19 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

केन्द्र सरकार के दिशा-निर्देशों के तहत होगा प्रदेश में सोलर पावर परियोजनाओं का आवंटन

उत्तर प्रदेश

लखनऊः उत्तर प्रदेश शासन ने सोलर पावर परियोजनाओं का आवंटन केन्द्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार करने का निर्णय लिया है। इसके तहत अब आमंत्रित प्रतिस्पर्धात्मक विडिंग के माध्यम से किया जायेगा।

यह जानकारी प्रदेश के अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग के प्रमुख सचिव श्री आलोक कुमार ने दी। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार के दिशा-निर्देशों के तहत राज्य सरकार ने भी उ0प्र0 सौर ऊर्जा नीति-2017 के कतिपय प्राविधानों में संशोधन कर दिया है। सौर ऊर्जा वितरण लाइसेन्सी को सोलर पावर विद्युत के लिए सोलर पावर स्टैण्ड अलोन परियोजना स्थापित करनी होगी। सोलर पावर की परियोजनाओं की स्थापना हेतु नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) को नोडल एजेन्सी नामित किया गया है। उन्होंने बताया कि सोलर पावर परियोजनाओं की क्षमता किसी एक स्थल पर पांच किलोवाट की निर्धारित की गयी है।

प्रमुख सचिव ने बताया कि बुन्देलखण्ड एवं पूर्वांचल क्षेत्र में स्थापना के लिए पांच किलोवाट की अधिक क्षमता की सोलर पावर परियोजनाओं की ग्रिड संयोजन हेतु अधिकतम पारेषण लाइन के निर्माण की लागत का व्यय राज्य सरकार द्वारा वहन किया जायेगा। पारेषण लाइन पांच से दस मेगावाट क्षमता हेतु दस किलोमीटर, 10-50 मेगावाट क्षमता हेतु 15 किलोमीटर तथा 50 मेगावाट के लिए 20 किलोमीटर की दूरी तय की गयी है। इस पारेषण लाइन के निर्माण की लागत सरकार वहन करेगी। उन्होंने बताया कि सौर ऊर्जा विकासकर्ता द्वारा पारेषण लाइन का निर्माण उ0प्र0 पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन लि0/वितरण अनुज्ञप्ति धारी पर्यवेक्षक से शुल्क जमा कराने के पश्चात ही प्रारम्भ किया जायेगा। सौर ऊर्जा विकासकर्ता द्वारा द्विपथ/एकपथ लाइन का निर्माण आवश्यकतानुसार किया जा सकेगा।

श्री कुमार ने बताया कि सौर ऊर्जा विकासकर्ता द्वारा निर्मित की जाने वाली लाइन पर प्रोत्साहन राशि पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन लि0 /वितरण अनुज्ञप्ति धारी द्वारा संबंधित वर्ष में प्रति किलोमीटर लाइन निर्माण के लिए जारी की गयी दर अनुसूची के अनुसार एवं वास्तविक निष्पादित लागत से जो भी कम हो, देय होगी। उन्होंने बताया कि यह अनुदान प्रोत्साहन धनराशि परियोजना विकासकर्ता को नोडल एजेन्सी द्वारा प्रतिपूर्ति के रूप में पारेषण लाइन निर्माण और परियोजना प्रारम्भ होने के उपरान्त सी.ओ.डी. प्राप्त होने पर अवमुक्त की जायेगी।

प्रमुख सचिव ने बताया कि सौर ऊर्जा विकासकर्ता को प्रतिपूर्ति के रूप में देय अनुदान धनराशि का आकलन और ऊर्जा विकासकर्ता द्वारा निर्माण से संबंधित पारेषण कार्य के सत्यापन के आधार पर किया जायेगा। उन्होंने बताया कि वाणिज्यिक परिचालन तिथि (सीओडी) के पश्चात सौर ऊर्जा विकासकर्ता द्वारा निर्मित लाइन का स्वामित्व उ0प्र0 पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन लि0 /वितरण अनुज्ञपित धारी का होगा। इसका परिचालन एवं अनुरक्षण ट्रांसमिशन कारपोरेशन द्वारा किया जायेगा।

श्री कुमार ने बताया कि सौर ऊर्जा विकासकर्ता द्वारा द्विपथ टावर पर एकल पथ लाइन का निर्माण किया जाता है, तो इस दशा में ट्रांसमिशन कारपोरेशन लि0 /वितरण अनुज्ञपित धारी द्वारा इसी टावर पर दूसरी लाइन का निर्माण करने की अनुमन्यता होगी और विकासकर्ता की आपत्ति स्वीकार्य नहीं की जायेगी। उन्होंने बताया कि यदि नियोजन इकाई द्वारा यह प्रस्तावित किया जाता है कि सौर ऊर्जा विकासकर्ता द्वारा लाइन का किसी केन्द्र पर लीलो किया जाता है, तो ऐसी दशा में भी विकासकर्ता की कोई आपत्ति स्वीकार नहीं होगी। उन्होंने बताया कि कम क्षमता की परियोजना की एक साथ पावर पूलिंग की व्यवस्था अनुमन्य होगी।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More