्ष्य के विपरीत 7926 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं। मुख्यमंत्री जल बचाव अभियान के अन्तर्गत चन्द्रावल एवं लखेरी नदी के पुनर्जीवन/पुनरुद्धार हेतु कार्य कराये जा रहे हैं।
श्री यादव ने कहा कि सिंचाई विभाग द्वारा आर0आर0आर0 वाटर बाॅडीज के तहत 9 तालाबों एवं टैंकों में पुनस्र्थापना कार्य कराया जा रहा है। अर्जुन सहायक परियोजना के तहत जनपद हमीरपुर, महोबा एवं बांदा लाभान्वित होंगे। इस परियोजना से 44381 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता सृजित किये जाने का प्रस्ताव है। बाण सागर नहर परियोजना से जनपद मिर्जापुर एवं जनपद इलाहाबाद लाभान्वित होंगे। इस परियोजना से 1.50 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता सृजित होगी। वाराणसी शहर में वरुणा नदी के चैनलाइजेशन एवं तटीय विकास की परियोजना संचालित करने का प्रस्ताव है।
मुख्यमंत्री ने ग्राम्य विकास विभाग द्वारा पेयजल आपूर्ति के लिए संचालित योजनाओं की जानकारी देते हुए कहा कि वित्तीय वर्ष 2016-17 में बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति हेतु 2300 करोड़ रुपये का प्राविधान किया गया है। पेयजल की समस्या की समाधान के लिए टैंकरों के माध्यम से पेयजल आपूर्ति हेतु 10 करोड़ रुपये का प्राविधान किया गया है। इसके साथ ही, बुन्देलखण्ड के 95 ग्राम पंचायतों के वाॅटर ए0टी0एम0 के माध्यम से पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था की गयी है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र के सभी जनपदों में कुल 440 वाॅटर टैंकर खरीदने के लिए 9.94 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं।
श्री यादव ने बताया कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र के 7 जनपदों में वर्ष 2015-16 के लिए निर्धारित लक्ष्य 160.88 के सापेक्ष 195.65 लाख मानव दिवस सृजित किए गए हैं, यह उपलब्धि लक्ष्य का 122 प्रतिशत है।