नई दिल्ली: 1. 17 अक्टूबर 2016 को (देर शाम) भोपाल के राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान ने सूचित किया कि नई दिल्ली के राष्ट्रीय प्राणी उद्यान में मरे जंगली पक्षियों के जो नमूने उन्होंने प्राप्त किए थे, जांच के बाद उनमें एच5 एवियन इनफ्लूएंजा वायरस पाया गया है। इससे पहले जालंधर की उत्तरी क्षेत्रीय रोग निदान प्रयोगशाला में इन्हीं नमूनों में इन्फ्लुएंजा ए वायरस पाया गया था। इसके तत्काल बाद दिल्ली प्रशासन, पशुपालन के निदेशक और राष्ट्रीय प्राणी उद्यान के निदेशक को परामर्श सूचना जारी की गई और अनुरोध किया गया था कि वे रिपोर्ट विभाग को भेजें।
2. राष्ट्रीय प्राणी उद्यान ने 18 अक्टूबर 2016 को बताया कि मृत्यु दर बंदी पक्षियों में नहीं बल्कि जंगली पक्षियों में थी। इनकी मृत्यु 14 अक्टूबर को शुरू हुई थी। 14 से 17 अक्टूबर के बीच नौ पक्षी मारे गए जिनमें 5 रोजी पेलिकन, 3 बतख और एक पेंटेड स्टोर्क था।
3. पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन विभाग ने भोपाल के राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान और जालंधर की प्रयोगशाला से अनुरोध किया है कि संक्रमण का स्त्रोत निर्धारित करने के लिए फैलाव की अच्छी तरह से जांच करें ताकि देश भर के चिड़ियाघर अधिकारी बंदी पक्षियों तक इस रोग का प्रवेश रोकने के लिए उपयुक्त रणनीति लागू कर सकें। इस पर कार्य किया जा रहा है।
4. दिल्ली पशुपालन के निदेशक ने 18 अक्टूबर 2016 को चिड़ियाघर का दौरा किया और चिड़ियाघर में कार्रवाई / निगरानी का काम करने के लिए अपनी टीम को नियुक्त किया।
5. 19 अक्टूबर 2016 को पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन विभाग के संयुक्त आयुक्त और सहायक आयुक्त ने राष्ट्रीय प्राणी उद्यान का दौरा किया और वहां के निदेशक के साथ चर्चा की और दिल्ली स्वास्थ्य विभाग, डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल, एनसीडीसी के अधिकारियों व अन्य के साथ बैठक में भाग लिया। विभाग ने इस संक्रमण पर नियंत्रण और रोकथाम के लिए राज्य सरकार और चिड़ियाघर के अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए हैं। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से भी निवेदन किया गया है कि देश में सभी वन्य जीवन/पक्षी अभयारण्यों को अलर्ट पर रहने और इस रोग की रोकथाम के लिए जरूरी कदम उठाने की सलाह वे जारी करें।
6. एनआईएचएसएडी ने 19 अक्टूबर, 2016 को वायरस सबटाइप एच5एन8 का संक्रमण वन पक्षियों में पाए जाने की पुष्टि की। यह एक नए प्रकार का सबटाइप है, जो देश में पहली बार पाया गया है। वर्ष 2015 के दौरान 11 देशों में और 2016 के दौरान चार देशों (भारत सहित) में एच5एन8 पाए जाने की रिपोर्ट मिली है।
7. एनआईएचएसएडी ने 21 अक्टूबर, 2016 को सूचित किया कि गांधी वन्य प्राणी उद्यान, ग्वालियर से प्राप्त नमूनों में भी एच5एन8 एआईवी पॉजीटिव पाया गया है। राज्य पशु पालन निदेशक को निर्देश जारी किए जा चुके हैं। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से भी समस्त वन्य जीव/पक्षी अभयारण्यों को परामर्श जारी करने का अनुरोध किया गया है।
8. ओआईई के अनुसार वन पक्षी/प्रवासी पक्षियों एवियन इंफ्लूएंजा रोग देश की स्थिति (स्टेटॅस) को प्रभावित नहीं करता, इसलिए व्यापार संबंधी निहितार्थ नहीं होंगे।
9. अब तक दुनिया में कहीं भी कोई इंसान एच5एन8 के साथ संक्रमित नहीं पाया गया है। हालांकि नियंत्रण संबंधी प्रचालनों के दौरान बीमार/मृत पक्षियों और दूषित सामग्री के सम्पर्क में आते समय आवश्यक ऐहतियाती उपाय किए जाने चाहिए।