लखनऊः उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री, श्री सुरेश कुमार खन्ना ने आज यहां गोमती नगर स्थित नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालय में आयोजित राज्य ऋण संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश के वर्ष 2021-22 के लिए स्टेट फोकस पेपर का विमोचन किया। इस कार्यक्रम के साथ साथ ‘ग्रामीण समृद्धि सम्मान समारोह’ भी आयोजित किया गया, जिसमें उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले नाबार्ड के हितधारकों स्वयं सहायता समूहों, संयुक्त देयता समूहों, गैर सरकारी संगठनों, प्रशिक्षण संस्थानों, बैंकों को वित्त मंत्री द्वारा सम्मानित किया गया। वित्त मंत्री ने 100 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों को बहु सेवा सुविधाओं हेतु मंजूरी पत्र और एक एफपीओ को मोबाइल वैन प्रदान की।
वित्त मंत्री को अवगत कराया गया कि प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए, राज्य फोकस पेपर में वर्ष 2021-22 के लिए स्वल्पावधि एवं दीर्घावधि ऋण सम्भाव्यता का आकलन क्षेत्रवार और उपक्षेत्र वार किया गया है। भारत सरकार द्वारा घोषित आत्मनिर्भर पैकेज के अंतर्गत कृषि ग्रामीण और असंगठित क्षेत्रों के मह्त्व को ध्यान मे रखते हुए वर्ष 2021-22 के लिए ऋण सम्भाव्यता का आंकलन वर्तमान में 2 लाख करोड के ऊपर किया गया है। वर्ष 2021-22 के लिए रु. 3.10 लाख करोड़ ऋण सम्भाव्यता आकलित की गई है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 05 प्रतिशत अधिक है। किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए फसल उत्पादन हेतु ऋण सम्भाव्यता रु.1.43 लाख करोड (46 प्रतिशत) आंकलित की गई है। कृषि और अनुषंगी क्षेत्रों, जैसे जल संसाधन, कृषि यंत्रीकरण, बागान, बागवानी, वानिकी, डेयरी, कुक्कुट पालन, मत्सय पालन के तहत ऋण सम्भाव्यता रु.33,400 करोड़ आकलित की गई है। अन्य आकलनों में एमएसएमई हेतु रु. 84,240 करोड़, ग्रामीण आवासन हेतु रु.14,582 करोड़, नवीकरणीय ऊर्जा हेतु रु.702.01 करोड़ और सामाजिक आधारभूत संरचना हेतु रु.2602 करोड़ के आकलन शामिल हैं।
वित्त मंत्री ने अपने संबोधन में राज्य के सभी 75 जिलों के लिए संभाव्यतायुक्त ऋण योजनाएं (पीलपी) तैयार करने के लिए और प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र की गतिविधियों के अंतर्गत ऋण सम्भाव्यता के आकलन के लिए नाबार्ड की प्रशंसा की। उन्होंने बैंकरों को सलाह दी है कि वे किसानों को ऋण प्रदान करने मे सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं। उन्होने यह भी कहा कि किसानो को सुगम एवं अधिक से अधिक ऋण उपलब्ध कराना केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने “वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट” दृष्टिकोण को अपनाया है और राज्य मे इसके विकास की अपार सम्भावनाएं हैं। उन्होने बैंकरों से अपेक्षा की कि वे इस क्षेत्र को मुद्रा (डन्क्त्।) जैसी योजनाओं के अंतर्गत सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुये वित्तीय सहायता प्रदान करें। सभी बैंकर राज्य में जमीनी स्तर पर ऋण प्रवाह में तेजी लाएं और अधिक ऋण-जमा अनुपात बनाने का प्रयास करें। श्री खन्ना ने केसीसी के जरिए फसल ऋण के अंतर्गत आकलित पर्याप्त ऋण संभाव्यता पर अपना संतोष प्रकट किया, जो पीएम-किसान के सभी लाभार्थियों को केसीसी के अंतर्गत लाने की राज्य सरकार की नीति के अनुरूप है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि कृषक उत्पादक संगठनों को व्यवसायिक संस्था के रूप मे विकसित कर किसानों की आय को बढाने की जरूरत है। इससे 2024 तक किसानों की आय को दोगुना करने के सपने को साकार किया जा सकेगा।
नाबार्ड के मुख्य महाप्रबन्धक श्री शंकर ए पांडे ने कहा कि स्टेट फोकस पेपर में निर्धारित ऋण आकलन आधार स्तर से तैयार किए जाते हैं, जिसके आधार पर एसएलबीसी राज्य के लिए वार्षिक साख योजना तैयार करती है। उन्होंने उत्तर प्रदेश कृषि निर्यात नीति, कृषि उपकरण बैंक, बेहतर बीज प्रतिस्थापन अनुपात प्राप्त करने हेतु बीज प्रसंस्करण केंद्रों की स्थापना (इसके लिए कृषक उत्पादक संगठन भी पात्र हैं), भण्डारण और प्रसंस्करण सुविधाएं, दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र आदि के लिए नीति निर्माण में राज्य सरकार की सक्रिय भूमिका की सराहना की। उन्होंने कृषि क्षेत्र मे पूंजी निर्माण और संधारणीय विकास हेतु निवेश ऋण को बढ़ाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि डेयरी, सुअर पालन, मत्सय पालन और मशरूम उत्पादन से संबंधित परियोजनाओं के निधीयन पर भी अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने उल्लेख किया कि भारतीय रिजर्व बैंक ने नाबार्ड को रु. 25,000 करोड़ विशेष तरलता सुविधा प्रदान की है, इसमें से उत्तर प्रदेश को रु. 1730 करोड़ दिए गए। उत्तर प्रदेश सहकारी बैंक (यूपीसीबी) को रु. 700 करोड़, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को रु. 875 करोड़ और रु. 155 करोड़ सूक्ष्म वित्त संस्थानों को संवितरित किए गए हैं। नाबार्ड की ई-शक्ति पोर्टल से बैंकों को स्वयं सहायता समूहों व संयुक्त देयता समूहों से संबंधित आंकड़े प्राप्त करने और उन्हें ऋण सुविधाएं प्रदान करने में सहायता मिल रही है। अब तक उत्तर प्रदेश के 28 जिले ई-शक्ति परियोजना के अंतर्गत शामिल हैं।
श्री पांडे ने प्रतिभागियों को कोविड-19 महामारी के दौरान ग्रामीण जनता और किसानों की सहायता हेतु नाबार्ड द्वारा की गई विभिन्न पहलों के बारे में अवगत कराया। नाबार्ड से सहायता प्राप्त स्वयं सहायता समूहों व कृषक उत्पादक संगठनों ने मास्क बनाकर लोगों को मुफ्त मे बांटा। नाबार्ड की सहायता से प्राप्त जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों के मोबाईल वैन ने लॉकडाउन के दौरान वित्तीय सेवाओं को सुचारू रूप से संचालित करने में मदद की। संवर्धित कृषक उत्पादक संगठनों ने सब्जियों और अन्य खाद्य उत्पादों की होम डिलीवरी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राज्य फोकस पेपर की तैयारी की प्रक्रिया, ऋण संभाव्यता से संबंधित विवरण, मुद्दे, सुझाव आदि के सम्बंध मे एक प्रस्तुतीकरण किया गया। इसे प्रस्तुत करते हुए श्री सुनील कुमार, महाप्रबंधक, नाबार्ड ने नाबार्ड की विभिन्न संवर्धनात्मक पहलों, बैंकों द्वारा ऋण वितरण को बढ़ाने के लिए की गई पहलों और जमीनी स्तर पर ऋण समामेलन क्षमता को बढ़ाने हेतु किए गए प्रयासों को चिन्हांकित किया।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव, वित्त, श्री संजीव कुमार मित्तल, अपर मुख्य सचिव, सहकारिता, श्री एम.वी.एस. रामी रेड्डी. महानिदेशक, संस्थागत वित्त, श्री शिव सिंह यादव, संयोजक, एसएलबीसी श्री ब्रजेश कुमार सिंह सहित बैंकर और राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।