एसोसिएशन ऑफ रिन्युएबल एनर्जी ऑफ स्टेट्स (एआरईएएस) ने कल अपना 7वां स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर एआरईएएस और तीन संस्थानों राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान, राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान और सरदार स्वर्ण सिंह राष्ट्रीय जैव ऊर्जा संस्थान के बीच समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुए, जो नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्राय के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत काम करते हैं। इन एमओयू पर एमएनआरई सचिव श्री इंदु शेखर चतुर्वेदी की उपस्थिति में हस्ताक्षर हुए, जो एआरईएएस के पदेन अध्यक्ष भी हैं। एआरईएएस और तीन संस्थानों के बीच एमओयू से भारत में नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के प्रोत्साहन के लिए सहयोग बढ़ेगा। इस अवसर पर, एमएनआरई सचिव और एआरईएएस के अध्यक्ष द्वारा डिजिटल रूप में एआरईएएस टेलीफोन डायरेक्टरी 2021 भी लॉन्च की गई।
माननीय विद्युत व नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर. के. सिंह ने इस अवसर पर अपने संदेश में कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन देने में राज्य नोडल एजेंसियां (एसएनएएस) अहम भूमिका निभा रही हैं और यह भूमिका तेजी से महत्वपूर्ण होती जा रही है, क्योंकि हम 2030 तक देश में नवीकरणीय ऊर्जा की 450 जीडब्ल्यू स्थापित क्षमता हासिल करने की दिशा में काम कर रहे हैं। श्री आर. के. सिंह एआरईएएस के पदेन संरक्षक भी हैं।
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा व रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री श्री भगवंत खुबा ने एआरईएएस के 7वें स्थापना दिवस पर अपने संदेश में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने में राज्य नोडल एजेंसियों के महत्व को रेखांकित किया।
एआरईएएस के अध्यक्ष श्री इंदु शेखर चतुर्वेदी ने सुझाव दिया कि एसएनएएस को नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता विस्तार की गति बढ़ाने के लिए नई तकनीकों और समाधानों की खोज करनी चाहिए। उन्होंने यह प्रस्ताव भी किया कि एआरईएएस को 2047 तक ऊर्जा स्वतंत्रता हासिल करने के लिए एक रोडमैप पेश करना चाहिए, जैसी कि 75वें स्वतंत्रता दिवस पर माननीय प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी।
एसोसिएशन ऑफ रिन्युएबल एनर्जी ऑफ स्टेट्स (एआरईएएस) नवीन और नवीकरणीय उर्जा मंत्रालय की पहल पर 27.08.2014 को अस्तित्व में आया था। नवीकरणीय उर्जा के लिए बनी सभी राज्य नोडल एजेंसियां एआरईएएस की सदस्य हैं। इस मंच पर, वे देश में नवीकरणीय ऊर्जा के प्रोत्साहन देने में लगे हर संगठन और दूसरों के अनुभव से सीख सकते हैं।