नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने आज नई दिल्ली में एनीमिया मुक्त भारत तथा घर में बच्चे की देखभाल (एचबीवाईसी) पर दो दिन के राष्ट्रीय प्रसार कार्यशाला का उद्घाटन किया। उद्घाटन समारोह में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी के पॉल भी उपस्थित थे। इस कार्यशाला का उद्देश्य इन कार्यक्रमों को लागू करने के लिए राज्य के कार्यक्रम प्रबंधकों को अनुकूल बनाना है।
इस अवसर पर श्री चौबे ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हम दो महत्वपूर्ण कार्यों – एनीमिया मुक्त भारत और घर में बच्चे की देखभाल – की शुरूआत कर रहे हैं। दोनों कार्यक्रम देश में अपनी आबादी के पोषाहार परिणामों में सुधार लाने के लिए पोषण अभियान के प्रति हमारी वचनबद्धता हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए श्री चौबे कहा कि भारत ने मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) को कम करने तथा एमडीजी हासिल करने में लंबी छलांग लगाई है और इन कार्यक्रमों से हम देश में एनीमिया तथा बच्चों में कुपोषण की समस्या का समाधान करेंगे। उन्होंने कहा कि सभी आयु वर्ग में औसतन 40 प्रतिशत लोगों में खून की कमी है और एनीमिया अभी भी वह चुनौती है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। श्री चौबे ने पोषाहार के लिए जनांदोलन प्रारंभ करने तथा भारत के प्रत्येक नवजात की जीवन रक्षा और स्वस्थ्य विकास सुनिश्चित करने के कठिन कार्य में योगदान करने की अपील की।
श्री अश्विनी कुमार चौबे ने एनीमिया मुक्त भारत और घर में बच्चे की देखभाल कार्यक्रम के लिए एक टूल किट भी जारी किया।
इस अवसर पर डॉ. वी के पॉल ने कहा कि पोषण अभियान के तहत तथा एनीमिया मुक्त भारत के एक अंग के रूप में हमारे पास तकनीकी रूप से वह सब कुछ है जो देश में एनीमिया से निपटने के लिए होना चाहिए। इन कार्यक्रमों से अंतर आएगा। हमारे पास वह सभी अवयव हैं जिससे यह सुनिश्चित होगा की कोई भी व्यक्ति छूटा नहीं है। उन्होंने कहा कि आशाकर्मियों के आगमन के दौरान स्तनपान सहित पोषाहार को महत्व देना चाहिए। इस बाद पर बल देना चाहिए कि कितनी बार बच्चे को खाद्य पदार्थ (ऊर्जा घनत्व की अवधारणा को लाते हुए) दिए गए। उन्होंने कहा कि बचपन के विकास से संबंधित सूचना और जागरुकता उपायों का प्रसार किया जाना चाहिए।
एनीमिया मुक्त भारत –तीव्र आयरन प्लस का उद्देश्य वर्तमान व्यवस्था को मजबूत बनाना और 6 उपायों तथा 6 संस्थागत माध्यमों से 6 लक्षित लाभार्थी समूहों पर फोकस करके एनीमिया से निपटने के लिए नवीनतम रणनीतियां लागू करना है ताकि पोषण अभियान के अंतर्गत निर्धारित लक्ष्य हासिल किया जा सके।
स्कूल जाने वाले किशोरों तथा गर्भवती महिलाओं में खून की कमी की जांच और उपचार पर रणनीति का फोकस नवीनतम टेक्नालाजी अपनाने, एनीमिया के बारे में अग्रणी शोध के लिए संस्थागत व्यवस्था स्थापित करने तथा जनसंचार सामग्री सहित व्यापक संचार रणनीति बनाना है। निगरानी व्यवस्था के अंग के रूप में एक वेबपार्टल anemiamuktbharat.info विकसित किया गया है जो लाभार्थी समूहों में एनीमिया, पोषण अभियान के अनुसार एनीमिया की बिमारी की मौजूदगी लक्ष्य और जिला स्तर तक कार्यक्रम लागू करने की तिमाही एचएमआईएस आधारित रिपोर्टिंग पर सर्वेक्षण डाटा उपलब्ध कराएगा।
घर में बच्चे की देखभाल (एचबीवाईसी) कार्यक्रम का उद्देश्य पोषाहार की स्थिति सुधारना और बच्चे का प्रारंभिक विकास करके शिशु मृत्यु दर, बिमारी में कमी लाना है। यह कार्य फोकस रूप में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग से आशाकर्मियों के घर जाकर करने से होगा।
यह कार्यक्रम वर्तमान एचबीएनसी के विस्तार के रूप में चरणबद्ध रूप से लागू किया जाएगा। पहले चरण (वित्तवर्ष 2018-19) में सभी चिन्हित आकांक्षी जिलों में कार्यक्रम लागू किया जाएगा। दूसरे चरण में पोषण अभियान के अंतर्गत शेष सभी जिले और तीसरे चरण में देश के सभी जिले कवर किये जायेंगे।