देहरादून: जल्द ही प्रदेश का अपना पंचायतीराज अधिनियम बनाया जाएगा। पूर्व की भांति 35 लाख रूपए की क्षेत्र पंचायत विकास निधि का प्राविधान किया जाएगा। क्षेत्र पंचायत प्रमुखों को शासन स्तर से परिचय पत्र जारी किए जाएंगे। बुधवार को बीजापुर में क्षेत्र पंचायत प्रमुखों के संगठन ने मुख्यमंत्री हरीश रावत से भेंट कर विभिन्न मांगों के संदर्भ ज्ञापन दिया।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि प्रदेश के विकास में त्रिस्तरीय पंचायतों की भागीदारी महत्वपूर्ण है। राज्य सरकार क्षेत्र पंचायतों की समस्याओं से अवगत है और इन्हें दूर करने के लिए हरसम्भव प्रयास किया जा रहा है। जिलास्तरीय अधिकारियों को अनिवार्य रूप से बीडीसी बैठकों में प्रतिभाग करने के लिए निर्देशित किया गया है। यहां तक कि डीएम की वार्षिक प्रविष्टि में भी यह भी देखा जाएगा कि उनके द्वारा कितनी बीडीसी बैठकों में भाग लिया गया। सीएम ने कहा कि उन्होंने स्वयं क्षेत्र पंचायत बैठक में भाग लिया था और आगे भी कुछ अन्य बीडीसी बैठकों में वे जाएंगे।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि प्रदेश के संसाधन सीमित हैं परंतु विकास में त्रिस्तरीय पंचायतों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। केंद्र सरकार ने क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायतों को फंडिंग का दायित्व राज्यों पर छोड़ दिया है। राज्य विŸा व केंद्रीय विŸा की धनराशि पूर्व की भांति विकासखण्डों को यथावत आवंटित किए जाने की मांग पर मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि यह मामला केंद्र सरकार से संबंधित है। इसके लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया जाए। राज्य सरकार इस पर केवल अपनी संस्तुति दे सकती है।
उŸाराखण्ड राज्य की भौगोलिक, सामाजिक व आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए राज्य का अपना पंचायतीराज अधिनियम जल्द ही अस्तित्व में लाया जाएगा। साथ ही त्रिस्तरीय पंचायतों को 29 विषय सौंपने पर भी आवश्यक कार्यवाही की जाएगी। ‘मेरा गांव मेरी सड़क’ योजना में विकासखण्डों की भूमिका को महत्वपूर्ण रखा गया है। अब जलनिकासी का काम भी इसमें रखने पर विचार किया जा रहा है। सरकारी अतिथि गृहों में क्षेत्र पंचायत प्रमुखों के रूकने के लिए जारी शासनादेश को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया जाएगा।