नई दिल्ली: कोयला मंत्रालय ने स्टील सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज (सीपीएसई) को दो कोकिंग कोयला खदानों, रोहने और रोबोडीह का आवंटन किया है। कोयला खान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 के तहत किए गए इस आवंटन से झारखंड में स्थित इन खदानों से प्रति वर्ष लगभग 10 मीट्रिक टन से अधिक उत्पादन के साथ-साथ देश में कोकिंग कोयले के उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा। आयातित कोयले पर स्टील उद्योग की निर्भरता को कम करने की दिशा में भी यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
राष्ट्रीय खनिज विकास निगम लिमिटेड को कोयले की बिक्री के लिए रोहने की कोयला खदान का आवंटन किया गया है और यह नगरनार में एनएमडीसी के आगामी स्टील प्लांट में कोकिंग कोयले के कैप्टिव उपयोग के उद्देश्य को भी पूर्ण करेगा।
राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड को रोबोडीह ओसीपी कोयला खदान का आवंटन लौह और इस्पात के कैप्टिव उपयोग के लिए किया गया है।
इन खदानों के जीवन काल के दौरान, राज्य सरकार के लिए अन्य लागू करों एवं रॉयलटी के अलावा लगभग 7000 करोड़ रुपए का राजस्व उत्पन्न किया जा सकेगा। कोयले की धुलाई के लिए एनएमडीसी और आरआईएनएल दोनों अपनी-अपनी वाशरियों की स्थापना करेंगी।
यह आबंटन उन 5 कोयला खदानों के अलावा है, जिन्हें सफल बोलीदाताओं को आवंटित किया गया है और 6 कोयला खदानों को सार्वजनिक क्षेत्रों की इकाइयों को आवंटित किया गया है। कुल मिलाकर, 13 खदानें प्रति वर्ष कोयले की घरेलू उपलब्धता में 35 मीट्रिक टन से अधिक की बढ़ोतरी करेंगी। रॉयल्टी और लागू करों के अलावा, यह खदानें राज्य सरकारों के लिए अपने जीवनकाल में लगभग 31000 करोड़ रुपए का राजस्व उत्पन्न करेंगी।