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कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) ने ग्रामीण सम्पर्क (कनेक्टिविटी) और स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा दिया

देश-विदेश

देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित कुल 15 गांवों को जल्द ही अगली पीढ़ी के ऐसे नेटवर्किंग समाधान के माध्यम से जोड़ा जा सकता है, जो 4जी बुनियादी ढांचे में संकुलन/भीड़भाड़ (कंजेशन) के  मुद्दों का हल निकालने के साथ ही उच्च तकनीक और सस्ती इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान कर सकता है।

गीगामेश नामक यह नेटवर्क समाधान वायरलेस रूप से फाइबर जैसी बैकहॉल क्षमता प्रदान करता है और 5जी  के लिए मार्ग प्रशस्त करता है। इस समाधान को एक डीप-टेक स्टार्टअप एस्ट्रोम द्वारा विकसित किया गया है जो अपने लिए पेटेंट कराए हुए मिलीमीटर वेव ई-बैंड रेडियो और उपग्रह संचार समाधानों के माध्यम से 5जी एवं  ग्रामीण दूरसंचार बुनियादी ढांचे के कार्यान्वयन में तेजी लाता है। इन्होंने भारत में 15 गांवों के साथ प्रायोगिक (पायलट) परियोजना शुरू करने के लिए दूरसंचार विभाग के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। इस पायलट के परिणामों के आधार पर भारत के और अधिक ग्रामीण क्षेत्रों हिस्सों में इस प्रकार की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए योजनाएं चल रही हैं। इस स्टार्टअप को भारतीय विज्ञान संस्थान (आईएससी) में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और रोबोटिक्स टेक्नोलॉजी पार्क (एआरटीपीएआरके) के अंतर्गत टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (टीआईएच) द्वारा समर्थित किया गया है तथा जिसका उद्देश्य पृथ्वी और अंतरिक्ष में मिलीमीटर तरंग वायरलेस संचार के लिए भविष्य की प्रस्तावना तैयार करना  है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और रोबोटिक्स टेक्नोलॉजी पार्क (एआरटीपीएआरके) भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) बेंगलुरु द्वारा समर्थित  ऐसी एक गैर-लाभकारी संस्था (फाउंडेशन) है, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और रोबोटिक्स में सीड फंडिंग के साथ प्रौद्योगिकी नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतःविषय साइबर-भौतिक प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन (एनएम-आईसीपीएस) के तहत और कर्नाटक के सरकार एक सार्वजनिक-निजी सहयोगी मॉडल में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई)  फाउंड्री के समर्थन संचालित है। इसे उद्योग, अकादमिक और सरकारी निकायों के प्रतिभागियों  के एक सहयोगी संघ को लाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। एस्ट्रोम द्वारा विकसित गीगामेश, ​​एआरटीपीएआरके द्वारा समर्थित किया गया  दुनिया का पहला मल्टी-बीम ई-बैंड रेडियो है जो इनमें से प्रत्येक टावर को मल्टी जीबीपीएस थ्रूपुट वितरित करते हुए एक टावर से कई टावरों तक एक साथ ऐसे 40 संचारित (लिंक) प्रदान कर सकता है, जो दस किलोमीटर की सीमा में  संचरण  कर सकते है। इस सीमा (रेंज) में यह लचीलापन घने शहरी नेटवर्क को कम करने और ग्रामीण कवरेज बढ़ाने दोनों के लिए उपयुक्त होने  के साथ ही  ग्रामीण क्षेत्र में भारत की विशाल आबादी के साथ, एस्ट्रोम घरेलू इंटरनेट कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। एरिक्सन, सिक्लू, हुआवेई और एनईसी जैसे प्रमुख मौलिक  उपकरण निर्माताओं (ओईएम) ने ई-बैंड उत्पाद विकसित किए हैं। जबकि ये सभी उत्पाद केवल एक स्थान से दूसरे विनिर्दिष्ट स्थान (पॉइंट-टू-पॉइंट) में ही संचार कर सकते हैं और जिसके लिए बड़ी संख्या में ऐसे उपकरणों की आवश्यकता होती है जो केवल इनकी  स्थापना (तैनाती) की लागत को बढ़ाते हैं, ​​वहीं एआरटीपीएआरके के स्टार्टअप द्वारा दूरस्थ रूप से तैनाती, रखरखाव और मरम्मत करने में आसान बनाने के लिए सॉफ्टवेयर द्वारा संचालित गिगामेश, ​​ई-बैंड में कई पॉइंट-टू-पॉइंट संचार की सुविधा देने के साथ ही इनकी  लागत को भी कम करते हैं। इसके अलावा, ​​एआरटीपीएआरके के  कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) शोधकर्ताओं ने हेल्थटेक स्टार्टअप निरामई हेल्थ एनालिटिक्स और भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के सहयोग से एक एक्सरेसेतु भी विकसित किया है, जो एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो कुछ ही समय (सेकंड्स)  में कोविड-19 के प्रति 98.86% संवेदनशीलता के साथ छाती के एक्स-रे की व्याख्या कर सकता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और रोबोटिक्स टेक्नोलॉजी पार्क (एआरटीपीएआरके) ने ​​एआरटीपीएआरके नवोन्मेष  सम्मेलन (इनोवेशन समिट) का भी आयोजन किया, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में अगली पीढ़ी की अंचार व्यवस्था (कनेक्टिविटी) कैसे बनाई जाए, भारत के लिए स्वास्थ्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), भारत को ड्रोन से जोड़ना, भविष्य के लिए समावेशी शिक्षा तथा एआई एवं अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करने के लिए उद्योग, शिक्षा और सरकार को एक छत के नीचे लाया गया। इसके अलावा, उन्होंने भारतीय सेना के एक मानव रहित जमीनी वाहन (यूजीवी) के प्रयोग में भाग लिया और भारत के एकमात्र लेग्ड रोबोटिक डॉग का भी प्रदर्शन किया।

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