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अन्र्तराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस सतत् विकास के लिए जैव विविधता विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

उत्तर प्रदेश
लखनऊ: अन्तर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर आज 22 मई को सुबह 9ः30 बजे प्लूटो हाल इनिदरा गांधी प्रतिष्ठान विभूति खण्ड गोमती नगर उत्तर प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा सतत् विकास के लिए जैव विविधता विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का दीप प्रज्जवलन कर उद्घाटन करने के उपरान्त मुख्य अतिथि पद्मश्री कार्तिकेय वि0 साराभाई ने कहा कि पर्यावरण व विकास परस्पर विरोधी नही अपितु एक दूसरे के पूरक है।

पर्यावरण संरक्षित करने हेतु विकास व पर्यावरण के मध्य परस्पर समन्वय की अवश्यकता है। जैव सम्पदा को सुरक्षित रखने की दिशा में गंगा, 2012 में हुए सम्मेलन में निर्धारित सतत् विकास के उद्देश्य एवं पर्यावरण संरक्षण हेतु नेशनल ग्रीन कार्प कार्यक्रम, हैण्डप्रिन्ट एक्शन टुवाड्र्स सस्टेनेविलिटी, प्रकृति बस, पर्यावरण मित्र प्रकृति शिक्षण शिविर, ग्रीन हाॅट पीपुल्स बायोडाइवर्सिटी रजिस्टर साइन्स एक्सप्रेस जैसे प्रयासों का उल्ले,ख करते हुए मुख्य अतिथि पद्मश्री कार्तिकेय वि0 सराभाई ने कहा कि जनसहभागिता विशेष्कर विद्यार्थियों के प्रयासों से जैवविधिता संरक्षित करने में सफल हो सकते है।
प्रमुख वन संरक्षक, उत्तर प्रदेश, डा0 रूपक डे ने अभ्यागतों का स्वागत करते हुए कहा कि जैवविविधता के कारण ही हमारा व हमारे ग्रह का अस्तित्व है। डाॅ डे ने कहा कि अत्यधिक जनसंख्या व पशु संख्या का दबाव होने पर भी हमारे प्रदेश की जैवविविधता अत्यन्त समृद्ध है। प्रदेश से ले जाए गए 500 कछुओं को मुम्बई से प्रदेश में वापस लाए जाने का उल्लेख करते हुए डाॅ डे ने कहा कि प्रदेश में जैवविविधता को सुरक्षित रखने हेतु निरन्तर प्रयास किए जा रहे हैं।
सचिव वन,उ0प्र0 शासन श्री सुनील पाण्डेय ने कहा कि जैवविविधता प्रबन्धकों व जैवविविधता विकासकर्ताओं के समक्ष सत्त विकास व जैवविविधता संरक्षण के मध्य समन्वय रखना एक चुनौती है। हिमालयी क्षेत्र की महत्वपूर्ण जैव सम्पदा टैक्ससबकाटा को संरक्षित रखने में आ रही चुनौतियों का उदाहरण देते हुए श्री पाण्डेय ने पादप व प्राणि प्रजातियों की जैवविविधता को बनाए रखने में आ रही कठनाईयों का उल्लेख किया।
इस अवसर पर सचिव उ0प्र0 राज्य जैवविविधता बोर्ड श्रीमती प्रतिभा सिंह ने संगोष्ठी के उद्देश्यों व अन्तर्राष्ट्रीय जैवविविध्ता की पृष्ठ भूुमि पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए अवगत कराया कि जैवविविधता संरक्षण से समझौता किए विना भावी पीढ़ी की आवश्यकताओं को सूरक्षित रखने वाला विकास ही सत्त व दीर्घकालिक होता है।
पर्यावरणीय रूप से सुरख्ति, आर्थिक रूप से व्यावहारिक व समाज द्वारा स्वीकृत विकास पर बल देते हुए श्रीमती प्रतिभा सिंह ने 1970 में हुए प्रथम पृथ्वी सम्मेलन से अब तकम हुए विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलनों व संधियों पर प्रकाश डाला । सचिव उ0प्र0 राज्य जैवविविधता बोर्ड ने वर्ष 2011-2020 को जैवविविध्ता दशक व वर्ष 2015 को अन्तर्राष्ट्रीय मृदा वर्ष घोषित किए जाने के दृष्टिगत जैवविविधता संरक्षण की दिशा में हमारा उत्तरदायित्व व भूमिका, बासमती चावल का उदाहरण देते हुए जैवविविधता में जैव पाईरेसी एवं जैवविविधता संरक्षण हेतु विधिक प्रयासों पर विस्तार से प्रकाश डाला ।
मुख्य अतिथि पद्मश्री कार्तिकेय वि0 साराभाई ने इस अवसर पर प्रकाशित स्मारिका का लोकार्पण किया। दिनांक 17 से 21 मई के मध्य रीजनल साईन्स सिटी लखनऊ में उत्तर प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा जैव विविधता उत्सव का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आयोजित पोस्टर, निबन्ध, क्विज आदि प्रतियोगिताओं के विजेता 66 विद्यार्थियों को मुख्य अतिथि द्वारा पुरस्कृत किया गया। एडवाइजर डाबर इण्डिया लिमिटेड, श्री एन0बी0 बृंदावन एवं सीनियर मैनेज, हिन्दुस्तान युनीलिवर लि0, श्री राजेन्द्र मोहन डोबरियाल ने औद्योगिक इकाईयों द्वारा अपनी गतिविधियों को पर्यावरण अनुकूल बनााकर सस्टेनेबिल विकास की दिशा में किए गए प्रयासों पर स्तिार से प्रकाश डाला।
राष्ट्रीय संगोष्ठी में नेचर कन्जरवेशन फाउन्डेशन मैसूर एवं डब्लू0डब्लू0एफ0 इण्डिया के प्रतिनिधि श्री ए0जे0टी0 जाॅनसिंह, वन संरक्षक, पटना श्री अरविन्दर सिंह बी0एन0एच0एस0 मेरठ के श्री रजत भार्गव, प्रोग्राम स्पेशलिस्ट इन्वायरनमेन्ट यूनेस्कों डा0 रामबूझ यादव, मैनेजर आपरेशन्स, आई0टी0सी0 सोशल इन्वेस्टमेन्ट प्रोग्राम, कोलकाता, श्री विजय वर्धन एवं इण्डियन इन्स्टीट्यूट आफ हार्टीकल्चरल रिसर्च, लखनऊ के श्री शैलेन्द्र राजन ने प्रस्तुतिकरण किया।
राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य अतिथि पद्मश्री कार्तिकेय वि0 साराभाई एवं डा0 रूपक डे, प्रमुख वन संरक्षक, उत्तर प्रदेश की गरिमा गयी उपस्थिति में श्री सुनील पाण्डेय, सचिव, वन, उ0प्र0 शासन, श्रीमती प्रतिभा सिंह, सचिव, उ0प्र0राज्य जैव विविधता बोर्ड, वरिष्ठ वनाधिकारियों, सेवानिवृत्त वरिष्ठ वनाधिकारियों विद्यार्थियों, विशेषज्ञों एवं विभिन्न संस्थाओं व संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया गया

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