नई दिल्ली: 30वें सड़क सुरक्षा सप्ताह के अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्विनी चौबे ने आज दुर्घटनाओं की रोकथाम और प्राथमिक चिकित्सा के प्रति जागरूकता पर एक पुस्तिका, जन समुदायों के लिए प्राथमिक चिकित्सा पर संचार सामग्री और एक वृत्त चित्र को जारी किया। इस अवसर श्री चौबे ने दुर्घटना के एक घंटे के अंदर घायल व्यक्ति को आपात चिकित्सा सुविधा देने पर जोर दिया। इस एक घंटे को जीवन बचाने के लिए गोल्डन ऑवर कहा जाता है। इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्रालय की सचिव श्रीमती प्रीति सूदन और डीजीएचएस के डॉ. एस वेंकटेश और श्री संजीव कुमार (एएस) भी उपस्थित थे।
श्री चौबे ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। इससे मेडिकल सुविधा प्रदान करने पर दबाव बढ़ता है। दुर्घटना के पश्चात घायल व्यक्ति को चिकित्सा सुविधा प्रदान करना अत्यधिक आवश्यक है क्योंकि मिनटों की देरी से व्यक्ति की जान जा सकती है।
स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ट्रॉमा देखभाल के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम लागू कर रहा है। इसमें घायल व्यक्ति के लिए अस्पताल पूर्व, अस्पताल में तथा पुनर्वास सुविधा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय व राज्य मार्गों के किनारे स्थित सरकारी अस्पतालों में ट्रामा देखभाल सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। 2017 के दौरान कुल 4,64,910 सड़क दुर्घटनाएं हुईं। इनमें 4,70,975 लोग घायल हुए और 1,47,913 लोगों की मृत्यु हुई। इसका अर्थ है कि प्रति घंटे 53 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं और 16 लोगों की मृत्यु हो जाती है।
श्री चौबे ने कहा कि 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान ट्रॉमा देखभाल सुविधा निर्माण के लिए 116 सरकारी अस्पतालों की पहचान की गई। इनमें से 100 ट्रॉमा देखभाल सुविधाएं काम कर रही हैं। 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 85 सरकारी अस्पतालों की पहचान की गई। इन अस्पतालों में ट्रॉमा सेंटर का निर्माण कार्य विभिन्न चरणों में है। 500 ट्रॉमा तकनीशियनों को प्रशिक्षण दिया गया है। श्री चौबे ने सड़क सुरक्षा पर अधिकारियों और कर्मचारियों को शपथ दिलाई।