नई दिल्ली: नई दिल्ली स्थित शास्त्री भवन में उत्तराखण्ड के पेयजल एवं शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी से भेंट की। केंद्रीय मंत्री से मुलाकात कर श्री नैथानी ने कहा कि राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान पूर्णतः भारत सरकार द्वारा पोषित योजना है, उत्तराखण्ड अपने यहां योजना को सबसे पहले संचालित करने वाला देश का प्रथम राज्य है, वर्ष 2009-10 से उत्तराखण्ड में राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान कार्यक्रम संचालन के लिए वार्षिक कार्ययोजना एवं बजट स्वीकृत किया गया। श्री नैथानी ने कहा कि उत्तराखण्ड की विषम भौगोलिक परिस्थितयों या किसी भी प्राकृतिक आपदा के दौरान विद्यालय राज्य में सरकारी विद्यालयों के भवन ही एक मात्र ऐसा स्थान होता है जहां प्रभावित लोगों को सुरक्षा की प्रदान किये जाने के लिए रखा जाता है इसलिए विद्यालय भवनों को सुरक्षित व सुदृढ़ीकरण करन को राज्य की प्राथमिकता बताते हुए इन भवनों के सदृढ करने के लिए केंद्र से अनुदान राशि शीघ्र दिये जाने की मांग की। साथ ही राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान में केन्द्राश एवं राज्यांश का अनुपात 75ः25 है, जिसकों कि पूर्वाेत्तर राज्यों की भांति 90ः10 किये जाने की भी मांग की।
श्री नैथानी ने बैठक में केन्द्रीय मंत्री को अवगत कराते हुए कहा कि भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के लिए वर्ष 2014-15 में रूपये 86.17 करोड़ की वार्षिक कार्ययोजना एवं बजट अनुमोदित किया गया, जिसमें से मात्र रूपये 69.18 करोड़ की धनराशि केन्दांश एवं राज्यांश के रूप में अवमुक्त की गई है। वर्ष 2014-15 मंे शिक्षक वेतन, उन्नति कार्यक्रम तथा शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम जैसी विभिन्न योजनाओं जो कि केंद्र से अनुमोदित थे राज्य में इनको सम्पादित किया गया, लेकिन भारत सरकार द्वारा इन कार्यक्रमों हेतु अनुमोदित धनराशि अभी तक अवमुक्त नहीं की गई है। योजना की शेष राशि रूपये 10.17 करोड़ की बचनबद्व देयता अवशेष है, जिसमें केन्दांश रूपये 762.99 लाख व राज्यांश रूपये 254.33 लाख सम्मिलित है। अवशेष धन राशि राज्य सरकार को न मिल पाने के कारण शिक्षकों का गत वर्ष के 04 माह का वेतन भुगतान नहीं किया जा सका है। भारत सरकार को पत्र के माध्यम से इस समस्या से अवगत भी कराया गया है।
वहीं श्री नैथानी ने अवगत कराते हुए कहा कि दूसरी ओर भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अंतर्गत निर्माण कार्यो हेतु वर्ष 2013-14 की अनुमोदित धनराशि में से केन्द्रांश की धनराशि रूपये 13.63 करोड़ तथा वर्ष 2014-15 के निर्माण कार्याे हेतु अनुमोदित धनराशि रूपये 57.19 करोड़ अवमुक्त नहीं की गई है। वर्ष 2010-11 में आई0ई0डी0एस0एस0 योजना के अंतर्गत स्वीकृत संसाधन कक्षों की अवशेष धनराशि रूपये 18.70 लाख भारत सरकार द्वारा अवमुक्त की जानी है। साथ ही राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान वर्ष 2015-16 हेतु अनुमोदित अनावर्ती मद में रूपये 9.79 करोड़ की धनराशि अवमुक्त नहीं की गई है। इस प्रकार अनावर्ती मदों में केन्दांश की कुल धनराशि रूपये 86.87 करोड़ भारत सरकार द्वारा अवमुक्त नहीं की गई है इन अलग-अलग योजनाओं का शेष धन केंद्र से न मिल पाने के कारण राज्य कों योजनाओं के संचालन में बाधा हो रही है।
भारत सरकार द्वारा वर्ष 2014-15 हेतु रूपये 80.76 करोड़ की नवीन कार्ययोजना स्वीकृत की गई, जिसमें से आवर्ती मदों के लिए रूपये 68.57 करोड़ अनुमोदित किये गये है, जिसमंे केन्द्रांश रूपये 52.18 करोड़ तथा राज्यांश रूपये 16.39 करोड़ सम्मिलित है। भारत सरकार द्वारा आवर्ती मदों में माह मई-2015 तक केन्द्रांश की धनराशि रूपये 22.98 करोड़ ही अवमुक्त की गई है तथा राज्य सरकार द्वारा केन्द्रांश के सापेक्ष राज्यांश की धनराशि अवमुक्त की दी गई है। यह धनराशि अत्यन्त न्यून है, जिससे परियोजना कार्य क्रियान्वयन में कठिनाई आ रही है।
शिक्षा मंत्री ने विभाग में वर्ष 2009-10 से अभी तक भारत सरकार द्वारा 2308 प्रयोगशाला सहायक एवं कार्यालय सहायक के पदों की स्वीकृति प्रदान किये जाने के बाद वार्षिक कार्ययोजना एवं बजट 2014-15 में 1713 कार्यरत कार्मिकांे का मानदेय भारत सरकार द्वारा स्वीकृत किया गया गया था, किन्तु वार्षिक कार्ययोजना एवं बजट 2015-16 में उक्त मद में धनराशि स्वीकृत न किये जाने के कारण इन कार्मिकों की सेवा को समाप्त करनी पड़ी। उपर्युक्त पद समूह-घ के हैं जिस कारण छठे वेतन आयोग द्वारा इन पदों को सीधी भर्ती से भरने पर प्रतिबंध लगा दिया गया तथा इन पदोें को आउटसोंर्सिग से भरे जाने का प्राविधान किया गया था। इस पर विशेष जोर देते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि इन आउटसोंसिग पदों हेतु मानदेय न दिये जाने के कारण जहां एक ओर विद्यालय में कार्यालय एवं प्रयोगशाला का कार्य प्रभावित हो रहे है, वहीं इनके कर्मचारियों के परिवारों पर भी आर्थिक संकट आ गया है। उन्होंने इन कर्मचारियों के मानदेय पर शीघ्र विचार किये जाने की भी बात कही। शिक्षक वेतन मद में राज्यांश के अतिरिक्त प्रतिशिक्षक लगभग रूपये 13 हजार से अधिक वेतन राज्य सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है। वार्षिक कार्ययोजना एवं बजट 2015-16 में भारत सरकार द्वारा 832 प्रधानाध्यापकों, शिक्षकों का एंट्री लेवल वेतन अनुमोदित किया गया, जबकि वास्तविक रूप से 903 प्रधानाध्यापक एवं शिक्षक कार्य कर रहे है। प्रदेश में राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के विद्यालयों में शिक्षक पदोन्न्त होकर आते हैं, जिनका वास्तविक वेतन एंट्री लेवल वेतन से अधिक होता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में ये 903 अध्यापक भारत सरकार द्वारा अनुमोदित वेतन से अधिक वेतन आहरित कर रहे है, इसका वहन भी भारत सरकार द्वारा किया जाना चाहिए।
शिक्षा मंत्री ने केंद्रीय मंत्री को अवगत कराते हुए कहा कि वर्ष 2015-16 की पी.ए.बी.की बैठक मंें भारत सरकार द्वारा दिये गये दिशा-निर्देशों के अनुपालन में वर्ष 204-15 में 731 विद्यालयों में सम्पन्न कराये गये “उन्नति” कार्यक्रम का थर्ड पार्टी मूल्यांकन करवाये जाने के उपरान्त रिपोर्ट भारत सरकार को पे्रेेषित की जा चुकी है। “उन्नति” कार्यक्रम का लेवल-1 वर्ष 2014-15 में पूर्ण किया जा चुका है एवं लेवल-2 वर्ष 2015-16 में भारत सरकार की अनुमति प्राप्त होने के उपरान्त किया जाना होगा। यह एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है एवं इसकी संस्तुति थर्ड पार्टी मूल्यांकन रिपोर्ट में की गई है। अतः शैक्षिक सत्र 2015-16 के प्रारम्भ में “उन्नति” कार्यक्रम के संचालन की अनुमति भारत सरकार द्वारा प्रदान की जानी है। तथा भारत सरकार द्वारा वर्ष 2015-16 की समेकित वार्षिक कार्ययोजना एवं बजट में कम धनराशि स्वीकृत होने के कारण, एम0एम0ई0आर0 मद में कम से कम धनराशि का प्राविधान हुआ है, जबकि स्वीकृत एम0एम0ई0आर0 से जिला तथा राज्य परियोजना कार्यालय के कार्मिकों का वेतन एवं अन्य कार्यालय व्यय वहन किया जाता है। कम धनराशि होने के कारण परियोजना कामिकों को वेतन आदि दिया जाना सम्मव नहीं होगा। अतः उक्त खर्चो हेतु आवश्यक बजट आंवटित किया जाने की भी मांग की।