नई दिल्ली: पूर्वोत्तर राज्यों की समीक्षा बैठक गुवाहाटी, असम में आयोजित हुई। इस कार्यशाला में खुले में शौच से मुक्ति की स्थिति, ठोस और तरल कचरा प्रबंधन तथा ग्रामीण जलापूर्ति की स्थिति पर चर्चा की गई। हिमाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम की टीमों ने समीक्षा में हिस्सा लिया।
इस अवसर पर पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के सचिव श्री परमेश्वरन अय्यर ने इस दिशा में केन्द्र और राज्यों के संयुक्त प्रयासों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि लोगों की आदतों में बदलाव लाने पर लगातार ध्यान दिया जाना चाहिए और इस दिशा में लोगों के साथ सम्पर्क करना चाहिए। उन्होंने कहा कि साफ-सफाई की आदतों को पिछले कई वर्षों के दौरान विकसित किया गया है और जरूरत इस बात की है कि उसे आगे भी जारी रखा जाए।
खुले में शौच से मुक्त राज्यों की टीमों ने अपने प्रयासों के बारे में बताया। सिक्किम देश का पहला खुले में शौच से मुक्त राज्य है। राज्य की टीम ने ठोस और तरल कचरा प्रबंधन पहलों की जानकारी दी। जो राज्य खुले में शौच से मुक्त नहीं हैं, उन्होंने प्रतिबद्धता जाहिर की कि वे दिसम्बर 2018 तक खुले में शौच से मुक्त हो जाएंगे।
पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के विशेष परियोजना महानिदेशक श्री अक्षय राउत ने कहा कि इस दिशा में प्रयासों को लगातार जारी रखना बहुत जरूरी होता है और इसकी लगातार निगरानी की जानी चाहिए। पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री वी. राधा ने कहा कि घरेलू पानी के कनेक्शन का दायरा बढ़ाने की जरूरत है। समीक्षा बैठक में उप महानिदेशक श्री हिरण्य बोरा, संयुक्त सचिव श्री समीर कुमार और प्रतिभागी राज्यों के मिशन निदेशकों ने हिस्सा लिया। असम के उपायुक्तों ने वीडियो कॉन्फेंसिंग के जरिए केन्द्रीय टीम से बातचीत की। बैठक के बाद पूरे पूर्वोत्तर के प्रतिष्ठित मीडिया कर्मियों और मीडिया घरानों के साथ वार्ता की गई।