नई दिल्ली: इस अवसर पर अपने संबोधन में, राष्ट्रपति ने कहा कि फिलीस्तीनी लोगों के साथ भारत की एकजुटता और फिलीस्तीन पक्ष के लिए इसका सैद्धांतिक समर्थन हमारे अपने स्वतंत्रता संघर्ष में निहित है।
उन्होंने कहा कि भारत हमेशा फिलीस्तीनी पक्ष को प्रोत्साहन देने में आगे रहा है, भारत ने 1947 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलीस्तीन के विभाजन के खिलाफ मत दिया था। उन्होंने कहा कि भारत ने 1974 में फिलीस्तीनी लोगों के एकमात्र और वैध प्रतिनिधि के रूप में पीएलओ को मान्यता दी थी। 1988 में, भारत ने पहले गैर-अरब देश के तौर पर फिलीस्तीन राज्य को मान्यता दी थी। 2012 में, संयुक्त राष्ट्र द्वारा फिलीस्तीन को राज्य का दर्जा दिये जाने की मुहिम का भारत ने नेतृत्व किया था। भारत ने पिछले माह संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय पर फिलीस्तीन का झंडा फहराये जाने के सफल संकल्प का भी समर्थन किया। भारत ने संयुक्त राष्ट्र के 53वें सत्र के दौरान “आत्म-निर्णय के लिए फिलीस्तीनियों के अधिकार’’ विषय पर एक मसौदा प्रस्ताव को सह-प्रायोजित किया था। भारत ने इसके बाद इसराइल द्वारा बनाई जा रही विभाजन दीवार के निर्माण के खिलाफ अक्टूबर, 2003 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया और इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसके बाद आने वाले प्रस्तावों का समर्थन भी किया। भारत ने यूनेस्को के एक पूर्ण सदस्य के रूप में फिलिस्तीन को स्वीकार करने के पक्ष में मतदान किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि फिलिस्तीन के लोगों की शांति, समृद्धि और इनकी मजबूत नींव तथा फिलीस्तीनी लोगों के विकास के लिए भारत और भी दृढ़ता से कदम उठाएगा। राष्ट्रपति ने कहा कि फिलिस्तीन की उनकी यात्रा के उद्देश्यों में से एक, भारत और फिलिस्तीन के संबंधों की भविष्यगत रूपरेखा के लिए सुझाव देना है। हालांकि, भारत का फिलिस्तीन के संदर्भ में अपनी परंपरागत नीति का पालन करना जारी है, लेकिन भारत का मानना है कि इस साझेदारी की रूपरेखा को तीन प्रमुख स्तंभों-करीबी राजनीतिक वार्ता, गहरे आर्थिक संबंध, शैक्षिक सहयोग के साथ-साथ व्यापक सांस्कृतिक संपर्क और लोगों से लोगों के बीच आदान-प्रदान से और मजबूत किया जा सकता है।
इस अवसर पर राष्ट्रपति पर ने अल-कुद्स विश्वविद्यालय में भारत-चेयर की स्थापना की घोषणा की। उन्होंने कहा कि भारत ने फिलीस्तीन में शिक्षा को बढ़ावा देने में हमेशा प्रसन्नता जताई है । इन वर्षों में, करीब 12,000 फिलिस्तीनी छात्र भारतीय विश्वविद्यालयों से स्नातक की उपाधि प्राप्त कर चुके हैं और उनमे से कई को भारत सरकार द्वारा छात्रवृत्ति की पेशकश की है। आज, ये छात्रों दोनों देशों के बीच एक सेतु के रूप में काम कर रहे हैं।