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एशियाड: 32 साल बाद टॉप-5 के लक्ष्य के साथ उतरेगा भारत

खेल समाचार

जकार्ता। भारत 572 सदस्यीय विशाल दल के बलबूते पर इंडोनेशिया के जकार्ता और पालेमबंग में शनिवार से शुरू हो रहे 18वें एशियाई खेलों में 32 साल के लंबे अंतराल के बाद टॉप-5 में जगह बनाने के लक्ष्य के साथ उतरेगा। एशियाई खेलों का जन्मदाता भारत आखिरी बार 1986 के सोल एशियाई खेलों में पांचवें स्थान पर रहा था। वर्ष 1951 में दिल्ली में हुए पहले एशियाई खेलों में भारत को 15 स्वर्ण सहित कुल 51 पदकों के साथ दूसरा स्थान मिला था जो आज तक उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। भारत 1962 में जब जकार्ता में हुए एशियाई खेलों में 12 स्वर्ण सहित कुल 12 पदक जीतकर तीसरे स्थान पर रहा था।

भारत को उम्मीद है कि अपने भाग्यशाली जकार्ता में वह एक बार फिर बेहतरीन प्रदर्शन कर सकेगा। भारत चार साल पहले इंचियोन एशियाई खेलों में 11 स्वर्ण सहित 57 पदक जीतकर आठवें स्थान पर रहा था जबकि कुल पदकों के लिहाज से उसने आठ साल पहले ग्वांगझू एशियाई खेलों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था। तब भारत ने 14 स्वर्ण सहित 65 पदक जीते थे।

भारत 1982 में दिल्ली एशियाई खेलों में और फिर 1986 में सोल एशियाई खेलों में लगातार पांचवें स्थान पर रहा था जबकि 2010 के ग्वांगझू एशियाई खेलों में भारत को छठा स्थान मिला था। भारत ने 18वें एशियाई खेलों में 572 एथलीटों सहित कुल 804 सदस्यीय दल उतारा है और उसे उम्मीद है कि वह 32 साल पुराना पांचवें स्थान का इतिहास दोहरा सकेगा।

इस प्रतियोगिता में 36 खेल स्पर्धाओं में हिस्सा ले रहा है और उसे पदकों की सबसे ज्यादा उम्मीद निशानेबाजी, कुश्ती, टेनिस, कबड्डी, एथलेटिक्स, मुक्केबजी, बैडमिंटन, तीरंदाजी और हॉकी से रहेगी। हालांकि खेलों के शुरू होने से पहले टेनिस स्टार लिएंडर पेस के इन खेलों से हट जाने से जरूर कुछ विवाद पैदा हुआ है इसके बावजूद भारत के पास कई ऐसे बेहतरीन युवा खिलाड़ी हैं जो उसे पदक तालिका में शीर्ष पांच में पहुंचा सकेंगे। शनिवार को होने वाले उद्घाटन समारोह में जूनियर विश्व चैंपियन और राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा तिरंगा लेकर भारतीय दल की अगुआई करेंगे।

भारतीय दल प्रमुख और कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह ने विश्वास व्यक्त किया है कि भारतीय खिलाड़ी पिछली बार की 57 पदकों के आंकड़े में इस बार सुधार करेंगे। बृज भूषण ने कहा,’भारत इंचियोन में पदक तालिका में आठवें स्थान पर रहा था लेकिन मैं इस बार उम्मीद कर रहा हूं कि हम इस स्थिति में सुधार कर लेंगे। हमने पिछले चार एशियाई खेलों में हर बार 10 से अधिक स्वर्ण जीते हैं। लेकिन इस बार हमारे स्वर्ण पदकों की संख्या में काफी इजाफा होगा।’

भारत को बैडमिंटन में पीवी सिंधु, साइना नेहवाल और किदाम्बी श्रीकांत, कुश्ती में सुशील कुमार, बजरंग, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक, निशानेबाजी में 15 साल के अनीश भनवाला और 16 साल की मनु भाकर, मुक्केबाजी में विकास कृष्णन, एथलेटिक्स में नीरज चोपड़ा, कबड्डी की पुरुष और महिला टीमों, हॉकी में पुरुष टीम, तीरंदाजी में अभिषेक वर्मा और रजत चौहान, टेनिस में रोहन बोपन्ना और दिविज शरण की जोड़ी से स्वर्ण पदक की उम्मीद है।

हॉकी में भारतीय पुरुष टीम से लगातार दूसरे स्वर्ण पदक की उम्मीद रहेगी। हॉकी में स्वर्ण पदक के साथ साथ ओलंपिक का टिकट भी दांव पर है। यहां खिताब जीतने पर पुरुष और महिला हॉकी टीमों को सीधे ही 2020 के टोक्यो ओलंपिक का टिकट मिल जाएगा। कबड्डी एक बार फिर भारत के लिये स्वर्णिम उम्मीदों का सबसे बड़ा खेल रहेगा। भारत ने अब तक एशियाई खेलों में कबड्डी में नौ स्वर्ण जीते हैं और जकार्ता में भी भारत का दबदबा बने रहने की उम्मीद है।

बैडमिंटन में भारत के हाथ अब तक एशियाई खेलों में आठ कांस्य पदक लगे हैं। भारत ने पिछले एशियाई खेलों में महिला टीम वर्ग में कांस्य पदक जीता था। भारत का आखिरी व्यक्तिगत कांस्य पदक 1982 के दिल्ली एशियाई खेलों में था जो सैयद मोदी ने जीता था। रियो ओलंपिक, विश्व चैंपियनशिप और राष्ट्रमंडल खेलों के रजत पदक विजेता सिंधु पर भारत को बैडमिंटन का पहला स्वर्ण दिलाने का दारोमदार रहेगा।राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीत चुकी साइना भी स्वर्ण पदक का करिश्मा कर सकती हैं लेकिन इसके लिए उन्हें अपने प्रदर्शन में निरंतरता रखनी होगी। एशियाई खेलों की बैडमिंटन प्रतियोगिता किसी विश्व चैंपियनशिप से कम नहीं होती है जहां चीन, जापान, मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड, ताइपे और कोरिया के खिलाड़ी पदक के सबसे बड़े दावेदार होते हैं।

निशानेबाजी में राष्ट्रमंडल खेलों के सबसे युवा स्वर्ण विजेता 15 साल के अनीश 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल में एक बार फिर स्वर्ण जीतने के इरादे से उतरेंगे। 16 साल की मनु महिला 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में स्वर्ण की दावेदार रहेंगी। दो जूनियर विश्वकप गोल्ड मेडल जीत चुकीं युवा निशानेबाज़ एलावेनिल वलारिवान भी रायफल स्पर्धा में दावेदार रहेंगी। भारत को पिछले खेलों में निशानेबाज़ जीतू राय ने पहला स्वर्ण पदक दिलाया था लेकिन इस बार वह भारतीय टीम में नहीं हैं और उनकी कमी खलेगी।

कुश्ती में दो बार के ओलंपिक पदक विजेता, विश्व चैंपियन और लगातार तीन राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीत चुके सुशील एशियाई खेलों में अपने पहले स्वर्ण का सपना पूरा करने उतरेंगे। सुशील ने 2006 के दोहा एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता था लेकिन इसके बाद अगले दो एशियाई खेलों में उन्होंने हिस्सा नहीं लिया। सुशील के पास इस बार मौका है कि वह 74 किग्रा में स्वर्ण पदक जीतें।

सुशील के साथ साथ राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण विजेता बजरंग भी खिताब के प्रबल दावेदार रहेंगे। बजरंग के गुरु योगेश्वर दत्त ने पिछले खेलों में 65 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था और बजरंग इस बार 65 किग्रा में ही अपनी दावेदारी पेश करेंगे। विनेश भी राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण जीतने के बाद खिताब की दावेदार रहेंगी। ओलंपिक कांस्य विजेता साक्षी पर पदक जीतने का काफी दबाव रहेगा।

मुक्केबाजी में स्वीडिश कोच सांतियागो निएवा के ट्रेनिंग तरीकों ने भारतीय मुक्केबाजों में काफी बदलाव किया है। आठ साल पहले ग्वांग्झू में स्वर्ण जीतने वाले विकास ने इंचियोन में रजत जीता था लेकिन वह इस बार पदक का रंग बदलने के लिये बेताब हैं। भारत को पिछले खेलों में मुक्केबाजी में एकमात्र स्वर्ण दिलाने वाली एमसी मैरीकॉम इस बार खेलों से बाहर हैं। उनकी गैर मौजूदगी में विकास और शिवा थापा स्वर्ण के दावेदार रहेंगे।

तीरंदाजी में कम्पाउंड वर्ग में भारत का दबदबा बने रहने की उम्मीद है। कम्पाउंड वर्ग को इंचियोन में शुरू किया गया था और भारत ने एक स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य पदक जीते थे। उम्मीद है कि कम्पाउंड में भारतीय तीरंदाज खासतौर पर अभिषेक वर्मा और रजत चौहान पदक दिलाने वाला प्रदर्शन करेंगे। भारत ने इन खेलों में जिस तरह 572 सदस्यीय दल उतारा है उसे देखते हुये पदक तालिका में टॉप 5 से कम और पिछले खेलों के 57 पदकों से कम का प्रदर्शन निराशाजनक माना जाएगा।

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