नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने आज यहां सीमा शुल्क में ‘इन बॉन्ड मैन्युफैक्चर एंड अदर ऑपरेशंस’ पर आयोजित वेबएक्स इवेंट की अध्यक्षता की। इस कार्यक्रम का आयोजन केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने अमेरिका-भारत सामरिक साझेदारी फोरम (यूएसआईएसपीएफ) और मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन फॉर इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (एमएआईटी) के सहयोग से किया।
श्री ठाकुर ने इस संदर्भ में ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ और ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डाला और प्रतिभागियों को बताया कि कैसे सीमा शुल्क की धारा 65 योजना (अनुबंध पर विनिर्माण की व्यवस्था) सशक्त आपूर्ति श्रृंखला बनाने और उसका प्रबंधन करने के लिए कारोबार के एक बहुत अच्छे विकल्प का प्रतिनिधित्व करती है।
मंत्री महोदय ने कहा कि यह संशोधित नई योजना पिछले साल शुरू की गई थी और व्यापार तथा उद्योग जगत द्वारा दिखाई गई प्रारंभिक रुचि उत्साहजनक है। उन्होंने संकेत दिया कि योजनाओं के गुलदस्ते में यह योजना वेलकम एडीशन है, जो भारत में निवेश और ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को बढ़ावा देती है। यह कारोबार सुगमता को भी बढ़ाती है और इलेक्ट्रॉनिक्स, रसायन और फॉर्मास्यूटिकल्स जैसे कई क्षेत्रों और मरम्मत एवं नवीनीकरण जैसी सहायक गतिविधियों में भी भारत को एक वैश्विक विनिर्माण हब में तब्दील करने में संभावित रूप से मदद कर सकती है। यह भारत को एक वैश्विक ई-कॉमर्स हब में भी शामिल कर सकती है।
श्री ठाकुर ने इस योजना का लाभ लेने के लिए सभी पात्र इकाइयों को आमंत्रित किया और इसे बेहतर करने के सुझाव भी दिए। सरकार की ओर से श्री ठाकुर ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार करने के लिए, जो पारस्परिक लाभ के देशों के समूह में गौरव दिलाएगा, सामूहिक रूप से और दृढ़ता के साथ काम करने का आश्वासन दिया।
मंत्री ने कहा कि महामारी, जो काफी हद तक अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रही है, के कारण पिछले कुछ महीने दुनियाभर में कारोबार के लिए मुश्किल भरे रहे हैं। भारतीय कारोबार सभी उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं और वापस मजबूत स्थिति में लौटने के संकेत मिल रहे हैं। यह पिछले छह वर्षों में सरकार द्वारा घरेलू आर्थिक क्षमता निर्माण और ‘मेक इन इंडिया पहल’ के माध्यम से भारत को पसंदीदा वैश्विक विनिर्माण गंतव्य बनाने के प्रयासों का प्रमाण है। थोक दवाओं, दवा मध्यस्थ, सक्रिय दवा सामग्री और चिकित्सा उपकरणों में उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन एक ऐसी लक्षित योजना है जहां हम आत्मनिर्भरता में तेजी लाना चाहते हैं।
सीबीआईसी के चेयरमैन श्री एम. अजीत कुमार ने सीमा शुल्क को लेकर सरकार द्वारा हाल में किए गए परिवर्तनों को रेखांकित किया और करदाता के मुद्दों को केंद्र में रखने के सीबीआईसी के संकल्प और प्रतिबद्धता को व्यक्त किया। श्री कुमार ने कहा कि सीबीआईसी एक स्वचालित मशीन आधारित, पेपरलेस और फेसलेस क्लीयरेंस इकोसिस्टम की ओर बढ़ रहा है। परिणाम पहले से दिखाई दे रहे हैं- हमारे ईएक्सआईएम क्लीयरेंस की दक्षता बढ़ी है और वैश्विक सूचकांकों में भारत की रैंकिंग में काफी सुधार हुआ है। श्री कुमार ने कारोबार सुगमता के लिए सीबीआईसी की प्रतिबद्धता पर जोर दिया ताकि भारत को दुनिया का विनिर्माण केंद्र बनाने की दिशा में जोर देने के साथ ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा दिया जा सके।
‘अनुबंध पर विनिर्माण की सीमाशुल्क व्यवस्था’ में पूंजीगत सामान के साथ-साथ कच्चे माल या अनुबंध विनिर्माण में उपयोग होने वाले अन्य सामान पर अलग-अलग दर से आयात शुल्क लगाया जाता है। अगर तैयार माल का निर्यात किया जाता है तो उस पर आयात शुल्क वापस कर दिया जाता है। हालांकि अगर तैयार माल को घरेलू बाजार में मंजूरी दी जाती है तो उपयोग किए जाने वाले कच्चे माल पर बिना ब्याज के आयात शुल्क देय होता है। एसईजेड और ईओयू जैसी दूसरी योजनाओं से अलग, जो काफी हद तक निर्यात केंद्रित हैं, वर्तमान योजना का उद्देश्य कुशल क्षमता उपयोग है। यह योजना अधिकारियों के साथ न्यूनतम फिजिकल इंटरफेस की तरफ बढ़ती है और इसके तहत इकाइयों की निगरानी पूरी तरह से रिकॉर्ड-आधारित, जोखिम-आधारित और इस तरह से बिना-हस्तक्षेप के है।
पैनल चर्चा में सरकार की तरफ से सीबीआईसी सदस्य श्री विवेक जौहरी, प्रधान मुख्य आयुक्त बेंगलुरु, श्री डी. पी. नागेंद्र कुमार, श्री विमल श्रीवास्तव, आयुक्त सीमा शुल्क- सीबीआईसी और श्री अमितेश भारत सिंह, अतिरिक्त डीजी, डीजीटीएस, सीबीआईसी ने प्रतिनिधित्व किया। उद्योग पैनल के सदस्यों में शामिल थे- श्री विराट भाटिया, प्रबंध निदेशक एप्पल इंडिया, श्री अंबरीश बाकया, निदेशक, कॉर्पोरेट मामले ह्यूलेट पैकार्ड एंटरप्राइज, श्री नितिन कुनकोलिनकर अध्यक्ष एमएआईटी और पूजा ठाकुर सीएफओ एवं कार्यकारी निदेशक जीएसके फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड।
अलग क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यापार और उद्योग जगत के 850 से अधिक वरिष्ठ सदस्य इस अति संवादात्मक कार्यक्रम में शामिल हुए।