26 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

अष्टलक्ष्मी राज्यः ‘देखो’ से बढ़कर ‘करो’ तक की विकास यात्रा

देश-विदेश

नवंबर 2014 की शुरुआत में, मेघालय में पहली यात्री ट्रेन को हरी झंडी दिखाते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के आठ राज्यों को “अष्टलक्ष्मी” राज्य का नाम दिया था। प्रधानमंत्री ने महसूस किया कि अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा राज्यों में विकास की अपार संभावनाएं हैं और इससे भारत के अन्य हिस्सों को विकसित करने में भी मदद मिल सकती है। तब से, हम पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकास कार्यों में तेजी देख रहे हैं। रेल, सड़क, हवाई और नेटवर्क कनेक्टिविटी जैसी महत्वपूर्ण अवसंरचना के अलावा, पूर्वोत्तर क्षेत्र में विद्रोह की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आयी है तथा शांति प्रयासों में महत्वपूर्ण सुधार हुए हैं। इसके साथ ही विभिन्न राज्यों में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (एएफएसपीए) को पूरी तरह से हटाने या आंशिक रूप से वापस लेने जैसे कार्य भी हुए हैं। पिछली सरकारों ने तो पूर्वोत्तर की संभावनाओं को देखने से भी इनकार कर दिया था, लेकिन पिछले सात वर्षों में प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं और इन्हें लागू किया गया है।

अष्टलक्ष्मी राज्यों में अपार प्राकृतिक संसाधन हैं, जो देश के कुल जल संसाधनों का 34 प्रतिशत और भारत की कुल जल विद्युत क्षमता का लगभग 40 प्रतिशत है। रणनीतिक रूप से, यह क्षेत्र पूर्वी भारत के पारंपरिक घरेलू बाजार तक पहुंच के साथ-साथ देश के पूर्वी राज्यों तथा बांग्लादेश और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों के निकट स्थित है। यह क्षेत्र दक्षिण-पूर्व एशियाई बाजारों के लिए एक सुविधाजनक प्रवेश-मार्ग भी है। यह संसाधन-संपन्न क्षेत्र, उपजाऊ कृषि भूमि के विशाल विस्तार और बड़े पैमाने पर मानव संसाधन के साथ, भारत का सबसे समृद्ध क्षेत्र बनने की क्षमता रखता है।

पिछले सात वर्षों में पूर्वोत्‍तर भारत में अभूतपूर्व बदलाव देखने को मिले हैं। इतना ही नहीं, भारत सरकार ने ‘लुक ईस्ट’ नीति को और भी अधिक परिणाम-उन्मुख एवं प्रभावकारी बनाते हुए इसे ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का रूप दे दिया है। पूर्वोत्‍तर क्षेत्र एक समय तो देश का उपेक्षित क्षेत्र था, लेकिन मोदी सरकार ने जिस तरह से यहां के आठों राज्यों के विकास एजेंडे को बड़ी सक्रियता के साथ अपनाया उसकी बदौलत इन समस्‍त राज्‍यों में अब व्‍यापक बदलाव देखने को मिल रहे हैं। वर्ष 2014 से पहले पिछली सरकार ने इस क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण राजनीतिक पैठ तो सुनिश्चित कर ली थी, लेकिन लापरवाही एवं अलग-थलग रखने की नीति अपनाए जाने, और इस क्षेत्र के भीतर विकास से जुड़े मुद्दों की भारी अनदेखी किए जाने के कारण पूर्वोत्‍तर क्षेत्र निरंतर हाशि‍ए पर ही रहा।

जब से प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने पदभार संभाला है, तब से ही उन्होंने एक बार फिर अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचागत सुविधाओं, रोजगार, उद्योग और संस्कृति सहित विकास के समस्‍त आयामों पर इस क्षेत्र की ओर विशेष रूप से नीतिगत ध्यान देना शुरू कर दिया है। अपने कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कई अवसरों पर इस क्षेत्र का दौरा किया है और उन्‍होंने देश के किसी भी अन्य पूर्व प्रधानमंत्री के साथ-साथ कई प्रधानमंत्रियों के कुल सम्मिलित दौरों की तुलना में भी इन राज्यों का कहीं अधिक बार दौरा किया है। यही नहीं, प्रधानमंत्री मोदी पिछले चार दशकों में पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्‍होंने पूर्वोत्तर परिषद की बैठक में भाग लिया है।

प्रधानमंत्री कभी भी पूर्वोत्तर क्षेत्र की अनूठी संस्कृति, धरोहर एवं सौंदर्य को बढ़ावा देने का अवसर नहीं छोड़ते हैं और इसके साथ ही सबसे प्रभावशाली मंचों से इस बारे में विस्‍तार से चर्चा करते हैं। प्रधानमंत्री के 75वें स्वतंत्रता दिवस संबोधन के दौरान भी उन्होंने इस क्षेत्र में पर्यटन के सतत विकास के विशेष महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि यदि पर्यटन एवं साहसिक खेलों की बात करें तो पूर्वोत्तर राज्यों में निश्चित रूप से व्यापक संभावनाएं हैं और इस विशिष्‍ट क्षमता का अधिकतम उपयोग करना अत्‍यंत आवश्‍यक है। इस विजन को आगे बढ़ाते हुए पर्यटन

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More