नई दिल्ली: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अनिल माधव दवे ने युवा वन अधिकारियों से वानिकी क्षेत्र के प्रति गंभीर और प्रतिबद्ध होने का आग्रह करते हुए जोर दिया कि व्यवस्था को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए जहां तक संभव हो वित्तीय लेनदेन नकदी रहित अथवा कम नकदी में होना चाहिए। उत्तराखंड के देहरादून में कल इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी (आईजीएनएफए) में भारतीय वन सेवा के 2016-2018 बैच के अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम में अपने उद्घाटन संबोधन में मंत्री महोदय ने यह भी संकेत दिया है कि सभी गतिविधियों को डिजीटल बनाने की दिशा में प्रयास किए जाने चाहिए।
इसके पश्चात, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) की अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने कहा कि वन क्षेत्र के आसपास रहने वाले लोगों की आजीविका और आर्थिक स्थिति को बढ़ाने देने के लिए ध्यान अनुसंधान पर केन्द्रित होना चाहिए ताकि लोगों को और अधिक विकसित करते हुए जंगलों के बाहर वृक्ष लगाने के प्रेरित किया जा सके।
एफआरआई के बोर्ड रूम में आईसीएफआरई (अनुसंधान) के महानिदेशक डॉ जी. एस. गोराया और आईसीएफआरई के उपमहानिदेशक डॉ. शशि कुमार द्वारा परिषद की उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं पर एक प्रस्तुति दी गई। मंत्री महोदय ने संग्रहालयों का भी दौरा करके वन उत्पादों, गैर लकड़ी वन उत्पादों और एफआरआई के कीट विज्ञान संग्रहालयों की भी जानकारी ली। एफआरआई की निदेशक डॉ सविता ने वन उत्पाद विभागों के प्रमुखों के साथ इन संग्रहालयों में रखे गये विभिन्न उत्पादों की जानकारी दी।
मंत्री महोदय ने संग्रहालयों के रखरखाव की स्थिति पर प्रसन्नता जताते हुए संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि नमूनों के संग्रह और विशेष रूप से विभिन्न देशों की मूल लकड़ी की प्रजातियों के विशाल संग्रह को देखकर वे प्रभावित हुए हैं। हालांकि उन्होंने इस संग्रहालयों को आगंतुकों के लिए इस अनमोल संग्रह और वानिकी विज्ञान के बारे में अधिक जानकारी देने और इसके महत्व पर शोध करने की जरूरत पर बल दिया।
श्री अनिल माधव की यह किसी भी पहाड़ी राज्य की पहली आधिकारिक यात्रा है। श्री दवे 16 दिसंबर को चार दिवसीय यात्रा पर देहरादून पहुंचे। इस अवसर पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव श्री ए.एन.झा, मंत्रालय के महानिदेशक, वन एवं विशेष सचिव डॉ एस.एस.नेगी और एमओईएफसीसी के अलावा वन अनुसंधान संस्थान, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों भी उपस्थित थे।
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