लखनऊ: विवाह आदि मांगलिक कार्यों का मुहूर्त वैशाख कृष्ण पक्ष द्वितीया से प्रारंभ होकर पूरा ज्येष्ठ मास और आषाढ़ कृष्ण पक्ष दशमी तक नहीं है इसका मुख्य कारण है शुक्र का अस्त होना जो 29 अप्रैल 2024 को पूर्व दिशा में अस्त हो रहे हैं। इसके बाद गुरु का भी अस्त पश्चिम दिशा में 6 मई 2024 को काशी पंचांग के अनुसार हो रहा है।
वामा एप के फाउंडर आचार्य देव ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार विवाह आदि मांगलिक कार्यों के लिए गुरु और शुक्र का उदित होना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वर के लिए शुक्र ग्रह का और कन्या के लिए गुरु ग्रह का बहुत महत्व है। इन्हीं ग्रहों के अस्त होने के कारण मुंडन मुहूर्त, गृह प्रवेश, गृह निर्माण, उपनयन संस्कार और द्विरागमन आदि मुहूर्त का अभाव हो गया है। शास्त्रों में वैशाख, ज्येष्ठ और आषाढ़ मास की बड़ी महिमा बताई गई है मांगलिक कार्यों के लिए लेकिन इन मुख्य ग्रह के अस्त होने के कारण इस बार मुहूर्त का अभाव हो गया है।
माघे धनवती कन्या फाल्गुने सुभगा भवेत् ।
वैशाखे च तथा ज्येष्ठे पत्युरत्यन्तवल्लभा ।।
आषाढ़े कुलवृद्धिः स्यादन्ये मासाश्च वर्जिताः ।
मार्गशीर्षमपीच्छन्ति विवाहे केऽपि कोविदाः।।
आचार्य देव ने यह भी बताया कि शास्त्र में लिखा है विवाह मास की महिमा के बारे में जिसमे वैशाख, ज्येष्ठ और आषाढ़ मास के बारे लिखा है कि वैशाख मास एवं ज्येष्ठा मास में विवाह होने से कन्या पति की प्रिया होती है। आषाढ़ मास में कन्या का विवाह करने से कुल की वृद्धि करने वाली होती है। कितना महत्व दिया है शास्त्र ने इन मासों का लेकिन इन दो मुख्य ग्रह के अस्त होने के कारण इस बार विवाह मुहूर्त का अभाव हो गया है।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए वामा एप के फाउंडर आचार्य देव ने कहा कि शास्त्रों में तीन अबूझ मुहूर्त बताया गया है उसमें एक अबूझ मुहूर्त जो 10 मई 2024 को अक्षय तृतीया के रूप में मिल रहा है। इस दिन लोग विवाह, वर वरण, कन्या वरण, तिलकोत्सव गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य कर सकते हैं।
गुरु ग्रह का उदय 3 जून 2024 को पूर्व दिशा में हो रहा है और शुक्र ग्रह का उदय 28 जून 2024 को पश्चिम दिशा में हो रहा है। 1 जुलाई 2024 को शुक्र ग्रह की बालत्व निवृत्ति के बाद विवाह मुहूर्त प्रारंभ होंगे। इसलिए काशी के पंचांगों में 2 जुलाई से विवाह के मुहूर्त मिल रहे हैं जो 15 जुलाई 2024 तक विवाह का मुहूर्त है। पंचांगों के अनुसार जुलाई में कुल 10 विवाह के मुहूर्त हैं। मई और जून के महीने में इसीलिए विवाह के मुहूर्त के साथ-साथ अन्य मुहूर्त का भी अभाव है। सवा दो महीने महीना तक इसीलिए कोई भी विवाह का मुहूर्त किसी भी पंचांग में आपको नहीं मिलेगा।
वर और कन्या की कुण्डली मेलापक के बाद ज्योतिषाचार्य शुभ मुहूर्त निकालते हैं जिसमें शुभ दिन,तिथि, नक्षत्र, योग, करण और चक्रशुद्धि विवाह के लिए जरूरी होता है।
आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष एकादशी 17 जुलाई 2024 को है। इस दिन को हरिशयन एकादशी के नाम से जाना जाता है जिसे श्रीहरिशयनी एकादशी भी कहते हैं। इसी दिन से चातुर्मास का प्रारंभ हो जाएगा। चातुर्मास में विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। चार महीनों तक विवाह के मुहूर्त का अभाव है। कार्तिक मास शुक्ल पक्ष एकादशी को हरिप्रबोधनी एकादशी 12 नवम्बर 2024 को है। इसी दिन से चातुर्मास की समाप्ति हो जाएगी। इसके बाद नवम्बर 2024 में विवाह के मुहूर्त पंचांग में दिए हुए हैं।