नई दिल्ली: वर्ष 1949 से ही 07 दिसंबर को शहीदों के साथ-साथ वर्दीधारी पुरुषों और महिलाओं को सम्मानित करने के लिए सशस्त्र सेना ध्वजा दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है, जो देश के सम्मान की रक्षा के लिए हमारी सीमाओं पर बहादुरी से लड़ते हैं। यह पूर्व सैनिकों, दिव्यांग सैनिकों, युद्ध में मारे गए जवानों की विधवाओं और उन लोगों के आश्रितों, जिन्होंने मातृभूमि की सुरक्षा, सम्मान और अखंडता के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दिया, की देखभाल करने हेतु देश के दायित्व को याद दिलाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
पूर्व सैनिकों (ईएसएम) समुदाय के कल्याण और पुनर्वास के लिए भारत सरकार द्वारा ‘सशस्त्र बल ध्वजा दिवस कोष’ (एएफएफडीएफ) का गठन किया गया है। देश में 6.5 लाख विधवाओं सहित 30 लाख ईएसएम हैं, जिनमें पहले ही सेवानिवृत्ति ले लेने के कारण हर साल इसमें लगभग 60,000 ईएसएम और जुड़ जाते हैं। एएफएफडीएफ के संभावित दाताओं से प्राप्त योगदान का उपयोग कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से ईएसएम समुदाय की आधारभूत आवश्यकताओं को प्रदान करने के लिए किया जाता है।
इस अभियान का उद्देश्य ‘सशस्त्र बल ध्वजा दिवस कोष’ के बारे में जागरूकता पैदा करना और उदारता से योगदान करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना है। इसके लिए कई नकद रहित भुगतान विधियों को स्थापित और उपलब्ध कराया गया है।