नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आंध्र प्रदेश और ओडिशा के लिए केन्द्र प्रायोजित राष्ट्रीय चक्रवात जोखिम शमन परियोजना के पहले चरण के लिए संशोधित लागत अनुमानों को आज अपनी मंजूरी दे दी।
इसकी मूल लागत में 835 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है और यह 1496.71 करोड़ रुपये से बढ़कर 2331.71 करोड़ रुपये हो गई है। इससे समुद्री तटों के नजदीक रहने वाले लोगों की चक्रवात सम्बन्धी परेशानियां दूर करने में मदद मिलेगी। आबादी का यह वर्ग आमतौर से गरीब और समाज के कमजोर तबके से है।
केंद्र सरकार विश्व बैंक के ऋण के जरिए 1843.94 करोड़ रुपये के बराबर वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। शेष 487.77 करोड़ रुपये की राशि का योगदान आंध्र प्रदेश और ओडिशा सरकार देगी। इस परियोजना का व्यापक उद्देश्य जोखिम वाले क्षेत्रों में चक्रवात की पूर्व सूचना, ट्रेकिंग और चेतावनी प्रणाली, चक्रवात जोखिम शमन और क्षमता निर्माण प्रदान करना है। इसके लिए निर्मित प्रमुख बुनियादी ढांचे में बहुउद्देश्यीय चक्रवात आश्रय (आश्रय स्थलों और गोदाम सहित तथा घरों की तरफ जाने वाली सड़कें/पुल) और तटबंध (निर्माण और लवणीय तटबंधों का निर्माण और पुनरूद्धार) शामिल हैं।
राज्यों में प्रस्तावित निवेश से समुद्री तट के नजदीक रहने वाले लोगों की सुरक्षा, उन्हें निकालने, उन तक बेहतर पहुंच, बेहतर चेतावनी का प्रसार और तेजी से प्रतिक्रिया के लिए तटीय बुनियादी ढांचा मजबूत करने में मदद मिलेगी। इस परियोजना से ओडिशा में 10.46 लाख लोगों और आंध्र प्रदेश में 7.18 लाख लोगों को लाभ होगा। इससे ओडिशा में 38,296 हेक्टेयर भूमि तथा आंध्र प्रदेश में करीब 12,640 हेक्टेयर भूमि की रक्षा करने में मदद मिलेगी। बढ़ी हुई लागत से इन राज्यों में फेलिन तूफान से निपटने के दौरान हुए अनुभवों के आधार पर चक्रवात जोखिम शमन के लिए अतिरिक्त बुनियादी ढांचों (246 बहुउद्देश्यीय चक्रवात आश्रय स्थलों, 204 किलोमीटर सड़कों और 15 पुलों) का निर्माण हो सकेगा। अक्तूबर 2013 में ये राज्य इस तूफान से प्रभावित हुए थे। अतिरिक्त बुनियादी ढांचे के निर्माण को पूरा करने के लिए परियोजना की समय सीमा 31 जनवरी, 2016 से बढ़ाकर 31 मार्च, 2018 कर दी गई है।
पृष्ठभूमि :
भारत की करीब 7516 किलोमीटर समुद्री तटरेखा में से करीब 5700 किलोमीटर सपाट तटीय भू-भाग है और घनी आबादी वाला यह क्षेत्र चक्रवात की दृष्टि से काफी संवेदनशील है। यहां समुद्र में ऊंची लहरे, तेज हवाएं और भारी बारिश होती है। तटीय रेखा के समुद्र तटीय राज्यों की कुल आबादी के करीब 40 प्रतिशत लोग 100 किलोमीटर के भीतर रहते हैं। तूफान में बार-बार बड़ी संख्या में लोगों की जान जाती है, आजीविका के अवसरों, सार्वजनिक और निजी संपत्ति तथा बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचता है।