देहरादून: प्रदेश के सैनिक कल्याण मंत्री डाॅ0 हरक सिंह रावत ने विधान सभा स्थित कार्यालय कक्ष में सशस्त्र सेना झंडा दिवस के अवसर पर कहा कि वीर सैनिकों के बलिदानों को याद करने के लिए आज पूरा राष्ट्र झंडा दिवस मना रहा है, जिससे समस्त सैनिकों, जो देश सेवा में विभिन्न स्थानों पर कार्यरत हैं एवं पूर्व सैनिक जो सेवानिवृत्त होकर आये हैं, को अहसास होता है कि पूरा देश उनके साथ है।
फलस्वरूप उनका मनोबल और ऊंचा होता है। सैनिक कल्याण मंत्री द्वारा आम नागरिकों की अपील के माध्यम से कहा कि सीने पर छोटे-छोटे विशेष झंडे लगा कर अपनी श्रद्वानुसार सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष में अधिक से अधिक दान देकर अपनी भागीदारी निभाये। इस अवसर पर कर्नल अमिताभ नेगी(से.नि.) निदेशक सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास, उत्तराखण्ड, देहरादून द्वारा मा0 सैनिक कल्याण मंत्री जी के सीने पर प्रतीक झंडा लगाया गया।
मंत्री जी ने इस अवसर पर कहा कि प्रतीक स्वरूप झंडों के एवज में जो भी धनराशि इकट्ठा होती है, उसे केन्द्रीय सैनिक परिषद, राज्य सैनिक परिषद एवं जिला सैनिक परिषदों द्वारा पूर्व सैनिकों, शहीद विरांगनाओं एवं उनके आश्रितों के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को कार्यान्वित करने के लिए खर्च किया जा रहा है। वर्तमान में पूरे देश में इन योजनाओं के अन्तर्गत लगभग एक करोड़ पूर्व सैनिकों, शहीद विरांगनाओं एवं उनके आश्रित लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रतिवर्ष उत्तराखण्ड में सशस्त्र झंडा दिवस कोष में लगभग 70-75 लाख रूपये जमा हो रहा है उक्त धनराशि से सैनिकों के कल्याण के लिए खर्च किया जाता है।
कर्नल अभिताभ नेगी(से.नि.), निदेशक सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास उत्तराखण्ड द्वारा सैनिक झंडा दिवस के अवसर पर अवगत कराया कि स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व सशस्त्र सेनाओं के पूर्व सैनिकों के याद में प्रत्येक वर्ष 11 नवम्बर को यादगार दिवस मनाया जाता था। द्वितीय विश्व युद्व में शहीदों की संख्य इतनी अधिक थी कि उनको युद्व क्षेत्र में ही आस-पास के पोस्त के खेतों में ही दफना दिया जाता था। अतः इस दिन में यादगार बतौर आम जनता में पोस्त के कागज के फूलों को बांटकर जनता द्वारा जो भी दान दिया जाता था, इसे इन वीर शहीद सैनिकों के आश्रितों के कल्याणार्थ व्यय किया जाता था, स्वतंत्रता प्राप्त करने के उपरान्त 28 अगस्त 1949 को भारत सरकार, रक्षा मंत्रालय द्वारा निर्णय लिया गया कि प्रत्येक वर्ष 07 दिसम्बर को भारत के नागरिक सशस्त्र सेनाओं के बलिदान को याद करने के लिए अपने वाहनों में तथा अपने सीने पर भारतीय सशस्त्र सेना के झंडे को एक छोटे रूप में लगाते हुए, जो भी भी धनराशि स्वरूप उनसे बन पड़ता है, दान स्वरूप देते हैं। सशस्त्र सेना दिवस, खासकर उत्तराखण्ड जैसे सैनिक बाहुल्य प्रदेश के लिए और भी महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस वीर भूमि में आज भी हर वर्ष 15-20 जवान देश की रक्षा में अपना जीवन बलिदान करके पूरे प्रदेश को गौरवानिवत करते है। इस वीर भूमि के जवानों की कुर्बानी अन्य प्रदेशों से कई गुना अधिक है।