देहरादून: स्टिंग प्रकरण में जेल में बंद निजी चैनल के सीईओ उमेश कुमार शर्मा के खिलाफ पुलिस ने ग्यारह साल पुराने धोखाधड़ी के मुकदमे में एक और वारंट प्राप्त कर लिया है। जमानत पर सुनवाई के दौरान बुधवार को पुलिस इस वारंट को दाखिल कर रिमांड लेेगी। इस मुकदमे के ट्रायल पर दस साल से हाईकोर्ट का स्टे चल रहा था। सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश का हवाला देकर इस कार्रवाई को अंजाम दिया।
सरकार की नजरें बदलते ही पुलिस स्टिंग प्रकरण में जेल में बंद निजी चैनल के सीईओ उमेश कुमार शर्मा के पुराने मामलों को खंगालने में जुटी है। मंगलवार को उमेश पर कानूनी शिकंजा कसने को एक और मुकदमा मिल गया।
सूत्राें के मुताबिक एक जमीन के मामले में मनोरंजनी शर्मा की तरफ से 2007 में रायपुर थाने में उमेश शर्मा आदि के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने विवेचना के बाद इस मामले में आरोप पत्र दाखिल कर दिया था।
वाई श्रेणी की सुरक्षा हटाने की तैयारी
2010 में इस मुकदमे के ट्रायल पर हाईकोर्ट से स्थगनादेश मिल गया था, तब से यह मुकदमा सुनवाई पर नहीं आया था। पुलिस अधिकारियों ने इस मामले में अभियोजन अधिकारियों के साथ मंथन किया था।
इसी बीच स्थगनादेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल में दिए आदेश का हवाला देकर अभियोजन अधिकारियों ने मंगलवार को कोर्ट में पैरोकारी की। आदेश के अनुपालन में पुलिस ने धोखाधड़ी के मुकदमे के ट्रायल पर आठ साल से चल रहे स्टे को निरस्त कराते हुए कोर्ट से वारंट प्राप्त कर लिया हैं।
आरोपी उमेश कुमार शर्मा की वाई श्रेणी सिक्योरिटी हटाने की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। उत्तराखंड पुलिस जल्द ही गृह मंत्रालय में इस संबंध में सिफारिश कर सकती है। इसके लिए पुलिस ने तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि पुलिस के उच्चाधिकारी इस संबंध में कोई अधिकारिक बयान नहीं दे रहे हैं। उमेश कुमार शर्मा ने अक्टूबर 2015 में अपनी जान को खतरा बताते हुए केंद्र सरकार से सिक्योरिटी की मांग की थी।