नई दिल्ली: दिल्ली में निर्धन और मध्यम वर्ग के लिए आवास की कमी, प्रदूषण, भीड़भाड़ की बढ़ती समस्या के समाधान के लिए शहरी विकास मंत्रालय ने दिल्ली के लिए ट्रांजिट आधारित विकास नीति (टीओडी) को मंजूरी दी है।
शहरी विकास मंत्री श्री एम. वेंकैया नायडू ने इस नीति को मंजूरी दे दी है, जिससे दिल्ली मास्टर प्लान, 2021 की समीक्षा के हिस्से के रूप में दिल्ली की तस्वीर बदलने की उम्मीद है।
टीओडी एक प्रमुख नीति संबंधी पहल है। इसका उद्देश्य नागरिकों के लिए आने-जाने में लगने वाले समय में कमी लाकर, सार्वजनिक परिवहन के इस्तेमाल को बढ़ावा देकर, प्रदूषण और भीड़भाड़ में कमी लाकर, पास-पड़ोस के बीच तालमेल बढ़ाकर, कार्यस्थलों को आवासस्थलों के निकट लाकर, अपने आस पास में सार्वजनिक सुविधाओं का सृजन करके और राष्ट्रीय राजधानी में मास रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (एमआरटीएस) के साथ पुनर्विकास के माध्यम से सुरक्षित वातावरण तैयार करके कार्बन उत्सर्जन, अत्यधिक घनत्व में कमी लाकर भूमि के मिश्रित इस्तेमाल और सतत विकास पर जोर देना है।
महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाये गये 400 के एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) से ऊंचाई तक निर्माण करना संभव होगा, जो भूमि की उपलब्धता में कमी की समस्या के हल के लिए आवश्यक है।
इनफ्लूएंस जोन (एमआरटीएस गलियारों के दोनों ओर 500 मीटर तक विस्तार) के भीतर विकास के लिए टीओडी नीति अपनाई जाएगी, ताकि अधिकतम संख्या में लोग वहां रह कर एमआरटीएस गलियारों/स्टेशनों से मामूली दूरी तक जाकर काम कर सकें और मंनोरंजन का साधन भी प्राप्त कर सकें। हालांकि टीओडी ल्यूटिएंस बंगलो जोन, सिविल लाइंस बंगलो एरिया, ऐतिहासिक स्थल नियमित जोन, जोन ‘ओ’ (यमुना नदी के आस पास) और कम जनसंख्या वाले आवासीय क्षेत्र के लिए लागू नहीं है। टीओडी जोन में कुल मिलाकर दिल्ली का लगभग 20 प्रतिशत क्षेत्र शामिल होगा।
टीओडी नीति के प्रावधानों में शामिल हैं-
• टीओडी जोन के विकास/पुनर्विकास के उत्साहवर्धक परिणाम प्राप्त होंगे क्योंकि संपूर्ण भूमि पर 400 का काफी अधिक एफएआर उपलब्ध होगा।
• एक हेक्टेयर से अधिक भूमि की योजनाओं के लिए अतिरिक्त एफएआर केवल हस्तांतरणयोग्य विकास अधिकार (टीडीआर) के माध्यम से ही प्राप्त की जा सकती है।
• किसी योजना की संपूर्ण तौर पर मंजूर की गई मापन योजना को इनफ्लूएंस जोन में तभी शामिल किया जाएगा जब इनफ्लूएंस जोन के भीतर 50 प्रतिशत से अधिक योजना क्षेत्र आता है।
• कुल एफएआर का न्यूनतम 30 प्रतिशत हिस्सा आवासीय इस्तेमाल के लिए, न्यूनतम 10 प्रतिशत हिस्सा वाणिज्यिक इस्तेमाल के लिए और एफएआर का न्यूनतम 10 प्रतिशत हिस्सा सामुदायिक सुविधाओं के लिए इस्तेमाल किया जाना अनिवार्य होगा। शेष 50 प्रतिशत एफएआर का इस्तेमाल जोनल प्लान में निर्धारित भूमि इस्तेमाल श्रेणी के अनुसार होगा।
• विभिन्न आय वर्गों के लिए आवास की मिश्रित श्रेणियां होंगी, जिसमें साझा सार्वजनिक स्थान/हरियाली/मनोरंजन सुविधा/अन्य सुविधाएं शामिल हैं।
• 30 प्रतिशत एफएआर को शामिल करने वाले अनिवार्य आवासीय घटक में 65 वर्ग मीटर अथवा उससे कम क्षेत्र की आवास इकाइयां पूर्णतः शामिल होंगी। एफएआर के इस आधे हिस्से, यानी कुल एफएआर का 15 प्रतिशत हिस्से का इस्तेमाल 32-40 वर्गमीटर के आकार की आवास इकाइयों के लिए किया जाना है। इसके अलावा, 15 प्रतिशत का अनिवार्य अतिरिक्त एफएआर, यानी 60 के एफएआर का इस्तेमाल आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए किया जाएगा। इस वर्ग के लिए आवास इकाइयों का आकार 32-40 वर्ग मीटर के बीच होगा। यह निर्धनों के अनुकूल और मध्यम वर्ग के अनुकूल एक महत्वपूर्ण उपाय है, जिसके बल पर ‘सबके लिए आवास’ अभियान के उद्देश्यों को पूरा करने में आसानी होगी।
दिल्ली विकास प्राधिकरण की ओर से टीओडी नीति के संचालन के लिए विस्तृत विवरण सहित नियमनों को अधिसूचित किया जाएगा।