लखनऊ:उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री डा0 महेन्द्र सिंह ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि प्रदेश में बाढ़ से बचाव प्रबंधन हेतु सुनियिोजित मास्टर प्लान तैयार करते हुए ठोस कार्ययोजना बनायी जाये, जिससे बाढ़ से हर साल होने वाली जन-धन की हानि को कम से कम किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि बाढ़ की दृष्टि से संवेदनशील 42 जनपदों से संबंधित सभी नदियों का गहनता से अध्ययन कराकर इसके निष्कर्षों को कार्यायोजना में शामिल किया जाए और इसके आधार पर तेजी से कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।
जलशक्ति मंत्री आज यहां विधान भवन के कक्ष संख्या-80 में बाढ़ से बचाव हेतु तैयार की जाने वाली कार्ययोजना के संबंध में गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग के अध्यक्ष श्री मंजीत सिंह ढिल्लों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गंगा व बड़ी नदियों के कारण आने वाली बाढ़ की समस्या का स्थायी समाधान व बेहतर समन्वय के लिए पटना स्थित गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग का मुख्यालय लखनऊ स्थानान्तरित किए जाने के लिए तत्काल कार्यवाही शुरू की जाए।
डा0 महेन्द्र सिंह ने कहा कि बचाव हेतु तैयार की जाने वाली मास्टर प्लान की कार्ययोजना पर तत्परता से कार्यवाही की जाए। इसके साथ ही नदियों के व्यवहार का अध्ययन के लिए जो भी नवीनतम तकनीक उपलब्ध हो उसका उपयोग किया जाए। उन्होंने कहा कि बाढ़ के संबंध में अभी कोई अध्ययन/सर्वे नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि अध्ययन के पश्चात जो ठोस कार्ययोजना तैयार की जाए उसके आधार पर किए जाने वाले कार्यों को समयबद्ध तथा चरणबद्ध ढंग से पूरा किया जाए। इसके अलावा योजना तैयार करते समय भविष्य की आवश्यकताओं का भी ध्यान रखा जाए।
जलशक्ति मंत्री ने कहा कि प्रदेश में गंगा, यमुना, सरयू, सई, गोमती आदि बड़ी नदियां हैं। बरसात के दिनों में तेजी से पानी के साथ गाद/मिट्टी बहकर आती है, जिससे नदी का तल उथला होता है और पानी बड़े क्षेत्र में फैलकर तवाही मचाता है। इसके साथ ही बड़े पैमाने पर कटान होती है और बांध आदि क्षतिग्रस्त होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कटान वाले स्थानों की मिट्टी का परीक्षण भी किया जाना चाहिए। उन्होंने शारदा नदी को गोमती नदी से जोड़ने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि इससे बाढ़ की विभीषिका कुछ हद तक कम हो जायेगी और सई तथा गोमती नदियों में पानी आने से यह पुनर्जीवित हो सकेंगी। उन्होंने कहा कि रिवर बेसिन का अध्ययन करते समय इस विषय को भी उसमें शामिल किया जाना चाहिए।
डा0 महेन्द्र सिंह ने कहा कि उ0प्र0 में माननीय मुख्यमंत्री जी की प्रेरणा से बाढ़ नियंत्रण के लिए अनूठी पहल की गई है। इसके तहत बाढ़ से बचाव के लिए निर्माण कार्य जनवरी से ही शुरू करके मई तक पूरा करा लिया गया है। जिसके फलस्वरूप मौजूदा सरकार के कार्यकाल में बाढ़ से कोई जन-धन हानि नहीं हुई है और बाढ़ से प्रभावित होने वाले क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कमी आई है। उन्होंने कहा कि बाढ़ के समय सतत निगरानी के चलते तटबन्ध सुरक्षित रहे। उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग द्वारा तटबन्धों की निगरानी के लिए 91 स्थानों पर कैमरे लगाये गये थे, जिसके फलस्वरूप बाढ़ से नुकसान नहीं हुआ और टतबन्ध सुरक्षित रहे। उन्होंने यह भी कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी के ड्रेजिंग व चैनलाइजेशन के लिए दिए गए निर्देशों के कारण बाढ़ को कम करने तथा तटबन्धों को बचाने में सफलता प्राप्त हुई। उन्होंने कहा कि गंगा बाढ़ नियंत्रण कमीशन के अध्यक्ष श्री मंजीत सिंह ढिल्लो से अपेक्षा किया कि आयोग के कार्यालय को यथाशीघ्र लखनऊ में स्थापित किए जाने की कार्यवाही सुनिश्चित करायें।
गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग के अध्यक्ष श्री मंजीत सिंह ढिल्लो ने कहा कि गंगा के पूरे बेसिन का अध्ययन किया जाना चाहिए। उन्होंने प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि फ्लड फाइटिंग के लिए उ0प्र0 में सराहनीय कार्य हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कई शहरों को स्मार्टसिटी का दर्जा दिया जाना है। इसको दृष्टिगत रखते हुए तैयारी की जानी चाहिए। इसके अलावा नदियों के किनारे का ड्रोन के माध्यम से सर्वे कराकर संवेदनशील क्षेत्रों का चिन्ह्ाकन कर लिया जाए। साथ ही बनायी जाने वाली कार्ययोजना में बाढ़ लाने वाले सभी कारकों का अध्ययन किया जाए। बैठक में उपस्थित प्रमुख सिंचाई एवं जलसंसाधन श्री अनिल गर्ग ने भी सुझाव दिए तथा सूचना प्रणाली संगठन के प्रमुख अभियन्ता श्री नवीन कपूर ने कार्ययोजना के बारे में विस्तार से प्रस्तुतीकरण किया।
इस मौके पर प्रमुख अभियन्ता एवं विभागाध्यक्ष श्री वी0के0 निरंजन, प्रमुख अभियन्ता परिकल्प एवं नियोजन श्री ए0के0 सिंह, गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग के सदस्य तथा कई जनपदों के अधीक्षण अभियन्ता उपस्थित रहे।