लखनऊ: बिजली मनुष्य की बुनियादी आवश्यकताओं में से एक है। क्या गाँव क्या शहर, आज बिजली सभी जगह समान रूप से अनिवार्य है।बिजली, सड़क, इस्पात उद्योग आदि भौतिक अवसंरचनाएं हैं। औद्योगीकरण के इस युग मंे किसी भी राष्ट्र में उद्योगों के विकास हेतु बिजली, सड़क एवं इस्पात का बुनियादी महत्व है। इनमें भी बिजली का स्थान सर्वोपरि हैं, क्योंकि विद्युत ही उद्योगों की बड़ी-बड़ी मशीनों को चलाने के लिए शक्ति का कार्य करती है। इसके साथ ही विद्युत की आवश्यकता रेलों को चलाने, अस्पतालों, विद्यालयों, रात्रि में सड़कों पर प्रकाश, घरेलू विद्युत यंत्रों आदि के लिए भी होती है। शहरों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी आज विद्युत का महत्व समान रूप से बढ़ गया है क्योंकि कृषि सिंचाई में अब डीजल पम्पों के स्थान पर विद्युत पम्पों का प्रयोग बहुतायत में होने लगा है। इसके साथ ही केन्द्र सरकार एवं प्रदेश सरकार की विकास योजनाओं का क्रियान्वयन गाँवों में केन्द्रित होने से भी गाँवों में विद्युत की माँग बढ़ी है। गाँवों में स्थित स्कूलों में पढ़ाई की आवश्यकता हो या कृषि की आवश्यकताएं अब प्रदेश के गाँव-गाँव में भी विद्युत की माँग बढ़ने लगी है। विद्युत के बिना विकास की कल्पना भी संभव नही हैं। आज विकास और विद्युत साहचर्य रखते हैं।
उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार द्वारा प्रदेश में विद्युत की उपलब्धता बढ़ाने तथा सभी को बिजली पहुँचाने के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही है। प्रदेश सरकार के प्रयास से प्रदेश के सभी आबाद 01 लाख 04 हजार 636 राजस्व गाँव एवं 02 लाख 84 हजार मजरे विद्युतीकृत किए जा चुके हैं। इस प्रकार प्रदेश के हर गाँव, हर मजरे में बिजली पहुँचायी जा चुकी हैै। प्रदेश सरकार के विद्युत विभाग द्वारा 02 करोड़ 93 लाख 52 हजार उपभोक्ताओं को नियमित विद्युत कनेक्शन प्रदान किये गए हैं। ‘‘सहज बिजली हर घर योजना‘‘ (सौभाग्य) के तहत प्रदेश के 01 करोड़ 41 लाख घरों को निःशुल्क विद्युत कनेक्शन दिये गये हैं। इस प्रकार सौभाग्य योजना के तहत प्रदेश मे विद्युतीकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की गयी है। सौभाग्य योजना के तहत ही प्रदेश के दूरस्थ एवं दुर्गम ग्रामों/मजरों में अविद्युतीकृत घरों में विद्युतीकरण हेतु 53800 से भी अधिक सोलर संयंत्र स्थापित किये गये है। प्रदेश की वर्तमान सरकार द्वारा विद्युत के क्षेत्र में किये गये सुधारों का परिणाम हुआ है कि अब जिला मुख्यालयों में 24 घंटे, तहसील मुख्यालयों में 22 घंटे व ग्रामीण क्षेत्रों में 18 से 20 घंटे बिजली आपूर्ति की जा रही है। अब गाँव भी रोशनी से जगमग होने लगे हैं तथा लोगों को जीवन यापन में आसानी हो रही है। बच्चों को रात्रि में पढ़ने-लिखने के लिए अतिरिक्त समय भी मिल रहा है।
प्रदेश मे विगत साढ़े चार वर्षों में 06 हजार मेेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता का विकास किया जा चुका है। एवं इस प्रकार प्रदेश मे वर्तमान में कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 28422 मेगावाट हो गयी है। प्रदेश को विद्युत के क्षेत्र मे आत्मनिर्भर बनाने तथा सभी को बिजली पहुॅचाने के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के संकल्प को साकार करने हेतु 8262 मेगावाट की विभिन्न विद्युत उत्पादन परियोजनाएं अंतिम चरण में है एवं शीघ्र ही इनसे विद्युत उत्पादन होने लगेगा।
प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के निर्देशन व मार्गदर्शन में ग्रामीण क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए संकल्पित है। एवं गाँवों को बिजली से रोशन करना इसका महत्वपूर्ण भाग है। इसी क्रम में किसानों और ग्रामीणों को सस्ती बिजली देने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा 12,500 करोड़ रूपए की सालाना सब्सिडी दी जा रही है। इससे किसानों को 1.20 रूपये प्रति यूनिट बिजली प्राप्त हो रही है। बुन्देलखण्ड के किसानों को बिजली बिल के फिक्स चार्ज में 50 प्रतिशत से 75 प्रतिशत तक की छूट दी जा रही है, जिससे उनपर विद्युत बिल का बोझ कम से कम पड़े एवं वे तनाव रहित होकर कृषि कार्य में ध्यान दे पाए। विद्युत नीति के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रांसफार्मर खराब होने के 48 घण्टे के अन्दर मरम्मत या नये ट्रांसफार्मर की स्थापना सुनिश्चित की गयी है। शहरी क्षेत्रों में 24 घण्टे के अन्दर खराब ट्रांसफार्मर की मरम्मत या नये ट्रांसफार्मर की स्थापना की जा रही है। प्रदेश के सभी क्षेत्रों में अनवरत विद्युत आपूर्ति हेतु नए विद्युत उपकेन्द्रों की स्थापना की गयी है जबकि अनेक विद्युत उपकेन्द्रों की क्षमता वृद्धि की गयी है। किसानों के 39000 से ज्यादा निजी नलकूपों के बिजली बिल पर सम्पूर्ण सरचार्ज माफ कर उन्हें राहत दी गयी है। प्रदेश के किसानों की समृद्धि हेतु कृषि उपभोक्ताओं के लिए अधिकतम भार प्रबन्धन की विद्युत आपूर्ति हेतु 2200 से ज्यादा ग्रामीण फीडरों को अलग किया गया है। मुख्यमंत्री समग्र ग्राम्य विकास योजना के तहत ग्रामों में मार्ग प्रकाश की व्यवस्था हेतु 13790 से भी अधिक सोलर स्ट्रीट लाइट की स्थापना की गयी है और इस तरह गाँव की सड़के भी अब रात्रि में रोशन होने लगी है। पं0 दीन दयाल उपाध्याय सोलर स्ट्रीट लाइट योजना के तहत प्रदेश के ग्रामीण बाजारों में 25700 से अधिक सोलर स्ट्रीट लाइट लगायी गयी हैं जिससे ग्रामीण बाजार भी रोशनी से जगमग हो रहे हैं एवं व्यापार व आवागमन की सहूलियतें बढ़ रही है।
देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी किसान, जो हमारे अन्नदाता हैं, उनकी समृद्धि एवं सम्पन्नता बढ़ाने के लिए प्रारम्भ से ही संकल्पित एवं कार्यरत है। इसके लिए किसानों की आय में बढ़ोत्तरी करने की आवश्यकता एवं उद्देश्य के अन्तर्गत प्रधानमंत्री किसान उर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान के तहत कृषकों को अपनी अनुपजाऊ/बंजर भूमि पर 02 मेगावाट क्षमता तक के सोलर पावर प्लान्ट की स्थापना की सुविधा भी सरकार द्वारा दी जा रही है। उत्तर प्रदेश एक बड़ा प्रदेश है। प्रदेश में जैव अपशिष्टों से जैव उर्जा उत्पादन की अपार क्षमताएं है। जिनका दोहन किया जाकर कृषकों की उर्जा समस्या को भी हल किया जा सकता है एवं उनकी आय में वृद्धि कर उनकी खुशहाली भी सुनिश्चित की जा सकती है। इसी के दृष्टिगत प्रदेश में जैव अपशिष्टों से जैव ऊर्जा के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए जैव ऊर्जा नीति-2018 के अन्तर्गत प्रदेश की वर्तमान सरकार द्वारा जैव ऊर्जा की 14 परियोजनाओं हेतु 2492 करोड़ रूपए का निवेश स्वीकृत किया गया है। जो जैव ऊर्जा के कुशल उपयोग को बढ़ाने का कार्य करेगा। परम्परागत ऊर्जा स्त्रोतो पर दबाव कम करने व नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने की नीति के तहत प्रदेश की वर्तमान सरकार द्वारा प्रदेश में सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा हैं। इसके अन्तर्गत प्रदेश में सौर ऊर्जा उत्पादन बढ़कर अब 1350 मेगावाट होगया है। नयी सौरऊर्जा नीति के तहत 1535 मेगावाट सौर ऊर्जा की स्थापना के 7500 करोड़ रूपए के प्रस्ताव स्वीकृत किये जा चुके है। सौर ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में सौर ऊर्जा इकाई की स्थापना पर स्टाम्प शुल्क में शत-प्रतिशत छूट प्रदान की जा रही है। वाणिज्यिक भवनों एवं सरकारी भवनों में ऊर्जा बचत हेतु ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता 2018 लागू की जा चुकी है। प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में स्वच्छ जल की आपूर्ति हेतु अबतक 3400 सोलर आर0ओ0 वाटर प्यूरिफायर संयंत्रों की स्थापना की जा चुकी है। धार्मिक एवं आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण श्री राम नगरी ‘अयोध्या‘ जो प्रदेश में पर्यटन के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, की विद्युत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अयोध्या को सौर सिटी के रूप में विकसित करने की प्रदेश सरकार की योजना है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में भारत सरकार द्वारा 30000 नलकूपों का सौर ऊर्जीकरण हेतु स्वीकृति प्रदान की गयी है। बुन्देलखण्ड प्रदेश का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इस क्षेत्र में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने व विद्युत आपूर्ति बढ़ाने के लिए 4000 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाएं संचालित की जा रही है।
प्रदेश के निवासियों में विद्युत की बचत करने की प्रवृति का विकास करने तथा परम्परागत बल्ब के स्थान पर ऊर्जा दक्ष एल0ई0डी0 बल्ब के उपयोग को बढ़़ानेे हेतु केन्द्र सरकार द्वारा चलायी जा रही ‘उजाला योजना‘ (उन्नत ज्योति बाई अफोर्डेबल एल0ई0डी0 फॉर ऑल) के अन्तर्गत प्रदेश में अब तक 02 करोड़ 60 लाख 81 हजार से भी अधिक एल0ई0डी0 बल्ब का वितरण किया जा चुका है। इससे प्रदेश में विद्युत मांग में सालाना 700 मेगावाट की कमी आयी है तथा 3385 मिलियन यूनिट बिजली एवं 1355 करोड़ रूपये की बचत की गयी हैं।
विगत साढ़े चार वर्षों में प्रदेश सरकार द्वारा विद्युत के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की गयी है। प्रदेश की वर्तमान सरकार ‘‘सबका साथ-सबका विकास-सब का विश्वास‘‘ की नीति पर चलते हुए सभी के घरों को रोशन करने का कार्य कर रही है। जब गाँव-गाँव, घर-घर बिजली से रोशन होंगे, सौर ऊर्जा से जगमगाएंगें तो प्रदेश की समृद्धि एवं समाज में सुख की स्थापना सुनिश्चित होगी। गाँवों के स्कूल हो या बाजार-हाट या गाँव की सड़क,े अब प्रदेश में सर्वत्र प्रकाश फैलाने का उत्तर प्रदेश सरकार का यह कार्य सबके जीवन में उजाला ला रहा है।