लखनऊ: राजकीय बालगृह शिशु में माह जून से आवासित बालिका नीतू उम्र लगभग 9 वर्ष, बिहार के थाना बख्तियारपुर, जिला पटना की रहने वाली है। नीतू के माता पिता को बिना बताये ही नीतू की बुआ की लड़की नीतू को अपने साथ दिल्ली ले जा रही थी। ये दोनों सुल्तानपुर में ट्रेन से उतर गई और रास्ता भटक गयी। जी आर पी सुल्तानपुर ने पूछताछ के बाद नीतू को बाल कल्याण समिति, सुल्तानपुर के आदेश से राजकीय बालगृह शिशु, लखनऊ में व उसकी फुफेरी बहन तनु को सुल्तानपुर स्थित प्रियदर्शनी आश्रयगृह में आश्रित कराया। नीतू काफी पूछताछ के बाद भी अपना पता सही से नही बता पायी थी जिसके कारण बालिका के घर का पता नहीं चल पा रहा था।
पिछले दिनों चाइल्डलाइन में इंटर्नशिप कर रहे अर्णव रतन व् अर्शिया रतन जो स्टडी हाल के विद्यार्थी है व् नियमित रूप से बाल गृह जाते हैं, बालिका से अपनी हर विजिट पर बात की और धीरे-धीरे उसके पते के बारे में जानकारी मिलने लगी। बालिका ने बताया कि उसके पिता उपेन्द्र मातो, माँ संगीता मातो हैं व् वह बख्तियारपुर, बिहार की रहने वाली है। उसने बताया की वह अपने गाँव के स्कूल में कक्षा 3 में पढ़ती है जहाँ उसके टीचर अरूण, चित्रांश, सिमरन व सुधा मैडम है। पिता ठेला चलाने का काम करते है जो मण्डी से सब्जी इधर.उधर ले जाते है। माँ खेतो में काम करती है। नीतू ने बताया कि उसकी बुआ की बेटी तनु उसको बिना मम्मी पापा को बताये दिल्ली बुआ के घर ले जा रही थी। बालिका से मिली जानकारी के आधार पर अर्णव व् अर्शिया ने नेशनल वोटर्स सर्विस पोर्टल पर ऑनलाइन देखकर बालिका के माता पिता के नाम के आधार पर खोज बीन की तो न केवल बालिका द्वारा बताये गए नाम से उसके माता पिता का नाम मैच हो गया बल्कि उनके पते की जानकारी भी प्राप्त हो गयी।
चाइल्ड लाइन लखनऊ केंद्र समन्वयक अजीत कुशवाहा के साथ बिहार पुलिस से सम्पर्क कर समस्त जानकारी को बिहार की स्थानीय पुलिस के साथ साझा किया। स्थानीय पुलिस ने मौके पर जाकर बालिका के परिवार के बारे में पता किया। साथ ही उनके माता-पिता से बालिका की गुमशुदगी की पुष्टि की। इस तरह स्थानीय पुलिस द्वारा बालिका के माता-पिता का पता चल सका। बालिका के माता-पिता आज पटना पुलिस के साथ बालगृह पहुँचे और अपनी बच्ची को वहाँ देखकर खुशी से गले लगा लिया। इन क्षणों में बालिका नीतू की खुशी का ठिकाना नही रहा। बालगृह के अधीक्षक हरीश श्रीवास्तव ने बताया कि आज रात बालिका अपने माता-पिता के साथ अपने घर के लिए रवाना होगी व उसके साथ बुआ की लड़की तनु भी जायेगी। इस प्रकार अर्णव व् अर्शिया तथा चाइल्ड लाइन लखनऊ प्रयासों से नीतू को अपना परिवार मिल गया। इससे पहले भी तीन अन्य बिछुड़े हुए बच्चों को उनके परिवार से मिलवाने में अर्णव व् अर्शिया की सराहनीय भूमिका रही है।