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प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप, पूर्वी क्षेत्र के त्वरित विकास पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है: अमित शाह

देश-विदेश

नई दिल्ली: केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह ने आज भुवनेश्वर (ओडिशा) में आयोजित पूर्वी आंचलिक परिषद की 24वीं बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में भाग लेने वाले अन्य गणमान्य व्यक्तियों में उपाध्यक्ष और मेजबान के रूप में ओडिशा के मुख्‍यमंत्री श्री नवीन पटनायक, बिहार के मुख्‍यमंत्री श्री नीतीश कुमार,  पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री सुश्री ममता बनर्जीझारखंड के वित्तमंत्री श्री रमेश उरांव और केंद्र तथा राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

ओडिशा के मुख्यमंत्री ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और चक्रवाती आपदाओं के दौरान तुरंत सहायता करने के लिए केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया। उन्होंने कोयले पर रॉयल्टी में बढ़ोतरी का मुद्दा उठाया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने जीएसटी से आय के भुगतान में देरी और धन के हस्‍तांतरण का मुद्दा उठाया। बिहार के मुख्यमंत्री  ने गंगा नदी में बाढ़ की देखरेख के लिए राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति तैयार करने के लिए कहा।

बैठक को संबोधित करते हुए श्री शाह ने 24वीं बैठक में परिषद के सभी सदस्यों का स्वागत किया और उम्मीद ज़ाहिर की कि केन्द्र/राज्य और अंतर-राज्य संबंधी मुद्दों का सहमति से समाधान निकालने में यह सार्थक बैठक होगी। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप, विचार-विमर्श के बाद, देश के संघीय ढांचे को और मज़बूत करने के लिए सर्वसम्मति से लिए गए फैसलों को लागू किया जाना चाहिए। गृह मंत्री ने क्षेत्रीय परिषद प्रणाली की उपयोगिता के प्रति संतोष व्यक्त किया और सूचित किया है कि 70 प्रतिशत से अधिक मुद्दों का समाधान क्षेत्रीय परिषदों की हाल की बैठकों में हुआ है तथा शेष मुद्दों पर भी सहमति बन जाएगी।

परिषद में अपर महानंदा जल योजना पर 1978 में बिहार और पश्चिम बंगाल के बीच हस्ताक्षर होने वाले फुलवारी बांध संबंधी विषय, ओडिशा के उत्तरी जिलों में नौपाड़ा-गुनुपुर-थेरुबली रेल लिंक परियोजना के विस्तार, बिहार और झारखंड के बीच पेंशन दायित्व के निर्धारण, भारत सरकार की कोयला कम्पनियों द्वारा राज्य सरकार की ज़मीन के इस्तेमाल, प्रधानमंत्री आवास योजना- केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपकरमों द्वारा भूमि स्थानांतरण, बच्चों और महिलाओं के विरुद्ध यौन उत्पीड़न/दुष्कर्म के मामलों में तत्काल आधार पर जांच संबंधी मुद्दे, भारत-बंग्लादेश सीमा पर मवेशी तस्करी/मवेशियों की गैर-कानूनी आवाजाही, ओडिशा में दूरसंचार तथा बैंक कनेक्टिविटी की कमी, ओडिशा में गांजा/भांग की गैर-कानूनी खेती और व्यापार, कोयला रॉयल्टी की समीक्षा, अपर्याप्त धन और विलम्ब, पेट्रोलियम परियोजनाओं की भूमि संबंधी समस्याएं आदि मुद्दों पर भी चर्चा की गई । आज कुल 48 विषयों पर विचार किया गया जिन में से 40 (83 प्रतिशत से अधिक) का समाधान बैठक में निकाल लिया गया।

गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप पूर्वी क्षेत्र के त्वरित विकास पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आज की बैठक कार्यसूची में शामिल विषयों के समाधान में निर्णायक और उपयोगी होगी। उन्होंने कहा कि कार्यसूची में दिए गए विषयों के अतिरिक्त वह चाहेंगे कि कानून और व्यवस्था तथा प्रशासनिक सुधारों से संबंधित विषयों को शामिल किया जाए और उन पर चर्चा की जाए ताकि परिषद की बैठक देश के विकास को गति देने में सहायक हो।

गृह मंत्री ने केन्द्र सरकार के विभिन्न विभागों को केन्द्रीय मंत्रालयों के साथ लंबित विषयों में निर्णय लेने में तेजी लाने को कहा। उन्होंने बैंकिंग सेवाओं के विस्तार पर बल दिया ताकि दूर-दराज़ के क्षेत्रों में भी लाभ मिले।

उन्होंने संबोधन के समापन में कहा कि लंबित विषयों का समाधान नियमित चर्चा से करने की आवश्यकता है, न कि केवल क्षेत्रीय परिषद की बैठकों में। उन्होंने राज्यों से नियमित आधार पर डाटा साझा करने के काम को सुनिश्चित करने का अनुरोध किया। बैठक प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की कल्पना के अनुरूप सहकारी संघवाद की भावना के साथ संपन्न हुई।

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