19.9 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

जीएसटी मुआवजे की कमी को पूरा करने के लिए राज्यों को जारी रकम एक लाख करोड़ पहुंची

देश-विदेशव्यापार

वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) मुआवजे की कमी को पूरा करने के लिए शुक्रवार को राज्यों को 5,000 करोड़ रुपये की 17वीं किश्त जारी की है। इसमें से 4,730.41 करोड़ रुपये की राशि 23 राज्यों को तथा 269.59 करोड़ रुपये की राशि विधानसभा वाले 3 केंद्र शासित प्रदेशों (दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और पुदुचेरी) को प्रदान की गई है, जो जीएसटी परिषद के सदस्य हैं। बकाया पांच राज्यों – अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड और सिक्किम में जीएसटी कार्यान्वयन के कारण राजस्व का कोई अंतर नहीं है।

अभी तक, राज्यों और विधानसभा वाले केंन्द्र शासित प्रदेशों को कुल अनुमानित जीएसटी मुआवजे की कमी की 91 प्रतिशत राशि जारी की जा चुकी है। इसमें से 91,460.34 करोड़ रुपये की राशि राज्यों को और विधानसभा वाले तीन केंद्र शासित प्रदेशों को 8,539.66 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।

भारत सरकार ने जीएसटी कार्यान्वयन के कारण पैदा हुई 1.10 लाख करोड़ रुपये की कमी को पूरा करने के लिए अक्टूबर 2020 में एक विशेष उधार विंडो स्थापित की थी। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से भारत सरकार द्वारा इस विंडो के माध्‍यम से ऋण लिया जा रहा है। 23 अक्टूबर, 2020 से शुरू होने के बाद अब तक ऋण के 17 दौर पूरे हो चुके हैं।

विशेष विंडो के तहत, भारत सरकार 3 साल और 5 साल के कार्यकाल के लिए सरकारी स्टॉक में उधार ले रही है। प्रत्येक टेनर के तहत किए गए उधार को जीएसटी क्षतिपूर्ति की कमी के अनुसार सभी राज्यों में समान रूप से विभाजित किया गया है। वर्तमान जारी राशि के साथ, 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 5 साल के लिए लंबित जीएसटी अनुपात समाप्त हो गया है। ये राज्य/ केंद्रशासित प्रदेश को पहली किस्त से जीएसटी क्षतिपूर्ति जारी की जा रही थी।

इस सप्ताह जारी की गई राशि राज्यों को उपलब्ध कराई गई धनराशि की 17वीं किश्त थी। इस सप्ताह यह राशि 5.5924 प्रतिशत की ब्याज दर पर उधार ली गई है। अभी तक केंद्र सरकार द्वारा इस विशेष उधार विंडो के माध्यम से 4.8307 प्रतिशत की औसत ब्याज दर पर 1,00,000 करोड़ रुपये की राशि उधार ली गई है।

जीएसटी के कार्यान्वयन के कारण राजस्व में हुई कमी को पूरा करने के लिए विशेष ऋण विंडो के माध्यम से धन उपलब्ध कराने के अलावा भारत सरकार ने जीएसटी मुआवजे की कमी को पूरा करने के लिए विकल्प-1 चुनने वाले राज्यों को उनके सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 0.50 प्रतिशत के बराबर अतिरिक्त ऋण लेने की अनुमति भी दी है, ताकि इन राज्यों की अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने में मदद की जा सके। सभी राज्यों ने विकल्प-1 के लिए अपनी प्राथमिकता दी है। इस प्रावधान के तहत 28 राज्यों को 1,06,830 करोड़ रुपये (जीएसडीपी का 0.50 प्रतिशत) की पूरी अतिरिक्त राशि उधार लेने की अनुमति दी गई है।

28 राज्यों को दी गई अतिरिक्त ऋण अनुमति की राशि और विशेष विंडो के मार्फत जुटाई गई निधियों की राशि तथा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अभी तक जारी की गई राशि यहां संलग्न है।

राज्यवार जीएसडीपी की 0.50 प्रतिशत की अतिरिक्त ऋण की अनुमति और 19 फरवरी, 2021 तक विशेष विंडो के मार्फत जुटाई गई तथा राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को दी गई धनराशि –

                                          (करोड़ रुपये में)

क्रसं. राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के नाम राज्यों को अनुमति दी गई 0.50 प्रतिशत अतिरिक्त ऋण की राशि विशेष विंडो के मार्फत जुटाई गई और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की दी गई धनराशि
1 आंध्र प्रदेश 5051 2222.71
2 अरुणाचल प्रदेश* 143 0.00
3 असम 1869 956.04
4 बिहार 3231 3755.77
5 छत्तीसगढ़ 1792 2143.75
6 गोवा 446 807.89
7 गुजरात 8704 8869.60
8 हरियाणा 4293 4185.66
9 हिमाचल प्रदेश 877 1651.39
10 झारखंड 1765 1164.60
11 कर्नाटक 9018 11932.82
12 केरल 4,522 4304.12
13 मध्य प्रदेश 4746 4368.43
14 महाराष्ट्र 15394 11519.31
15 मणिपुर* 151 0.00
16 मेघालय 194 107.73
17 मिजोरम* 132 0.00
18 नगालैंड* 157 0.00
19 ओडिशा 2858 3675.95
20 पंजाब 3033 6239.58
21 राजस्थान 5462 4081.71
22 सिक्किम* 156 0.00
23 तमिलनाडु 9627 6002.53
24 तेलंगाना 5017 1940.95
25 त्रिपुरा 297 217.34
26 उत्तर प्रदेश 9703 5777.46
27 उत्तराखंड 1405 2227.49
28 पश्चिम बंगाल 6787 3307.51
कुल (): 106830 91460.34
1 दिल्ली लागू नहीं 5640.89
2 जम्मू-कश्मीर लागू नहीं 2185.16
3 पुदुचेरी लागू नहीं 713.61
कुल (बी): लागू नहीं 8539.66
कुल योग (+बी) 106830 100000.00

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More